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Pushpa: जाने 'पुष्पा' में दिखाए गए लाल चंदन की खासियत, चोरी-छिपे क्यों होती है इसकी तस्करी

Pushpa: आइए जानते हैं उस जंगल और चंदन के बारे में जिसपर फिल्म पुष्पा का कहानी लिखी गई है।

Priya Singh
Written By Priya Singh
Published on: 18 Jan 2022 3:54 PM IST
Pushpa
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Pushpa (Photo - Socialmedia)

Pushpa : साउथ सिनेमा की पुष्पा की हर तरफ चर्चा हो रही है। इस फिल्म ने बिना फिल्म का प्रमोशन किए भी बहुत कम समय में बहुत अच्छा पैसा कमाया है। अगर आपने यह फिल्म देखी है तो आपने देखा होगा कि पुष्पा एक जंगल में लाल चंदन की तस्करी की कहानी है। पुष्पा सिनेमा दिखाता है कि कैसे लाल चंदन की तस्करी की जाती है और यह लाल चंदन कैसे बेचा जाता है। वैसे तो फिल्म की कहानी अक्सर काल्पनिक होती है, लेकिन इस फिल्म की कहानी लगभग हकीकत पर आधारित है। जी हां, दक्षिण भारत में असली में ऐसे जंगल हैं और इन्हें भारत का खजाना माना जाता है।

भारत का खजाना माने जाने वाले इस जंगल का नाम शेषचलम वन है। यह जंगल शेषचलम पहाड़ियों के पांच लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। यह जंगल लाल चंदन के लिए जाना जाता है। लाल चंदन केवल आंध्र प्रदेश राज्य के कडप्पा, चित्तूर और नेल्लोर जिलों में पाया जाता है। इस जंगल का अधिकांश भाग निर्यात किया जाता है। लेकिन ज्यादातर समय वह भाग अवैध रूप से बाहर पाए जाते हैं। इस जंगल की खासियत यह है कि ये लाल चंदन से भरा हुआ है। लाल चंदन की बाजार में बहुत कीमत होती है।

चंदन के पेड़ों की रखवाली स्पेशल टास्क फोर्स के जवान करते हैं

आम जंगलों में लाल चंदन की दुर्लभता के कारण तस्करों की इस जंगल पर विशेष नजर रहती है। तस्करों को इस जंगल से काफी फायदा मिलता है। हालांकि अब इन पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी गई है। आंध्र प्रदेश के इस क्षेत्र में जाना अवैध है। लाल चंदन का वैज्ञानिक नाम पटरोकार्पस सैंटालिनस है। कहा जाता है कि चंदन के पेड़ों की रखवाली स्पेशल टास्क फोर्स के जवान करते हैं। हालांकि, यहां पाए जाने वाले विशेष लाल चंदन के पेड़ों की संख्या में 50 फीसदी की कमी पाई गई है। ये चोरी - छिपे तस्करी करने के कारण ही संभव हो पाया है।

लाल चंदन की तस्करी करने वालों को 11 साल की सजा

बता दें कि तस्कर चेन्नई, मुंबई, तूतीकोरिन और कोलकाता के बंदरगाहों के माध्यम से हर साल हजारों टन लाल चंदन की तस्करी करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। वो अधिकांशत : नेपाल और तिब्बत में इन चंदनों का व्यापार करते हैं और मुनाफा कमाते हैं। लाल चंदन का प्रमुख बाजार चीन में है। तस्कर लाल चंदन के लकड़ी को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए इसे सरसों की खली, नारियल के रेशे और नमक की शीट में छिपा देते हैं। 2015 में झड़पों में कई तस्कर मारे गए थे। अब अगर कोई व्यक्ति यहां तस्करी करता हुआ पाया जाता है तो उसे 11 साल कैद की सजा हो सकती है।

लाल चंदन का क्या उपयोग है?

बाजार में लाल चंदन की फर्नीचर, सजावटी वस्तुओं और पारंपरिक उपकरणों की अत्यधिक मांग है। इसके अलावा हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां, फोटो फ्रेम और घरेलू बॉक्स भी बनाई जाती हैं। जापान में इस लकड़ी की विशेष उपकरणों की वजह से मांग है। ऐसा कहा जाता है कि इसका उपयोग दवाओं, इत्र, चेहरे की क्रीम, सुगंध और यहां तक ​​कि कामोद्दीपक के निर्माण में भी किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चंदन की कीमत काफी ज्यादा है। चीन, जापान, सिंगापुर, यूएई, ऑस्ट्रेलिया समेत कई अन्य देशों में इस लकड़ी की मांग है, लेकिन सबसे ज्यादा मांग चीन में है।



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