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Lok Sabah Speaker: नेहरू से लेकर इंदिरा तक कांग्रेस ने स्पीकर और डिप्टी स्पीकर अपना ही बिठाया,भाजपा ने कई राज्यों में भी विपक्षी दलों की खोली कलई

Lok Sabah Speaker: भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने देश में विपक्ष शासित कई राज्यों का भी उदाहरण दिया है जहां विधानसभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों सत्तारूढ़ दल से ही जुड़े हुए हैं

Anshuman Tiwari
Published on: 26 Jun 2024 12:04 PM IST
Lok Sabah Speaker
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Lok Sabah Speaker: लोकसभा स्पीकर के पद को लेकर मचे घमासान के बीच भाजपा ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोला है। भाजपा ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक कई ऐसे मौकों का उदाहरण दिया है जब स्पीकर के साथ ही डिप्टी स्पीकर के पद पर भी कांग्रेस ने अपने ही लोगों को बिठाया था।भाजपा ने कहा कि आज परंपरा की बात करने वाले लोग अपना ही इतिहास भूल गए हैं। भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने देश में विपक्ष शासित कई राज्यों का भी उदाहरण दिया है जहां विधानसभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों सत्तारूढ़ दल से ही जुड़े हुए हैं।


विपक्ष की ओर से डिप्टी स्पीकर की शर्त

दरअसल कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने बयान दिया है कि यदि केंद्र सरकार स्पीकर का पद अपने पास रखना चाहती है तो उसे डिप्टी स्पीकर के पद पर विपक्ष के सांसद को मौका देना चाहिए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है कि भाजपा ने इस संबंध में विपक्षी दलों की मांग को पूरा नहीं किया है और इसीलिए कांग्रेस की ओर से सत्ता पक्ष के उम्मीदवार ओम बिरला के खिलाफ इंडिया गठबंधन की ओर से के सुरेश को मैदान में उतारा गया है।समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी कहा है कि परंपरा के अनुसार डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष के सांसद को ही मिलना चाहिए। इसे लेकर जबर्दस्त राजनीतिक खींचतान का माहौल बना हुआ है और दोनों ओर से जोर राजमाइश की जा रही है।


पंडित नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक का उदाहरण

इस बीच भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने बड़ा बयान देते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि 1952 से 1956 तक कांग्रेस ने स्पीकर के साथ ही डिप्टी स्पीकर के पद पर भी अपने नेता एम अनंतसंयनम को बिठाया था। इसके बाद 1962 से 1967 तक डिप्टी स्पीकर पद की जिम्मेदारी भी कांग्रेस के नेता कृष्णमूर्ति राव के पास रही। उस समय पर भी स्पीकर कांग्रेस का ही था।इसके बाद इंदिरा गांधी के समय में भी कांग्रेस ने स्पीकर के साथ डिप्टी स्पीकर भी अपना ही बना रखा था। 1967 से लेकर 1969 तक कांग्रेस के आर के खाडिलकर ने डिप्टी स्पीकर की भूमिका निभाई थी।


विपक्ष शासित राज्यों में भी दोनों पदों पर कब्जा

पूनावाला ने कई राज्यों का भी उदाहरण दिया जहां विधानसभा के स्पीकर के साथ ही डिप्टी स्पीकर के पद पर ही सत्तारूढ़ दल के नेता को तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस नेताओं को ही स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों पदों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।पश्चिम बंगाल विधानसभा में टीएमसी नेताओं के पास ही स्पीकर के साथ ही डिप्टी स्पीकर का भी पद है। केरल में डीएमके ने दोनों पदों पर अपने ही नेताओं को तैनात कर रखा है। उन्होंने तेलंगाना और झारखंड का भी उदाहरण दिया जहां डिप्टी स्पीकर के पदों को खाली रखा गया है। इन राज्यों में विपक्ष के नेताओं को डिप्टी स्पीकर का पद नहीं मिला है।


विपक्ष की ओर से शर्त रखे जाने पर बोला हमला

भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस के मुंह से संविधान बचाने और परंपरा को निभाने की बात शोभा नहीं देती। उन्होंने लोकसभा के स्पीकर जैसे पद को लेकर शर्त रखने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि स्पीकर का पद किसी भी दल से परे होता है और इसे लेकर किसी भी प्रकार की शर्त या सौदेबाजी नहीं की जानी चाहिए।स्पीकर के पद को लेकर चुनाव कराना कांग्रेस की मानसिकता को दिखाता है। संसद के सत्र की शुरुआत से ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल टकराव के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। इससे साफ है कि वे कोई भी काम सुचारू रूप से नहीं होने देना चाहते।



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Shalini Rai

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