Lok Sabha Session: अयोध्या से विजयी सांसद अवधेश प्रसाद सपा मुखिया के साथ सबसे आगे,अखिलेश के इस कदम का आखिर क्या है सियासी मायने

Lok Sabha Session 2024: 18वीं लोकसभा के सत्र की शुरुआत के पहले दिन आज समाजवादी पार्टी के सांसद पार्टी मुखिया अखिलेश यादव की अगुवाई में अलग अंदाज में नजर आए।

Anshuman Tiwari
Published on: 24 Jun 2024 8:43 AM GMT (Updated on: 24 Jun 2024 8:55 AM GMT)
Lok Sabha Session 2024
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Lok Sabha Session 2024: समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर इस बार के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत हासिल की है। सपा को उत्तर प्रदेश में 37 सीटों पर जीत हासिल हुई है जबकि कांग्रेस को छह लोकसभा सीटों पर विजय मिली है। लोकसभा में सांसदों की संख्या के मामले में सपा अब भाजपा और कांग्रेस के बाद तीसरे नंबर पर पहुंच गई है। 18वीं लोकसभा के सत्र की शुरुआत के पहले दिन आज समाजवादी पार्टी के सांसद पार्टी मुखिया अखिलेश यादव की अगुवाई में अलग अंदाज में नजर आए।

सपा मुखिया अखिलेश यादव अयोध्या से जीत हासिल करने वाले अवधेश प्रसाद का हाथ पकड़ कर सबसे आगे चल रहे थे। सपा के सभी सांसदों के हाथों में संविधान की प्रतियां थीं। इसके जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई कि समाजवादी पार्टी संविधान पर कभी कोई आंच नहीं आने देगी। सपा मुखिया के अवधेश प्रसाद को सबसे आगे रखकर चलने के भी सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।


अवधेश प्रसाद को अपने साथ रखा सबसे आगे

इस बार के लोकसभा चुनाव में कई सियासी दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा है मगर जिस सीट की पूरे देश और सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा चर्चा रही है वह अयोध्या की सीट। अयोध्या विधानसभा वाली सीट फैजाबाद से जीत हासिल करने वाले सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद पूरे देश में चर्चित हो गए। इस सीट पर भाजपा की हार की सबसे ज्यादा चर्चा रही।संसद में एंट्री के दौरान सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ पत्नी डिंपल यादव,चाचा रामगोपाल यादव और समाजवादी पार्टी के अन्य सांसद थे। इस दौरान सपा सांसद अवधेश यादव पीछे रह गए मगर अखिलेश यादव उन्हें हाथ पकड़ कर सबसे आगे ले आए। उन्होंने मीडिया से अवधेश प्रसाद का विजयी अंदाज में परिचय भी कराया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान भी उन्होंने अवधेश प्रसाद को अपने साथ सबसे आगे रखा।


अखिलेश के इस कदम के सियासी मायने

सपा मुखिया अखिलेश यादव की इस कदम के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। दरअसल इसके जरिए उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की है कि देश-दुनिया में चर्चित राम मंदिर के इलाके अयोध्या से जुड़ी सीट पर भी समाजवादी पार्टी को इस बार जीत हासिल हुई है।उन्होंने सबको यह बताने का प्रयास किया कि उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा को कितना बड़ा झटका दिया है। सियासी जानकारों का मानना है कि भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे को झटका देने के लिए सपा मुखिया अवधेश प्रसाद को काफी अहमियत दे रहे हैं।


दलित वोट बैंक साधने का प्रयास

इसके साथ ही सपा मुखिया के इस कदम को दलित वोट बैंक का समीकरण साधने का प्रयास भी माना जा रहा है। दरअसल अवधेश प्रसाद का ताल्लुक पासी बिरादरी से है। इसके जरिए अखिलेश यादव ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी पार्टी दलितों को साथ लेकर चलने वाली है।इस बार उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक यानी पीडीए समीकरण ने बड़ा असर दिखाया है। सपा को कई सीटों पर दलितों के समर्थन का भी काफी फायदा मिला है।


अवधेश प्रसाद की जीत से भाजपा को बड़ा झटका

1989 से ही राम मंदिर का मुद्दा भाजपा के टॉप एजेंडे में शामिल रहा है। राम मंदिर आंदोलन के जरिए भाजपा को अपनी सियासी जमीन मजबूत बनाने में काफी मदद मिली है। सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो चुका है और भाजपा नेता इस बात का जोर-जोर से प्रचार करते रहे हैंलोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन किया था मगर इसके बावजूद इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा को इसका सियासी लाभ नहीं मिल सका। भाजपा इस बार उत्तर प्रदेश में सिर्फ 33 सीटों पर जीत हासिल कर सकी है और उसे 29 सीटों का बड़ा सियासी नुकसान उठाना पड़ा है।यही कारण है कि समाजवादी पार्टी और पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अयोध्या की जीत को अपनी सबसे बड़ी जीत मान रहे हैं। इसी वजह से सपा सांसद अवधेश प्रसाद की अहमियत काफी बढ़ गई है।

Shalini Rai

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