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Amitabh Bachchan Birthday: क्यों अमिताभ बच्चन कृतज्ञ हैं अपने उस अनाम गुरु के

Amitabh Bachchan Birthday: अमिताभ ने अनेक पुरस्कार जीते हैं, जिनमें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार, तीन राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार और बारह फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार सम्मिलित हैं। उनके नाम सर्वाधिक सर्वश्रेष्ठ अभिनेता फ़िल्मफेयर अवार्ड का रिकार्ड है।

RK Sinha
Written By RK Sinha
Published on: 10 Oct 2023 3:47 PM IST
Amitabh Bachchan Birthday
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Amitabh Bachchan Birthday: (सोशल मीडिया) 

Amitabh Bachchan Birthday: अमिताभ बच्चन ने जब अपने फिल्मी करियर का श्रीगणेश किया, तब 1970 के दशक का आरंभ हो रहा था। भारत में श्रीमती इंदिरा गांधी प्रधनामंत्री थीं। अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन थे। वो आधी सदी पहले की दुनिया आज से हर मायने में अलग थी।इन पचास सालों में बहुत कुछ बदला, पर अमिताभ बच्चन अब भी करोडों सिने प्रेमियों की पसंद बने हुए हैं। उन्होंने इस दौरान न जाने कितनी सुपर हिट फिल्में दीं। टीवी पर अपनी धाक जमाई। विज्ञापन के संसार के शिखर पर रहे। कुछ समय तक राजनीति करने के बाद उसे इस तरह से छोड़ा कि फिर मुड़कर नहीं देखा। उन्हें भारतीय सिनेमा का सर्वकालिक महानतम अभिनेता माना जा सकता है।

अमिताभ ने अनेक पुरस्कार जीते हैं, जिनमें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार, तीन राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार और बारह फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार सम्मिलित हैं। उनके नाम सर्वाधिक सर्वश्रेष्ठ अभिनेता फ़िल्मफेयर अवार्ड का रिकार्ड है। अभिनय के अलावा बच्चन ने पार्श्वगायक, फ़िल्म निर्माता, टीवी प्रस्तोता के रूप में भी अपनी छाप छोड़ी है। वे लोकप्रिय टीवी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में कई वर्षों से मेज़बान की भूमिका भी निभाते आए हैं। इस शो में उनके द्वारा किया गया 'देवियों और सज्जनों' संबोधन बहुचर्चित रहा।


अमिताभ बच्चन की शख्सियत से आप प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते। आज उनके जन्म दिन पर हम उस शख्स की बात करना चाहेंगे ।जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचाना और फिर गढ़ा भी। बेशक, वे भी इस मौके पर उन शख्सियतों को जरूर याद करेंगे जिनके मार्गदर्शन के चलते उन्होंने शिखर को छुआ। वे दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज (केएम कॉलेज) के अपने गुरु फ्रेंक ठाकुर दास को नहीं भूल सकते। वहां पर फ्रेंक ठाकुर दास सभागार मिलेगा। अमिताभ बच्चन 1962 में केएम कॉलेज में बी.एससी के छात्र थे। तब तक उनका एक्टिंग या रंगमंच की तरफ कोई विशेष रूझान नहीं था। पर एक दिन फ्रेंक ठाकुर दास ने उन्हें अपने पास बुलाकर कहा कि वे कॉलेज की रंगमंच की गतिविधियों से जुड़ेँ।


यह बात अमिताभ बच्चन ने केएम कॉलेज के एक कार्यक्रम में खुद बताई थी। उसके बाद फ्रेंक ठाकुर दास ने उन्हें कॉलेज की ड्रामा सोसायटी की तरफ से होने वाले अंग्रेजी और हिन्दी के नाटकों से जोड़ा। उन्होंने ही अमिताभ बच्चन को अभिनय की तमाम बारीकियों से रु ब रु भी करवाया। दिल्ली विश्व विद्लाय और केएम कॉलेज बिरादरी फ्रेंक ठाकुर दास को अपने संरक्षक और मार्गदर्शक के रूप में याद करती है।


