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Lok Sabha Election: कभी सुना है एक जिले से सात सांसद !

Lok Sabha Election: समाजवादी पार्टी के संस्थापक स्व मुलायम सिंह यादव ने अपने कार्यकाल में भी इतनी बड़ी सफलता हासिल नही की जो इस बार उनके पुत्र अखिलेश यादव ने अपने दम पर हासिल की है।

Jyotsna Singh
Published on: 11 Jun 2024 1:22 PM IST
Lok Sabha Election
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Lok Sabha Election: हाल ही में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव के बाद कई लोकसभाओं तथा उन सीटों के हारे जीते प्रत्याशियों पर खूब चर्चाएं हो रही हैं। पर इन सबके बीच एक लोकसभा सीट जो सबसे ज्यादा चर्चित हुई है और वो है यूपी की इटावा सीट। जहां से सात सांसद संसद की शोभा बढ़ाएगें। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के गृह जनपद इटावा का परचम प्रदेश की सात सीटों पर कब्जा हासिल करने के कारण पूरे देश में जबर्दस्त परचम लहरा रहा है।

समाजवादी पार्टी के संस्थापक स्व मुलायम सिंह यादव ने अपने कार्यकाल में भी इतनी बड़ी सफलता हासिल नही की जो इस बार उनके पुत्र एवं पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने दम पर हासिल की है। वह स्वयं कन्नौज से तो चुनाव जीते ही अपनी पत्नी को मैनपुरी से, चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ से, एक और चचेरे भाई अक्षय यादव को फिरोजाबाद से तथा शिवपाल सिंह यादव के बेटे और चचेरे भाई आदित्य यादव को बदायूं से चुनाव जितवाने का काम किया। कन्नौज लोकसभा सीट से पहली बार मुलायम परिवार को साल 1999 में जीत मिली थी। उस समय मुलायम सिंह खुद यहां से चुनाव जीतकर सांसद बने थे। हालांकि बाद में उन्होंने यह सीट अपने बेटे अखिलेश यादव को दे दी थी। इनके अलावा इटावा के सांसद जितेंद्र दोहरे और एटा के सांसद देवेश शाक्य भी इटावा के रहने वाले हैं। वहीं चाचा प्रो. रामगोपाल यादव पहले से ही राज्यसभा में सदस्य है।


कन्नौज से पहली बार चुनाव जीतकर राजनीति में आने वाले अखिलेश यादव पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव 2012 से 2017 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। 2022 में विधानसभा करहल से विधायक बने थे। इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में वह कन्नौज से चुनाव लड़े और यहां से भी लगभग 1.70 लाख वोटों से बड़ी जीत दर्ज की है। उनकी पत्नी डिम्पल यादव 2012 में पहली बार कन्नौज में हुए उपचुनाव में निर्विरोध सांसद बनी थी। तब प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। इसके बाद वह 2014 में हुए आम चुनाव में यह सीट हार गयी। फिर मुलायम सिंह के निधन के बाद मैनपुरी में हुई रिक्त सीट से उपचुनाव में उन्होंने लगभग 2.21 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी। डिंपल यादव ने भाजपा के जयवीर सिंह को 2 लाख 21 हजार वोटों से हराया है।


यहां से बहुजन समाज पार्टी के शिव प्रसाद यादव को 66 हजार वोट मिले हैं। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई अभयराम यादव के बेटे धर्मेन्द्र यादव को मुलायम सिंह यादव ने 2004 में अपने पैतृक सीट मैनपुरी देकर पहली बार सांसद बनाया था। 2019 में उन्हें भी बदायूं से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार उन्हें आजमगढ़ से टिकट दिया था। धर्मेंद्र यादव ने भाजपा के दिनेश लाल यादव (निरहुआ) को एक लाख 61 हजार वोटों से हराया है। धर्मेंद्र को इस चुनाव में 5 लाख से ज्यादा वोट मिले हैं। आजमगढ़ सीट से मुलायम सिंह और अखिलेश यादव भी सांसद रह चुके हैं। आजमगढ़ सीट भी मुलायम परिवार का गढ़ रही है।


सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव 2014 से 2019 तक फिरोजाबाद से सांसद रह चुके हैं। इस बार भी सपा ने उन्हें फिरोजाबाद से ही टिकट दिया था। उन्होंने 89312 वोटों से जीत दर्ज की है। इस बार अक्षय यादव ने भाजपा के विश्वदीप सिंह को करीब 89 हजार वोटों से हराया है। उनको 5 लाख 43 हजार वोट मिले हैं, जबकि विश्वदीप को मात्र चार लाख 53 हजार वोट ही मिल पाए।


मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल सिंह यादव के इकलैते बेटे आदित्य यादव इस बार पहली बार चुनाव में उतरे। उन्होंने बदायूं से चुनाव लडा 35 हजार वोटों से चुनाव जीतकर संसद पहुंचने का काम किया। आदित्य यादव ने भाजपा के दुर्गविजय सिंह शाक्य को 34 हजार वोटों से हराया है। आदित्य यादव को 5 लाख 18 हजार वोट मिले, जबकि शाक्य को करीब 4 लाख 66 हजार मत ही मिल पाए।


इसी तरह इटावा से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीतने वाले जितेंद्र दोहरे बसपा की पृष्ठभूमि से हैं। 2020 में वह सपा में शामिल हुए। इसके बाद 2018 में हुए चुनावों में उनकी पत्नी ने सपा के टिकट से महेवा ब्लॉक प्रमुख के रूप में जीत दर्ज की थी। 2024 में सपा ने उन्हें सांसद का टिकट दिया था। उन्होंने लगभग 58 हजार वोटों से जीत दर्ज की है। जितेंद्र दोहरे का मुकाबला भाजपा के बड़े नेता और राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले रामशंकर कठेरिया से था। साल 2014 से ही इटावा पर भाजपा (रामशंकर कठेरिया सांसद) का कब्जा था। जितेंद्र दोहरे ने रामशंकर कठेरिया को 58 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है। जितेंद्र को चुनाव में 4 लाख 90 हजार से ज्यादा मत मिले हैं, जबकि कठेरिया को चार लाख 32 हजार वोट ही मिले है।


बसपा सरकार में 2002 में बिधूना से विधायक और बाढ़ सहायता मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहे विनय शाक्य के भाई हैं। देवेश शाक्य भी मूल रूप से शुरुआत में बसपा में रहे हैं। इस बार सपा ने उन्हें एटा से प्रत्याशी बनाया था। और उन्होंने लगभग तीस हजार वोटों से जीत दर्ज की है। प्रो. रामगोपाल यादव सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई और प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव हैं। वह सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। इस समय वर्तमान में सपा की ओर से राज्यसभा के सदस्य हैं। औरैया के बिधूना के हमीरपुर गांव में जन्मीं गीता शाक्य का भरथना क्षेत्र के सिन्हुआ गांव में शादी हुई थी। गीता शाक्य इस समय प्रदेश की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद हैं।



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Shalini singh

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