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Lok Sabha Election: टिका रह पाएगा उपचुनाव में विपक्षी गठबन्धन ?
Lok Sabha Election: लोकसभा चुनावों में विधायकों के सांसद बनने के बाद खाली विधानसभा सीटों पर प्रस्तावित उपचुनाव में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी से कुछ सीटें अपने लिए मांगेगी।
Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबन्धन को मिली सफलता के बाद जल्द ही उत्तर प्रदेश में सपा कांग्रेस गठबन्धन की एक और परीक्षा होनी है। प्रदेश में रिक्त हुई 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को महासंग्राम के बाद एक और संग्राम कहा जा रहा है। लोकसभा चुनावों में विधायकों के सांसद बनने के बाद खाली विधानसभा सीटों पर प्रस्तावित उपचुनाव में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी से कुछ सीटें अपने लिए मांगेगी।
कांग्रेस में इस संबंध में आंतरिक सहमति बनने के बाद कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल सपा से बातचीत करेगा। कांग्रेस की मंशा लोकसभा चुनावों में हुए गठबंधन को आगे तक ले जाने की है। हांलाकि इन सीटों को लेकर दोनो दलों में अभी कोई वार्ता नही हुई है लेकिन दोनो पक्षों से इसके लिए दावों का दौर तेज हो गया है। यूपी में होने वाले उपचुनाव में सपा-कांग्रेस के गठबधन की परीक्षा होगी. क्योंकि जिन सीटों पर चुनाव होने हैं। उनमें से ज्यादातर सीटों पर भाजपा और सपा के उम्मीदवार ही जीते हैं। इनमें से कितनी सीटों पर दोनों दलों की सहमति बनेगी। इस पर भी सबकी नजर टिकी हुई है।
इसमें करहल कटेहरी मिल्कीपुर सुरक्षित और कुंदरकी विधानसभा सीट खाली हुई हैं। सपा विधायक इरफान सोलंकी की सदस्यता रद्द होने की वजह से कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट रिक्त हो गई है। इसी तरह एनडीए विधायकों के सांसद बनने से मीरापुर, गाजियाबाद, फूलपुर, खैर, मझवा विधानसभा सीट रिक्त हुई है।लोकसभा चुनाव के बाद फूलपुर, खैर, गाजियाबाद, मझावन, मीरापुर, अयोध्या, करहल, कटेहरी, तथा कुंदरकी विधानसभा क्षेत्रों पर उपचुनाव होना तय हो गया है। इसके साथ अभी हाल ही में कानपुर के विधायक को हुई सजा के बाद वहां भी उपचुनाव की संभावना बन रही है। भाजपा व सहयोगी दलों ने लोकसभा चुनाव के मैदान में सबसे ज्यादा आठ विधायकों को चुनावी मैदान में उतारा था। वहीं समाजवादी पार्टी ने छह विधायकों को चुनावी रण में उतारा था।
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद केन्द्र में तीसरी बार एनडीए की सरकार बन चुकी है और सरकार ने कार्य करना शुरू कर दिया है। अब सभी सियासी दलों की निगाहें सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें रखने वाले उत्तर प्रदेश की ओर है। प्रदेश में 10 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने जा रहा है। इसमें अयोध्या विधानसभा की सीट शामिल है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन को लेकर हैं। सपा कांग्रेस मिलकर चुनाव लडे़गी या इन दोनो दलों का गठबन्धन लोकसभा चुनाव तक ही थी।
लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और प्रमुख विपक्षी समाजवादी पार्टी के कुल 9 विधायक विभिन्न लोकसभा सीटों से जीते हैं। उनमें से अधिकांश ने अपनी लोकसभा सीटें बरकरार रखने के लिए पहले ही विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा, सीसामऊ विधानसभा सीट खाली होने जा रही है, क्योंकि इसके विधायक इरफान सोलंकी को आगजनी के मामले में 7 साल की सजा सुनाए जाने के बाद सदन की सदस्यता चली जाएगी।सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पहले ही करहल विधानसभा की सीट खाली कर चुके है। जबकि पार्टी के मिल्कीपुर (अयोध्या) विधायक अवधेश प्रसाद और लालजी वर्मा ने भी ने भी इस्तीफा दे दिया है। इनके अलावा रालोद के चंदन चौधरी और भाजपा से अनूप प्रधान प्रवीण पटेल भी इस्तीफा दे चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने मिलकर लड़ा था और शानदार प्रदर्शन भी किया। वहीं, अब विधानसभा उपचुनाव में भी ये जोड़ी एक बार साथ दिखाई देगी इसकी उम्मीद कम नजर आ रही है।माना जा रहा है कि उत्साह से लबरेज कांग्रेस विधानसभा उपचुनाव में उतरने की पूरी तैयारी कर रही है। हालांकि, वह सपा के साथ लड़ेगी या उनके खिलाफ ये देखना होगा। वहीं, भारतीय जनता पार्टी भी लोकसभा चुनाव में साधारण प्रदर्शन करने के बाद जनता का दिल जीतना चाहेगी।बता दें कि इस बार सपा और भाजपा ने नौ विधायकों को सांसदी चुनाव में उतारा था। वहीं, इसके अलावा सीसामऊ सीट पर सपा के विधायक इरफान सोलंकी को आगजनी के एक मामले में 7 साल की सजा सुनाई गई है, जिसके बाद यह सीट भी खाली होने जा रही है।
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि कांग्रेस को लोकसभा में छह सीटों पर सफलता मिली है। इस कारण पार्टी को संजीवनी मिल गई है। ऐसे में वह उपचुनाव में कुछ सीटों की डिमांड कर सकती है। इंडिया गठबन्धन के तहत चुनाव परिणाम से उत्साहित कांग्रेस व सपा दोनों की नजर अभी से अगले विधानसभा चुनाव पर है। इससे पूर्व नौ सीटों पर उपचुनाव दोनों दलों के लिए आपसी रिश्तों व प्रदर्शन के लिहाज से महत्वपूर्ण होगा। खासकर कांग्रेस के सामने अपने जनाधार को बचाए रखने की भी बड़ी चुनौती है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 का गठबंधन विधानसभा उपचुनावों में कितना सफल होगा। इसकी उपचुनाव में परीक्षा होनी है। इससे पहले दोनों दलों के बीच सीटों को लेकर खींचतान बढ़ने की आशंका जताई जाने लगी है।