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सदी के महानायक अमिताभ बच्चन टीबी की बीमारी से रोकथाम और उसके इलाज से संबंधित विज्ञापन के लिए एक पैसे भी नहीं लेते। क्या आप जानते हैं क्यों?
लखनऊ: सदी के महानायक अमिताभ बच्चन टीबी की बीमारी से रोकथाम और उसके इलाज से संबंधित विज्ञापन के लिए एक पैसे भी नहीं लेते। क्या आप जानते हैं क्यों?
अमिताभ आज (11 अक्टूबर) को पूरे 75 साल के हो जाएंगे लेकिन वो इस बार कुछ कारणों से अपना जन्मदिन नहीं मना रहे हैं। अमिताभ बच्चन की दादी सरस्वती देवी ,पिता हरिवंश राय बच्चन की पहली पत्नी श्यामा की मौत भी टीबी रोग से मात्र 24 साल की उम्र में ही हुई थी। इसके अलावा अमिताभ खुद इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। यही वजह है कि अमिताभ अब इस बीमारी के रोकथाम और इसके विज्ञापन के लिए कोई हर्ज नहीं लेते।
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ये कभी जानलेवा बीमारी मानी जाती थी। हालांकि अब इसका इलाज आसान,सरल और कम खर्चीला हो गया है।
अमिताभ का जन्म जब हुआ तो अस्पताल से उनकी मां तेजी बच्चन उन्हें अपने नही बल्कि पति हरिवंश राय के एक दोस्त महेश बाबू के घर लेकर तांगे से गईं ।
रंगमंच करने वाली तेजी सूरी से 24 जनवरी 1942 को रजिस्टर्ड मैरिज करने के बाद हरिवंश राय बच्चन अपना घर छोड़ इलाहाबाद के सिविल लाइंस के करीब रोड पर स्थित शंकर तिवारी के बंगले में किराए पर रहने चले गए थे। कायस्थ परिवार से ताल्लुक रखने वाले बच्चन का पंजाबी लड़की से शादी करना उनकी मां और घरवालों को मंजूर नहीं था। सास सरस्वती देवी और परिवार के अन्य लोगों द्वारा नापसंद किए जाने से तेजी बच्चन बहुत दुखी हुईं और इसी वजह से वो आजीवन अपने ससुर के घर में नहीं गई।
11 नवंबर 1942 को जब अमिताभ बच्चन का जन्म डॉक्टर बरार की क्लीनिक में हुआ था। तब वहां से डिस्चार्ज होने के बाद हरिवंशराय बच्चन के सामने समस्या खड़ी हो गई थी। तेजी उनके पैतृक घर में जाने को तैयार नहीं थीं और किराए वाले मकान में उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। उस समय उनके पुराने दोस्त और पड़ोसी महेश बाबू गुप्ता पहुंचे और अमिताभ-तेजी बच्चन को तांगे से अपने घर लेकर आए।
महेश बाबू गुप्ता के घर में आज भी वो कमरा मौजूद है, जिसमें तेजी बच्चन नवजात शिशु को लेकर रहती थी। साथ में वो पलंग-सोफा भी हैं, जिसमें अमिताभ अपनी मां के साथ सोते-बैठते थे।