फ्रेंक ठाकुर दास केएम कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर थे। उन्हें रंगमंच की दुनिया की भी गहरी समझ थी। वे खुद भी रंगकर्मी थे। केएम कॉलेज में होने वाले नाटक, डिबेट और अन्य खास कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेते थे।अमिताभ बच्चन ने अभिनय और रंगमंच का पहला पाठ फ्रेंक ठाकुर दास से सीखा था। फ्रेंक ठाकुर दास पंजाबी ईसाई थे। उन्होंने अपने कॉलेज में ड्रामा सोसायटी की स्थापना की थी। वे केएम कॉलेज से लगभग चार दशकों तक जुड़े रहे। फ्रेंक ठाकुर दास अपनी कक्षाएं समाप्त करने के बाद अपने ड्रामा क्लब की गतिविधियों में व्यस्त हो जाते थे। सुबह से देर शाम तक छात्रों के बीच रहा करते। फ्रेंक ठाकुर दास के कृतज्ञ छात्रों ने कुछ समय पहले उनके नाम पर बन रहे सभागार के निर्माण के लिए दिल खोलकर सहयोग दिया था। अमिताभ बच्चन ने खुद इस नेक काम के लिए 51 लाख रूपये की सहयोग राशि दी थी।

फ्रेंक ठाकुर दास के खास शार्गिदों में सतीश कौशिक, कुलभूषण खरबंदा, शक्ति कपूर, दिनेश ठाकुर जैसे बॉलीवुड के बड़े नाम भी रहे। ये सब भी केएम कॉलेज में ही थे। उन्होंने इन सबको भी अभिनय, निर्देशन, मंच सज्जा आदि की जानकारी दी। फ्रेंक ठाकुर दास की शख्सियत बहुआयामी थी। वे इंग्लिश के भी विद्वान। राजधानी में देश के बंटवारे के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी ने कैंप कॉलेज खोला था। वे वहां पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश पढ़ाते थे। कैंप कॉलेज इसलिए खोला गया था ताकि बंटवारे के कारण जिन शऱणार्थी परिवारों के बच्चों की प़ढ़ाई बाधित हुई थी, वे उधर दाखिला लेकर पढ़ाई पूरी कर लें। इधर अध्यापकों को सांकेतिक मानदेय ही मिलता था। पर फिर भी फ्रेंक ठाकुर दास इसमें पढ़ाते रहे। उन्हें पता था कि किन विषम परिस्थितियों में पंजाबी शऱणार्थी जिंदगी बसर कर रहे हैं। उनके नाम पर केएम कॉलेज में हर साल एक डिबेट प्रतियोगता का भी आयोजन होता है।


बहरहाल, अमिताभ बच्चन की पूरी शख्सियत गरिमामय है। उसमें नकारात्मकता कतई नहीं है। ये गुण भी उन्होंने फ्रेंक ठाकुर दास से सीखा। फ्रेंक जी के पास किसी की निंदा रस लेने का वक्त नहीं था। वे दिन-रात अपने काम में लगे रहते थे। अमिताभ बच्चन भी 80 साल का होने पर भी अपने काम-काज में मस्त रहते हैं। वे अपने आलोचकों की बक-बक का उत्तर नहीं देते। वे अपने आलोचकों की टिप्पणइयों पर निर्विकार रहते हैं। कई परम ज्ञानी कहते हैं कि वे तमाम उत्पादों का विज्ञापन पैसा कमाने के लिए करते हैं। इन महान ज्ञानियों से कोई पूछे कि उन्हें अमिताभ बच्चन के लगातार काम करने से उन्हें इतनी दिक्कत क्यों हैं। क्या इसलिए क्योंकि उन्हें कोई घास नहीं डालता?





अमिताभ बच्चन ने अपनी उम्र के अनुकूल हर तरह के किरदारों को पर्दे पर निभाया और अपने अभिनय से जीवंत बनाया। उन्होंने बढ़ती उम्र को नजरअंदाज करते हुए छैल-छबीला नायक बने रहने की जिद वाली परंपरा से इतर राह पकड़ी और फिल्मी दुनिया के लेखकों ऒर निर्देशकों ने उनके लिये लीक से हटकर उम्रदराज नायक वाले चरित्र भी गढ़े। इन चरित्रों के जरिए अमिताभ अभिनय कला के नये प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं। उनकी ऊर्जा में अभी भी कोई कमी नहीं है इसलिए तमाम संभावनाएं अभी खुली हुई हैं।अमिताभ बच्चन के करोड़ों चाहने वालों की ख्वाहिश है कि वे आगे भी लंबे समय तक फिल्मों में काम करते हुए आनंद के क्षण देते रहे।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)



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Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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