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MOVIE REVIEW: एक्शन-इमोशन से लबरेज है सिंघम की 'शिवाय', एक बार जरूर देख आएं

कई दिनों से अजय देवगन के फैंस इस दिवाली उनकी मोस्ट अवेटेड फिल्म शिवाय को देखने के लिए बेताब थे। शुक्रवार को रिलीज हुई इस फिल्म ने जाहिर तौर पर बॉलीवुड के सिंघम यानी अजय देवगन के हार्ड कोर फैंस को निराशा हाथ नहीं लगने दी लेकिन इस फिल्म की कहानी के घुमावदार होने की वजह से फिल्म का क्लाइमैक्स जरूर निराश करता है। फिल्म शिवाय का क्लाइमैक्स इसे एवरेज फिल्म बना देता है और कई जगह हंसी का पात्र भी। मगर ये एक बार देखने लायक फिल्म है क्योंकि ये वाकई एक मेगा प्रोजेक्ट है जो भारतीय सिनेमा को लार्ज स्केल की फिल्म बनाने को नई दिशा दिखाती है।

tiwarishalini
Published on: 28 Oct 2016 2:36 AM IST
MOVIE REVIEW: एक्शन-इमोशन से लबरेज है सिंघम की शिवाय, एक बार जरूर देख आएं
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फिल्म- शिवाय

रेटिंग- 2.5/5

स्टार कास्ट- अजय देवगन, सायेशा सहगल, एरिका कार, एबिगेल यम्स, वीर दास, गिरीश कर्नाड, सौरभ शुक्ला

डायरेक्टर/प्रोड्यूसर- अजय देवगन

म्यूजिक- मिथुन

अवधि- 2 घंटा 49 मिनट

कई दिनों से अजय देवगन के फैंस इस दिवाली उनकी मोस्ट अवेटेड फिल्म शिवाय को देखने के लिए बेताब थे। शुक्रवार को रिलीज हुई इस फिल्म ने जाहिर तौर पर बॉलीवुड के सिंघम यानी अजय देवगन के हार्ड कोर फैंस को निराशा हाथ नहीं लगने दी लेकिन इस फिल्म की कहानी के घुमावदार होने की वजह से फिल्म का क्लाइमैक्स जरूर निराश करता है। फिल्म शिवाय का क्लाइमैक्स इसे एवरेज फिल्म बना देता है और कई जगह हंसी का पात्र भी। मगर ये एक बार देखने लायक फिल्म है क्योंकि ये वाकई एक मेगा प्रोजेक्ट है जो भारतीय सिनेमा को लार्ज स्केल की फिल्म बनाने को नई दिशा दिखाती है।

अगली स्लाइड मं जानिए क्या फिल्म शिवाय की कहानी

ये है फिल्म शिवाय की कहानी

फिल्म शिवाय की कहानी अजय देवगन के इंट्रोडक्शन से शुरू होती है।हिमालय की चोटी पर चिलम के नशे में पड़़े शिवाय यानि अजय देवगन हैरतअंगेज करतब दिखाते हुए नीचे जमीन पर आते हैं और नीचे खडे आर्मी के जवान उनकी तारीफ में कसीदे पढ़ना शुरू कर देते हैं। शिवाय अनाथ है और पर्वतारोहियों को सही तरीके से हिमालय की चोटी तक जाने में मदद करता है।इसी दौरान वो मिलता है बल्गेरिया से आई एक पर्वतारोही ओल्गा यानि एरिका कार से। ओल्गा दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ती है और उसकी हिन्दी भी काफी शानदार है। इसी दौरान एक जानलेवा हादसा पेश आता है और एरिका और शिवाय एक दूसरे के बहुत करीब आ जाते हैं।

