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गजब संयोग: जिस दिन निदा फाजली मरे उसी दिन पैदा हुए थे जगजीत सिंह

निदा फाजली का जन्म 12 अक्तूबर 1938 को दिल्ली में हुआ था। वो थे तो कश्मीरी लेकिन उनकी शिक्षा ग्वालियर में हुई। उनके पिता भी बड़े शायर थे। विभाजन के समय उनके परिवार वाले पाकिस्तान चले गए।

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Published on: 9 Feb 2016 12:42 PM GMT
गजब संयोग: जिस दिन निदा फाजली मरे उसी दिन पैदा हुए थे जगजीत सिंह
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मुंबई: निदा फाजली की गजलों को जगजीत सिंह ने अपनी गायकी से घर घर तक पहुंचाया। दोनों मिलकर एक एलबम निकालना चाहते थे जो अब संभव नहीं हो सकेगा क्योंकि दोनों अब इस दुनियां में नहीं हैं। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि 8 फरवरी को फाजली का इंतकाल हुआ तो इसी तारीख को जगजीत सिंह का जन्म हुआ था।

सोमवार को हुआ था निधन

-निदा फाजली को कल सोमवार को सांस लेने में तकलीफ हुई।

-उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया लेकिन डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

-हालांकि वो शरीर से पूरी तरह फिट थे और उन्हें कोई बीमारी भी नहीं थी।

ग्वालियर में ली थी शिक्षा

-निदा फाजली का जन्म 12 अक्तूबर 1938 को दिल्ली में हुआ था।

-वो थे तो कश्मीरी लेकिन उनकी शिक्षा ग्वालियर में हुई। उनके पिता भी बड़े शायर थे।

-विभाजन के समय उनके परिवार वाले पाकिस्तान चले गए।

-लेकिन निदा ने भारत में ही रहना मुनासिब समझा।

शायर के रूप में निदा की यात्रा

-निदा युवा अवस्था में एक दिन एक मंदिर के पास से गुजर रहे थे।

-उन्होंने सूरदास का भजन सुना जिसमें राधा अपने प्रेमी कृष्ण से बिछड़ने का दर्द बयां कर रही थीं।

-सूरदास के इस भजन से वह इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने लिखने के लिए कलम उठा ली।

निदा का बॉलीवुड से नाता

-नौकरी की तलाश में निदा 1964 में तब की बम्बई और आज की मुंबई आ गए।

-शुरुआत में वो हिन्दी पत्रिका धर्मयुग और साप्ताहिक अखबार ब्लिज में लिखते रहे।

-उनके हिन्दी और उर्दू के लिखने के स्टाइल ने हिंदी फिल्म निर्माताओं का ध्यान खींचा।

-हिन्दी के कवि और उर्दू के शायर भी उनसे मिलने लगे।

-निदा को मुशायरों में देश में ही नहीं विदेशों में भी बुलाया जाने लगा।

ऐसे रखा सिनेमा में कदम

सिनेमा में उनके कैरियर को उस वक्त उड़ान मिली जब निर्माता कमाल अमरोही ने उनसे संपर्क किया। कमाल अमरोही रजिया सुलतान बना रहे थे और इसके गीतकार जां निसार अख्तर की फिल्म के निर्माण के दौरान ही मौत हो चुकी थी। जां निसार अख्तर पटकथा लेखक और गीतकार जावेद अख्तर के पिता थे। निदा का फिल्म में लिखा गीत 'आई जंजीर की झंकार खुदा खैर करे' काफी हिट हुआ और वो सभी निर्माताओं की नजरों में आ गए।

निदा के गीत जो लोगों की जुबां पर आए

-तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है —आप तो ऐसे ना थे 1980

-तेरे लिए पलकों की झालर बूनूं —हरजाई 1981

-होश वालों को खबर क्या —सरफरोश 1999

-आ भी जा —सुर 2002

ये मिले सम्मान

-उर्दू के लिए साहित्य अकादमी अवार्ड कविता संग्रह खोया हुआ सा कुछ 1988

-पदम श्री 2013 स्टार स्क्रीन अवार्ड फिल्म सुर के लिए 2003

निदा के कुछ मशहूर गजल और शेर

-हम लबों से कह ना पाए उनसे हाले दिल कभी

-और वो समझे नहीं ए खामोशी क्या चीज है

-कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता

-कहीं जमीं तो कहीं आस्मां नहीं मिलता

-जिसे भी देखिए वो अपने आप में गुम है

-जुबां मिली है अगर हमजुबां नहीं मिलता

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