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Lok Sabha: सदन में अखिलेश-डिंपल पर रहेगी सबकी नजर, 18वीं लोकसभा में पति-पत्नी की देशभर से एकमात्र जोड़ी
Lok Sabha:18वीं लोकसभा में अखिलेश यादव न केवल पहली बार अपनी पत्नी के साथ मौजूद रहेंगे, बल्कि इस बार उनके तीन भाई भी बतौर सांसद सदन में उनके साथ रहेंगे।
Lok Sabha: अक्सर हमने चुनावी दंगल में पति-पत्नी को एक-दूसरे के सामने चुनाव लड़ते तो देखा और सुना है। लेकिन अलग-अलग सीट से एक साथ चुनाव जीतकर लोकसभा तक पहुंचने की नजीर शायद कम ही मिलती है। इस बार 18वीं लोकसभा के दौरान कई चीजें देखने को मिलेगी। एक तो जब सदन में सभी सांसद बैठेंगे, तो यूपी से अखिलेश यादव और डिंपल यादव के रूप में पति-पत्नी की इकलौती जोड़ी भी सदन में सभी का ध्यान खींचेगी।
दोनों ने भारी मतों से जीत हासिल की है
यह पहली बार होगा जब किसी पार्टी का मुखिया और उसकी पत्नी एक साथ लोकसभा में दिखेंगे। सपा मुखिया अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव 18वीं लोकसभा के लिए चुने गए हैं। अखिलेश यादव जहां अपनी परंपरागत सीट कन्नौज से, तो वहीं उनकी पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी सीट से लोकसभा सांसद चुनी गई हैं। दोनों ने ही रिकॉर्ड वोटों के अंतर से चुनाव भी जीता है। डिंपल यादव तो समाजवादी पार्टी की ओर से जीतने वाले सांसदों में सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीत कर आई हैं। उनके बाद उनके पति अखिलेश यादव की जीत का अंतर पार्टी में दूसरे नंबर पर है। यह भी एक अलग तरह का ही रिकॉर्ड है। ऐसे में लोकसभा की कार्रवाई के दौरान जब ये दोनों सदन में मौजूद रहेंगे, तो सभी की निगाहें उन पर रहेंगी। वहीं अगर दोनों के लिए बैठने की जगह भी पास-पास होगी, तो यह देखना भी काफी दिलचस्प होगा
पिछली लोकसभा दोनों सदस्य रहे, लेकिन साथ निर्वाचित नहीं हुए
यह भी एक इत्तेफाक ही है कि अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव 2019 के लोकसभा में भी साथ-साथ चुनाव लड़े थे, लेकिन सदन के सदस्य एक साथ नहीं निर्वाचित होने से दोनों साथ-साथ नहीं पहुंच सके थे। दरअसल अखिलेश यादव आजगमगढ़ से चुनाव लड़कर जीते जबकि डिंपल यादव कन्नौज से लड़ी थीं, लेकिन डिंपल चुनाव नहीं जीत पाईं थीं। हालांकि सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी सीट खाली हुई, तो डिंपल यादव वहां से उपचुनाव लड़ी और जीतकर सदन में पहुंचीं।
10 महीने बाद डिंपल लोकसभा पहुंचीं
उसके पहले अखिलेश यादव विधानसभा में मैनपुरी की ही करहल विधानसभा से विधायक चुन लिए गए थे। नतीजों के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाने के लिए उन्होंने आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफा के बाद करीब 10 महीने बाद डिंपल यादव मैनपुरी से उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं। इस तरह से 17वीं लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होकर भी दोनों साथ में सदस्य नहीं रहे थे।
तीन भाइयों के साथ मौजूद रहेंगे अखिलेश
अखिलेश यादव न केवल पहली बार अपनी पत्नी के साथ लोकसभा में मौजूद रहेंगे, बल्कि इस बार उनके तीन भाई भी बतौर सांसद सदन में उनके साथ दिखेंगे। चूंकि सैफई परिवार के पांच सदस्य इस बार चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे हैं। इसमें कन्नौज से अखिलेश यादव और मैनपुरी से उनकी पत्नी डिंपल यादव के अलावा आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव, फिरोजाबाद से अक्षय यादव और बदायूं से आदित्य यादव भी सांसद चुने गए हैं। इस तरह पांच सदस्यों के साथ लोकसभा में देश का सबसे बड़ा कुनबा नजर आएगा।
पिता और एक भाई के साथ सदन में रह चुके अखिलेश
-2000 के उपचुनाव में जब वह पहली बार कन्नौज से सांसद बने थे तो उस समय उनके पिता मुलायम सिंह यादव संभल से सांसद के रूप में उनके साथ लोकसभा में थे।
-2004 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज से अखिलेश यादव और मैनपुरी से उनके चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव लोकसभा पहुंचे थे।
-2009 के लोकसभा चुनाव में भी अखिलेश यादव कन्नौज तो धर्मेंद्र यादव बदायूं से सांसद चुनकर पहुंचे थे।
2014 में पहली बार परिवार के पांच सदस्य निर्वाचित हुए थे-
2014 में पहली बार सैफई परिवार के पांच सदस्य लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे। इसमें खुद आजमगढ़ और मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव, कन्नौज से डिंपल यादव, बदायूं से धर्मेंद्र यादव और फिरोजाबाद से अक्षय यादव सांसद चुने गए थे। बाद में मुलायम सिंह ने आजमगढ़ सीट बरकरार रखते हुए मैनपुरी से इस्तीफा दे दिया। तब मैनपुरी में हुए उपचुनाव में इस परिवार की तीसरी पीढ़ी के रूप में तेज प्रताप यादव चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। उस दौरान अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।2019 के लोकसभा चुनाव में परिवार से केवल दो सदस्य मैनपुरी से मुलायम सिंह और आजमगढ़ से अखिलेश यादव ही सांसद बने थे। बाकी सदस्यों को हार का सामना करना पड़ा था।
पप्पू यादव और उनकी पत्नी रंजीता रंजन दो बार बन चुके सांसद
इस बार अखिलेश यादव और डिंपल यादव पति-पत्नी के रूप में लोकसभा सदस्य चुनी गई हैं। इसके पहले यह उपलब्धि बिहार से पप्पू यादवऔर उनकी पत्नी रंजीता रंजन के नाम था। वह दोनों 2004 और 2014 में दो बार एक साथ चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंच थे। हालांकि दोनों अलग-अलग पार्टी से चुनाव लड़े थे। इस बार भी जहां पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं तो वहीं उनकी पत्नी रंजीता रंजन कांग्रेस से राज्यसभा की सांसद हैं। इस तरह से देखा जाए तो दोनों जोड़ी के तौर पर तीसरी बार संसद में होंगे, लेकिन अलग-अलग सदन का हिस्सा होंगे।
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