मगर न तो शिवाय बुल्गारिया जाकर बसना चाहता है और न ही एरिका हिमालय की गोद में जीवन बिताना चाहती है। नतीजा दोनों अलग हो जाते हैं। मगर एरिका जो शिवाय के बच्चे की मां बनने वाली है वो शिवाय की गुजारिश पर अपनी बच्ची को भारत में उसके पास छोड़कर चले जाने के लिए राजी होती है। बच्ची गौरा यानि एबिगेल एम्स की परवरिश शिवाय एक पर्वतारोही की तरह करता है, लेकिन गौरा को एक दिन पता चल जाता है कि उसकी मां उसे छोड़ बुल्गारिया चली गई।

अब बच्ची मां से मिलना चाहती है। शिवाय उसे लेकर बुल्गारिया भी चला जाता है, लेकिन वहां बाप बेटी किस जंजाल में फंस जाते हैं और एंबेसी मे काम करने वाली अनुष्का यानि सायेशा कैसे और क्यों इन दोनो की जिंदगी में आती हैं बस यही घुमावदार कहानी है फिल्म शिवाय की। कहानी घुमावदार मगर आसानी से कई गई है, लेकिन ये इंटरवल तक ज्यादा साफ है।

इंटरवल के बाद फिल्म अपने प्लॉट में बहुत कुछ जोड़ने दिखाने के चक्कर में मूल कहानी से भटक जाती है। फिल्म का सबसे स्ट्रॉन्ग इमोशनल हिस्सा बाप बेटी का रिश्ता हो सकता था लेकिन उसे भी जाया किया गया है। क्लाइमैक्स में फिल्म आपकी उम्मीद से उलट बेवकूफियां करती है और फिल्म की इंटेसिटी को खा जाता है यही क्लाइमैक्स।

अभिनय- ये फिल्म वाकई सिर्फ शिवाय की है। अजय देवगन का किरदार शिव के सिर्फ विनाशकारी रूप से जोड़ा गया है और वो इसमें कमाल करते हैं। खासतौर पर एक्शऩ सीन्स में उनकी बॉड़ी लैग्वेज बेहतरीन है। पोलिश अभिनेत्री एरिका कार ने भी काबिल-ए-तारीफ काम किया है और उनकी मेहनत दिखती है। खासतौर पर हिन्दी में बोले उनके डायलॉग अच्छे लगते हैं। सायेशा सहगल के पास बहुत कुछ करने को नहीं था, लेकिन उन्होने पहली फिल्म के हिसाब से आत्मविश्वास दिखाया है। लेकिन जिस एक एक्ट्रेस के आप कायल हुए बगैर नहीं रह पाएंगे वह हैं बाल कलाकार एबिगेल एम्स। उनकी मासूमियत बिना बोले उनके इमोशन्स, गुस्सा, खुशी, डर, मानो उस एक बच्ची ने अपने अभिनय में अभिनय के नौ रस पिरो दिए हों। इस फिल्म में वीर दास उर्दू बोलने वाले एक हैकर की छोटी सी भूमिका में फिल्म को कॉमिक रिलीफ देते हैं। वहीँ गिरीश कर्नाड और सौऱभ शुक्ला जैसे उम्दा कलाकार जाया हुए हैं।

तकनीक- फिल्म शिवाय का सबसे मजबूत पक्ष है तकनीक। साबू सायरिल का प्रोडक्शन डिजायन हो या असीम बजाज का हिमालय से लेकर बुल्गारिया की सड़क तक शूट करने का अंदाज या फिर एक्शन और वीएफएक्स टीम का कमाल ये सब फिल्म को उपर उठाते हैं।

वर्डिक्ट-रेटिंग- फिल्म शिवाय अगर थोड़ी छोटी होती या फिर क्लाइमैक्स को उसकी ठीक जगह रोककर बेवजह का इमोशनल ड्रामा न दिखाया होता तो ये एवरेज से बेहतर थी , लेकिन ये अजय देवगन के हार्डकोर फैन्स के लिए एक ट्रीट जरूर है।



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tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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