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Lok Sabha Session: स्पीकर का चुनाव, बहुमत साबित करेगी सरकार, PM का भाषण, जानिए 10 दिनों में क्या-क्या होगा
Lok Sabha Session: सबसे पहले प्रोटेम स्पीकर राष्ट्रपति भवन जाकर शपथ ग्रहण करेंगे। इसके बाद प्रोटेम स्पीकर 24 और 25 जून को नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाएंगे।
Lok Sabha Session
Lok Sabha Session 2024:18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होने जा रहा है जो3 जुलाई तक चलेगा। वैसे तो 9 जून 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ लेने के साथ ही 18वीं लोकसभा का कामकाज शुरू हो गया। 10 दिन में कुल 8 बैठकें (29-30 जून को अवकाश) होंगी। सोमवार को सबसे पहले प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब राष्ट्रपति भवन जाकर शपथ ग्रहण करेंगे और इसके बाद वे सुबह 11 बजे लोकसभा पहुंचेंगे। सत्र के शुरुआत के दो दिन, यानी 24 और 25 जून को प्रोटेम स्पीकर नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाएंगे। इसके बाद 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा।
27 को राज्यसभा का 264वां सत्र शुरू होगा
वहीं 27 जून को राज्यसभा का 264वां सत्र शुरू होगा। इसी दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू लोकसभा-राज्यसभा के जॉइंट सेशन को संबोधित करेंगी। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी का भाषण होगा। सत्र के आखिरी दो दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सरकार धन्यवाद प्रस्ताव लाएगी और दोनों सदनों में चर्चा होगी। यहां सबसे बड़ी बात यह भी है कि 10 साल बाद पहली बार पीएम मोदी के सामने मजबूत विपक्ष सामने होगा।
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इन मुद्दों पर विपक्ष कर सकता है हंगामा
विपक्ष इस बार नीट यूजी परीक्षा में हुई गड़बड़ी, तीन क्रिमिनल लॉ, लोकसभा चुनाव के बाद शेयर बाजार में हुई गड़बड़ी के आरोपों पर हंगामा कर सकता है।
जानिए सत्र में 10 दिनों में क्या-क्या होगा
-24-25 जूनः प्रोटेम स्पीकर लोकसभा के नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाएंगे।
लोकसभा अध्यक्ष का पद नई लोकसभा की पहली बैठक के ठीक पहले ही खाली हो जाता है। लोकसभा की कार्यवाही चलाने के लिए राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर चुनते हैं। प्रोटेम स्पीकर ही लोकसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता करते हैं। आमतौर पर सदन के वरिष्ठतम सदस्य (चुनाव में जीत के आधार पर) को इस पद पर नियुक्त किया जाता है। प्रोटेम स्पीकर सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति के सामने पहले शपथ ग्रहण करते हैं और उसके बाद नव निर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाते हैं। वह स्थायी रूप से संसद चलाते हैं जब नए स्पीकर का चुनाव हो जाता है तो प्रोटेम स्पीकर की सेवा समाप्त हो जाती है।
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इस बार बीजेपी के ओडिशा से लगातार 7 बार के सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर चुना गया है। कांग्रेस ने अपने 8 बार के सांसद कोडिकुन्निल सुरेश को स्पीकर बनाने की मांग की थी। वहीं इस पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस के सांसद लगातार नहीं जीते हैं, इसलिए उनकी वरिष्ठता का आधार नहीं बनता।
पांच सांसदों को पीठासीन अधिकारी बनाया गया है
प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए लोकसभा के 5 सांसदों को राष्ट्रपति ने पीठासीन अधिकारी बनाया है। इनमें के. सुरेश (कांग्रेस), सुदीप बंदोपाध्याय (टीएमसी), टीआर बालू (डीएमके) और भाजपा से राधा मोहन सिंह, फगन सिंह कुलस्ते का नाम शामिल है। विपक्ष के तीनों सांसदों ने 22 जून को प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के विरोध में अपना नाम वापस ले लिया।
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बड़ा सवाल जेल में बंद सांसद कैसे लेंगे शपथ
वैसे जेल में बंद निर्वाचित प्रतिनिधियों को शपथ लेने के लिए पैरोल दी जाती है। इसके लिए संसद सचिवालय की ओर से पहले जेल प्रशासन को सूचना देनी पड़ती है और इसमें बताया जाता है कि शपथ लेने वाला सांसद आपकी जेल में बंद है, उसे संसद में आकर शपथ लेने की परमिशन दी जाए। अमृत पाल और राशिद इंजीनियर इस समय जेल में बंद है और दोनों लोकसभा सांसद चुने गए हैं। अमृत पाल पंजाब के खडूर सीट तो राशिद इंजीनियर जम्मू-कश्मीर के बारामूला लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं।शपथ लेने के बाद सांसद फिर से वापस जेल चले जाते हैं। हालांकि, उनको लिखित में स्पीकर को जानकारी देनी होती है कि वे सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।
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26 जून-लोकसभा स्पीकर का चुनाव
भाजपा-17-18 जून को दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के घर मंत्रियों की बैठक हुई थी। इसमें लोकसभा स्पीकर को लेकर भी चर्चा हुई। भाजपा चाहती है कि अध्यक्ष उनकी पार्टी का हो। इस बात की चर्चा है कि बीजेपी ओम बिड़ला को दूसरी बार लोकसभा का स्पीकर बना सकती है। बिड़ला राजस्थान के कोटा से बीजेपी के सांसद हैं वे पिछली बार भी लोकसभा अध्यक्ष थे।
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एनडीए
एनडीए में भाजपा के सहयोगी दल जेडीयू और टीडीपी के बीच स्पीकर पद को लेकर मांग उठी थी, लेकिन बाद में जेडीयू ने घोषणा कर दी है कि वह भाजपा के किसी भी फैसले का समर्थन करेगी। टीडीपी ने एनडीए उम्मीदवार की वकालत की है। यानी अभी खुलकर कुछ भी कहने से परहेज किया है।
