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कमाल नहीं दिखा सकी 'ए फ्लाइंग जट', फिर भी खूबसूरत संदेश तो देती है
फिल्म का टाइटल ट्रैक बेदम सा है। जबकि बीट पे बूटी फिल्म का सबसे पॉपुलर गाना..हालांकि गानों को फिल्माया अच्छा गया है। वीएफएक्स और सिनेमैटोग्राफी एक सुपरहीरो फिल्म के स्टैंडर्ड के नहीं लगते। डायरेक्शन में वो बात नहीं जो रेमो की बाकी फिल्मों जैसे एबीसीडी सीरीज़ में देखने को मिली थी। कुल मिलाकर ' ए फ्लाइंग जट ' अगर कुछ कमाल कर सकती है तो वो टाइगर श्रॉफ के मजबूत फैन बेस और बच्चों के बलबूते।
रेटिंग- 2.5/5
फिल्म - ए फ्लाइंग जट
कलाकार- टाइगर श्रॉफ, जैकलीन फर्नान्डिस, अमृता सिंह
नैथन जोन्स, के के मेनन, गौरव पाण्डेय आदि।
अवधि- 2 घंटा 31 मिनट
निर्देशक- रेमो डिसूजा
-प्रशान्त प्रखर
मेरी पहली राय- 'ए फ्लाइंग जट्ट' एक शानदार संदेश देती है मगर ये बचकानी है..इसे बच्चे खूब पसंद करेंगे मगर इसे एवरेज हिट से बड़ी हैसियत नहीं मिल पायेगी। कह सकते हैं कि ये टाइगर श्रॉफ की अभी तक आयी फिल्मों में सबसे कमज़ोर है और कहीं कहीं तो ये लगता है कि इस फिल्म की शूटिंग कहीं उन्होंने अपनी पहली फिल्म से भी पहले तो नहीं की।
कहानी- ये कहानी है अमन यानि टाइगर श्रॉफ, उसके परिवार, जिसमें उसकी मां अमृता सिंह हैं और एक दोस्त जैसा भाई यानि कि गौरव पाण्डेय है। ये लोग जहां हंसी खुशी जिन्दगी बसर कर रहे हैं वो जगह अमन के पिता करतार सिंह की बसायी हुई है। यहां एक पेड़ है, जिस पर सिक्खों का पवित्र चिन्ह उभरा हुआ है। ये पेड़ इन लोगों की आस्था का केन्द्र है और इसकी वजह से ही इनके जीवन में खुशहाली है ऐसा उनका मानना है। इस जमीन पर एक उद्योगी मल्होत्रा यानि के के मेनन की नज़र है..लेकिन लाख कोशिशों और अपमान के बाद भी उसे जमीन हासिल नहीं होती। जमीन हासिल करने के लिए वो एक दैत्याकार विदेशी ह्त्यारे राका यानि के नैथन जोन्स को पेड़ काटने के लिए भेजता है जहां राका और अमन में जानलेवा हैंड टू हैंड कॉम्बैट होता है। इसी हाथापाई के दौरान कुछ ऐसा होता है कि अमन बन जाता है दिव्य शक्तियों से लैस ए फ्लाइंग जट..और राका हारकर भी पा जाता है कुछ और खतरनाक शक्तियां जो समस्त मानव जाति के लिए हैं हानिकारक..आखिर क्या हैं वे शक्तियां..क्यों नाम पड़ा हमारे अमन का फ्लाइंग जट और कहानी में और क्या हैं ट्विस्ट, ये जानने के लिए देखनी होगी आपको फिल्म।
कहानी कहने का अंदाज़ पुराना
वैसे कहने को तो ये फिल्म नये जमाने की सुपरहीरो फिल्म है लेकिन फिल्म देखते वक्त यही लगता है कि बार बार वही बात बतायी जा रही है जो इससे पहले की सुपरहीरो फिल्मों में हम देख चुके हैं। एक बेहतरीन सुपरहीरो फिल्म की सबसे बड़ी मजबूती ये होती है कि वो भावनात्मक यानि की इमोशनल डिपार्टमेंट में काफी सशक्त होती है। लेकिन ए फ्लाइंग जट अपनी फिजूल की मसखरी में वो मौका गंवा देती है। दूसरी खासियत कि फिल्म के ग्राफिक्स और ऐक्शन में कमाल दिखना चाहिए मगर अफसोस ये फिल्म वहां भी सस्ती लगती है। इसके ट्रीटमेंट में न तो नयापन है और न किसी तरह का एक्साइटमेंट।
बचकानी अदाकारी
फिल्म की थीम के हिसाब से टाइगर श्रॉफ ने बहुत मेहनत की है। लेकिन वो एक्टिंग में मात खा जाते हैं। उन्हें इस बात का खयाल रखना होगा कि सुपरहीरो फिल्म में उनकी तुलना उनके ही आदर्श ऋतिक रौशन से होगी तो इस लिहाज से उन्हें थोड़ी और तैयारी की जरूरत है। जैकलीन बाकी फिल्मों जैसी ही लगी हैं। लेकिन इस फिल्म में वो बाकी फिल्मों जैसी आकर्षक भी नहीं लगीं। अमृता सिंह एक दारुबाज़ मां के रोल में काफी लाउड लगीं। जबकि के के मेनन ने ये रोल कयों किया ये भी समझ में नहीं आता। किसी एक कलाकार ने अगर ठीठ ठाक जस्टिस किया है तो वो हैं दोस्त के रोल में आये गौरव पाण्डेय। उनकी कॉमिक टाइमिंग और अल्हड़पन जस्टिफाइड हैं। नैथन जोन्स ने भी खतरनाक भूमिका निभायी है और उन्हें पूरे नंबर मिलने चाहिए। साथ ही उनके हिन्दी डायलॉग्स पर भी।
संगीत औसत-तकनीक में तेवर नहीं
फिल्म के संगीत की काफी बातें हो रहीं थीं। लेकिन फिल्म के साथ वो भी नहीं दिखता..फिल्म का टाइटल ट्रैक बेदम सा है। जबकि बीट पे बूटी फिल्म का सबसे पॉपुलर गाना..हालांकि गानों को फिल्माया अच्छा गया है। वीएफएक्स और सिनेमैटोग्राफी एक सुपरहीरो फिल्म के स्टैंडर्ड के नहीं लगते। डायरेक्शन में वो बात नहीं जो रेमो की बाकी फिल्मों जैसे एबीसीडी सीरीज़ में देखने को मिली थी। कुल मिलाकर ' ए फ्लाइंग जट ' अगर कुछ कमाल कर सकती है तो वो टाइगर श्रॉफ के मजबूत फैन बेस और बच्चों के बलबूते। हमारी ओर से फिल्म को पांच में से ढाई स्टार्स क्योंकि खामियों के बावजूद ये बहुत खूबसूरत सा संदेश दे जाती है।