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Old Songs in Hindi: खुद केंद्रीय मंत्री ने की थी इस फिल्म की प्रशंसा, गाना आज भी सदाबहार है
Aaiye Bahar Ko Hum Baant Le: यह गीत 1967 में आई फिल्म तकदीर का है।
Aaiye Bahar Ko Hum Baant Le Old Video Song: इस गीत की पृष्ठभूमि और भावभूमि दर्शनीय है। एक तरफ अमीर जिसके पास भोजन का अतिरेक है, दूसरी तरफ ग़रीब जिसके पास भूख की अधिकता है। गीत दोनों में सामंजस्य स्थापित करने की पैरवी करता है। यह गीत लोहिया प्रतिपादित समाजवादी विचारधारा से प्रेरित 1967 में आई फिल्म तकदीर का है।
आइए,बहार को
हम बांट लें
जिंदगी के प्यार
को हम बांट लें
मिल के रोएं .........
मिल के मुस्कुराए हम
अपनी जीत हार को
हम बांट लें
जिसके पास हो खुशी थोड़ी सी खुशी दे दे
जो बेबस हो बेचारा अपनी बेबसी दे दे
दर्द की पुकार को
हम बांट लें
प्यासा न रहे कोई भूखा न सोए कोई
तन्हां न हंसे कोई तन्हां न
रोए कोई
आंसुओं की धार को
हम बांट लें
यद्यपि इस फिल्म में "जिस देश में गंगा बहती है," सात हिंदुस्तानी, शहीद," रोटी कपड़ा और मकान " की तरह समाजवाद शब्द का प्रयोग संवादों के दौरान नहीं है , फिर भी फिल्म में तत्कालीन व्यवस्था की उस खामी का चित्रण है जिसमें अमीर और अमीर तथा गरीब और गरीब होता जा रहा है । फिल्म समृद्धि के समतामूलक बंटवारे की खुली पैरवी करती है । प्रख्यात समाजवादी नेता , ईमानदारी की प्रतिमूर्ति भारत के लोकसभा अध्यक्ष और कई बार संसद/केंद्रीय मंत्री रवि राय ने इस फिल्म की प्रशंसा की थी । फिल्म यूट्यूब पर मौजूद है, वहां हम देख सकते हैं।