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विपक्ष
वहीं इस बार इंडिया ब्लॉक लोकसभा में डिप्टी स्पीकर पद की मांग करेगा। चर्चा तो यह भी है कि अगर विपक्ष को डिप्टी स्पीकर पद नहीं मिलता है तो विपक्ष स्पीकर पद के लिए अपना उम्मीदवार उतारेगा। डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की परम्परा रही है। 16वीं लोकसभा में एनडीए में शामिल रहे अन्नाद्रमुक के थंबीदुरई को यह पद दिया गया था। जबकि, 17वीं लोकसभा में यह पद खाली रहा।
लोकसभा स्पीकर को लेकर टकराव की आशंका
भाजपा स्पीकर पद पर सहमति के लिए विपक्ष को अपने कैंडिडेट का नाम प्रस्तावित करेगी। अगर विपक्ष इस पर सहमत नहीं हुआ तो अपना उम्मीदवार उतारेगी। ऐसी परिस्थिति में स्पीकर के लिए चुनाव कराना पड़ेगा।
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27 जून-राज्यसभा का 264वां सत्र शुरू होगा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिभाषण होगा और 27 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त अधिवेशन में सुबह 11 बजे अभिभाषण देंगी। इसमें केंद्र सरकार के अगले 5 साल के कार्यक्रम का रोडमैप पेश करेंगी। 17वीं लोकसभा में तब के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दोनों सदन को 1 घंटे संबोधित किया था।
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इसी दिन राज्यसभा का 264वां सत्र शुरू हो जाएगा। इस साल 15 राज्यों की 56 राज्यसभा सीटें खाली हुईं थीं। जिनमें 41 सीटों पर उम्मीदवार निर्विरोध चुनाव जीते हैं। वहीं फरवरी में 15 सीटों पर हुई वोटिंग में यूपी की 8 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की, सपा को दो, कर्नाटक में कांग्रेस को 3, भाजपा को 1 सीट मिली थी। वहीं हिमाचल की एक सीट भी भाजपा के खाते में आई थी।
1-3 जुलाई तक दोनों सदनों में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा
राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद संसद के दोनों सदनों में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी। वहीं विपक्ष सरकार को नीट परीक्षा गड़बड़ी, यूजीसी नेट एग्जाम कैंसिलेशन और अग्निवीर योजना को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। इसके बाद प्रधानमंत्री संसद के दोनों सदनों में, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देंगे।
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इस बार 40 दिन छोटा होगा सत्र
17वीं लोकसभा की तुलना में 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 40 दिन छोटा है। 2019 में नरेंद्र मोदी ने 30 मई को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी और 17 जून को संसद का पहला सत्र शुरू हुआ था। हालांकि, इसमें नई सरकार का बजट सत्र भी शामिल था। वहीं इस बार 9 जून को प्रधानमंत्री का शपथ ग्रहण हुआ और पहला सत्र 15 दिन बाद शुरू हुआ था।
10 साल बाद कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी
18वीं लोकसभा में इस बार नेता प्रतिपक्ष भी होगा। पिछले 10 साल से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है, क्योंकि 2014 के बाद से किसी भी विपक्षी दल के 54 सांसद नहीं जीते, जिससे विपक्ष को अपना नेता नहीं मिल सका। मावलंकर नियम के तहत नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए लोकसभा की कुल संख्या 543 का 10 प्रतिशत यानी 54 सांसद होना जरूरी है।16वीं लोकसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे 44 सांसदों वाले कांग्रेस संसदीय दल के नेता थे, लेकिन उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं था। 17वीं लोकसभा में 52 सांसदों की अगुआई कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने की थी। उन्हें भी कैबिनेट जैसे अधिकार नहीं थे।
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विपक्ष का नेता हर बड़ी नियुक्ति में शामिल
सदन के नेता (पीएम) के बराबर ही नेता प्रतिपक्ष को तरजीह मिलती है। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली कमेटी में भी विपक्ष के नेता को शामिल किया जाता है, जिसकी अध्यक्षता पीएम करते हैं। नेता प्रतिपक्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग, सीवीसी और सीबीआई के प्रमुखों की नियुक्ति करने वाली कमेटी में भी शामिल हो जाता है।लोकसभा की लोक लेखा समिति का अध्यक्ष भी आमतौर पर नेता प्रतिपक्ष को ही बनाया जाता है। इस समिति के पास पीएम तक को तलब करने का अधिकार होता है। सदन के भीतर प्रतिपक्ष के अगली, दूसरी कतार में कौन नेता बैठेगा, इसकी राय भी विपक्ष के नेता से ही ली जाती है।
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18वीं लोकसभा में क्या है पक्ष और विपक्ष की स्थिति
इस बार 2014 और 2019 की तुलना में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं है। 18वीं लोकसभा में एनडीए की सरकार है। गठबंधन के पास लोकसभा के कुल 543 सांसदों में से 293 सांसद हैं। मोदी समेत 72 सांसदों ने 9 जून को शपथ ली थी।वहीं मोदी के पिछले दो कार्यकाल की तुलना में तीसरे टर्म में इस बार विपक्ष मजबूत हुआ है। इस बार इंडिया ब्लॉक ने 234 सीटें जीती हैं। वहीं कांग्रेस के पास 99 सीटे हैं, जो सदन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। हालांकि महाराष्ट्र के सांगली से निर्दलीय चुनाव जीते विशाल पाटिल कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके साथ ही पार्टी की कुल संख्या 100 हो गई है।