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खूबसूरती-एक्टिंग का संगम थी ये एक्ट्रेस, रिया-राइमा इनकी तीसरी पीढ़ी

Admin
Published on: 6 April 2016 4:08 AM GMT
खूबसूरती-एक्टिंग का संगम थी ये एक्ट्रेस, रिया-राइमा इनकी तीसरी पीढ़ी
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मुंबई: बांग्ला सिनेमा की महान एक्ट्रेस सुचित्रा सेन का जन्म बांग्लादेश के पाब्ना जिले में 6 अप्रैल1931 को हुआ था। इन्होंने 1952 में पहली फिल्म शेष कोथाई में एक्टिंग किया, लेकिन ये फिल्म रिलीज नहीं हुई। इसके बाद इनकी फिल्म '7 नंबर कैदी' आई। इसके बाद 1955 में विमल रॉय की बांग्ला फिल्म देवदास में पारो का किरदार निभाया।

बॉलीवुड में भी इन्होंने कई फिल्में कीं। इसमें से फिल्म 'आंधी' की चर्चा रही। सुचित्रा सेन को 1972 में पद्मश्री सम्मान मिला। 2012 में इन्हें पश्चिम बंगाल सरकार के सर्वश्रेष्ठ अवॉर्ड बंग भूषण से सम्मानित किया था।

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अपनी सुंदरता के जरिए सुचित्रा ने बंगला फिल्मों को बेहद रोमांटिक बनाया और उनकी ज्यादातर बंगाली फिल्म में उनकी जोड़ी एक्टर उत्तम कुमार के साथ रहीं। उनके साथ सुचित्रा ने 20 साल तक साथ काम किया, लेकिन 31 फिल्मों में उत्तम कुमार के साथ लगातार काम करने, सफलता पाने और लोकप्रियता बटोरने के बाद उत्तम-सुचित्रा को लेकर मीडिया में कभी कोई गॉसिप या स्कैंडल नहीं छपे। जीवन के आखिरी क्षण में तीन दशक तक वे गुमनामी के अंधेरे में रही। वहीं, 14 जनवरी 2014 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। जानते हैं सुचित्रा सेन की जिंदगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध

सुचित्रा सेन का बचपन मध्यमवर्गीय परिवार में बीता था। तीन भाई और पांच बहनों में सुचित्रा का क्रम 5वां था। पिता करुणामय दासगुप्ता और मां का नाम इन्दिरा था। बचपन में घर का नाम कृष्णा था। पिता जब हाई स्कूल में भर्ती करने गए तो नाम लिखवाया रोमा और जब पहली बार स्क्रीन टेस्ट हुआ तो निर्देशक नितीश राय ने नया नाम दिया- सुचित्रा।

हर एंगल से ब्यूटीफुल

सुचित्रा सेन की खूबसूरती की मल्लिका कहा जाता है। उनके बारे में कहा जाता है कि उनके जैसा फोटोजनिक फेस बहुत एक्ट्रेस में कम देखने को मिलता है। कैमरे के हर एंगल से उनकी खूबसूरती निखर कर आती थी। इसलिए अधिकांश फिल्मों में सिनेमाटोग्राफर्स ने उनके चेहरे के क्लोज-अप्स शॉट लिए है। उनका क्लोज-अप फेस बहुत अट्रैक्टिव था।

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कम हिंदी फिल्मों के बावजूद एक्टिंग में छोड़ी छाप

सबसे पहले बिमल राय की फिल्म देवदास (1955) में उन्होंने पार्वती (पारो) का रोल किया और फिल्म को यादगार बनाया। बिमल राय पहले इस रोल के लिए मीना कुमारी को लेना चाहते थे। लगातार शूटिंग डेट्स न दे पाने के कारण बिमल दा की दूसरी पसंद मधुबाला थी, लेकिन नया दौर फिल्म के दौरान उपजे विवाद की वजह से दिलीप साहब और मधुबाला में अनबन चल रही थी। इसलिए सुचित्रा सेन को पारो का किरदार मिला। दिलीप कुमार ने सुचित्रा सेन की प्रशंसा करते एक बार कहा था कि उन्होंने पहली बार किसी एक महिला में खूबसूरती और बुद्धि दोनों का अद्भुत तालमेल देखा।

उनकी दूसरी हिंदी फिल्म मुसाफिर (1957) ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी। इसमें दिलीप कुमार से भी सीनियर ही एक्टर शेखर, सुचित्रा के नायक बने। इसके बाद चम्पाकली (1957) फिल्म में भारत भूषण के साथ काम किया। ये दोनों कमजोर फिल्में साबित हुईं। देव आनंद के साथ सुचित्रा की दो फिल्में हैं- बम्बई का बाबू और सरहद (1960)।

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लेकिन देव आनंद ने सुचित्रा के अभिनय की तारीफ फिल्म आंधी के लिए की है। दरअसल देखा जाए, तो सुचित्रा सेन की अभिनय क्षमता, बॉडी लैंग्वेज और मैनेरिज्म का सही उपयोग गुलजार साहब ने फिल्म आंधी में ही किया है। संजीव कुमार के साथ उनकी जोड़ी लाजवाब रही। आंधी 1975 में रिलीज होते ही इमरजेंसी की शिकार हो गई।

उसकी नायिका आरती (सुचित्रा सेन) के किरदार को सीधे प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के जीवन से जोड़ा गया। फिल्म पर प्रतिबंध लगा और इमरजेंसी हटने के बाद जब आंधी रिलीज हुई, तो उसे हर वर्ग के दर्शकों का भरपूर समर्थन मिला।

फिल्म ममता (1966) में सुचित्रा ने मां और बेटी के दोहरे किरदार को निभाया है। अशोक कुमार के साथ धर्मेन्द्र ने प्रेमी का रोल इस फिल्म में निभाया था। अपनी लोकप्रियता के शिखर पर रहते हुए उन्होंने संन्यास लेकर सबको चौंका दिया।

पति के साथ ने उन्हें फिल्मों स्थापित किया

1947 में कलकत्ता के बार-एट-लॉ आदिनाथ सेन के बेटे दिबानाथ सेन के साथ रोमा यानी सुचित्रा की शादी हुई। शादी में दहेज नहीं मांगा गया था, उस समय की अनहोनी घटना थी। पति ने ही सुचित्रा को फिल्मों में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। सुचित्रा ने पहली फिल्म शेष कोथाई (1952) में काम किया था, मगर आज तक ये फिल्म रिलीज नहीं हो पाई।

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रिया-राइमा की नानी

दिबानाथ मनमुटाव की वजह से अमेरिका चले गए और 1969 में एक दुर्घटना में उनकी असामयिक मौत हो गई। इसके बाद सुचित्रा ने कभी शादी के बारे में नहीं सोचा। बेटी मुनमुन की परवरिश कर उसे अभिनेत्री बनाया। आज उनकी दो ग्रेंड डॉटर रिया और राइमा सेन फिल्म अभिनेत्री हैं।

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