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Amitabh Bachchan की जिस आवाज को आकाशवाणी ने किया रिजेक्ट, वही बनी करियर का वरदान

Megastar Amitabh Bachchan Birthday: अमिताभ बच्चन और उनकी आवाज के आज सभी दिवाने हैं। लेकिन एक वक्त ऐसा था जब आकाशवाणी ने उनकी आवाज के कारण उनको रिजेक्ट कर दिया था और कहा था कि आपकी आवाज रेडियो के काबिल नहीं है।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 11 Oct 2021 4:05 AM GMT (Updated on: 11 Oct 2021 4:34 AM GMT)
Megastar Amitabh Bachchan Birthday
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मेगास्टार अमिताभ बच्चन। (Social Media)

Amitabh Bachchan : सदी के महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan Ka Janmdin) का आज जन्म दिन है। देश दुनिया में वह किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्हें दुनिया भर के लोग बिग बी के नाम से भी जानते हैं। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (Amitabh Bachchan Ka Allahabad House) जिले कें एक 11 अक्टूबर, 1942 को एक कायस्थ परिवार में जन्मे अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan Ka Parivar) के पिता डॉ. हरिवंश राय बच्चन एक प्रसिद्ध हिन्दी कवि थे, जबकि सिख परिवार से ताल्लुक रखने वाली उनकी माँ तेजी बच्चन स्टेज शो में भाग लिया करती थी।


कवि सुमित्रानंदन पंत ने अमिताभ (Amitabh Bachchan ka Nam) रक्खा था नाम

इलाहाबाद में कवि डॉ हरिवंश राय बच्चन (Amitabh Bachchan Father) और तेजी बच्चन की बड़ी संतान का नाम प्रख्यात कवि सुमित्रानन्दन पंत ने रखा था। हुआ यूं हरिवंश राय बच्चन के मित्र सुमित्रानंदन पंत अल्मोड़ा से इलाहाबाद उनके घर आए थें। वह हरिवंश राय बच्चन के घर के बगल में ही रहते थे। नर्सिंग होम में पंतजी ने नवजात शिशु की तरफ इशारा करते हुए कवि बच्चन से कहा था, ''देखो तो कितना शांत दिखाई दे रहा है, मानो ध्यानस्थ अमिताभ''। यह नाम तेजी बच्चन को पसंद आया । उन्होंने यही नाम रख दिया। लेकिन हरिवंश राय बच्चन के प्राध्यापक मित्र अमरनाथ झा का कहना था कि भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि में जन्मे बालक का नाम इंकलाब राय रख जाए। बहुत दिनों तक अमिताभ बच्चन को इंकलाब भी कहा जाता रहा। अमरनाथ झा ने हरिवंश राय बच्चन के दूसरे पुत्र अजिताभ का नाम देश की आजादी के वर्ष 1947 में पैदा होने के मद्देनजर आजाद राय रखने का सुझाव दिया था।

आकाशवाणी ने आवाज को बताया था नाकाबिल (Amitabh Bachchan Ki Aawaj)

शेरवुड स्कूल नैनीताल में पढाई करने के बाद उन्होंने दिल्ली के किरोडी मल से ग्रेजुएशन किया। पढ़ाई-लिखाई में तेज अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan Ka Javan Parichay) ने बीस साल की उम्र में कोलकता की एक शिपिंग फर्म की नौकरी की। परन्तु यहां पर उनका मन नहीं लग रहा था। मां तेजी बच्चन के स्टेज से जुडे़ होने के कारण वह भी कुछ अलग करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने पहले आकाशवाणी में काम करने का फैसला किया। पर यहां पर उनको निराशा हाथ लगी। अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan Ka Bachpan) से कहा गया कि आपकी आवाज रेडियो के काबिल नहीं है।


ख्वाजा अहमद अब्बास ने पहली बार सात हिन्दुस्तानी में दिया छोटा रोल

अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan Ka career) ने अपने कैरियर की शुरूआत ख्वाजा अहमद अब्बास के निर्देशन में बनी फिल्म सात हिन्दुस्तानी के सात कलाकारों में एक कलाकार के तौर पर की। फिल्म तो सफल नहीं रही। पर अपनी पहली ही फिल्म (Amitabh Bachchan Ki Pahli Film) में सर्वश्रेष्ठ नवागंतुक कलाकार का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। इसके बाद उनकी फिल्म आनंद आई जिसमें उन्होंने राजेश खन्ना के साथ काम किया। इस फिल्म के लिए उन्हे सहायक कलाकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। इसके बाद अमिताभ ने 'परवाना' में काम किया। इस बीच उनकी कई फिल्में आई जिनमें रेशमा और शेरा, 'बॉम्बे टू गोवा' प्रमुख थी । पर ये फिल्में असफल रहीं। कुछ फिल्मों में उन्होंने सहायक कलाकार के तौर पर भी काम किया।

अभिनेता महमूद के घर पर रहा करते थे अमिताभ (Amitabh Bachchan Mahmood Ka rishta)

अमिताभ बच्चन जब बॉम्बे में फिल्मों के लिए संघर्ष (Amitabh Bachchan Ka struggle) कर रहे थे तो उन दिनों वह सफल कॉमेडियन महमूद के घर पर ही रहा करते थे। कुछ असफल फिल्में करने के बाद यूपी के बिजनौर जिले के रहने वाले निर्माता व निर्देशक प्रकाश मेहरा ने इन्हें अपनी फिल्म जंजीर में इंस्पेक्टर विजय की भूमिका के रूप में अवसर दिया तो उनके कैरियर में बड़ा मोड़ आ गया। वह बॉलीवुड के एक्शन हीरो बन गए। यह उनकी पहली फिल्म थी, जिसमें उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार (Amitabh Bachchan Film Purushkar) मिला।


जया भादुड़ी से विवाह के बाद बदली किस्मत (Amitabh Bachchan Ki Shadi)

इसी साल उनका विवाह अभिनेत्री जया भादुडी से हुआ।.उनकी और जया बच्चन (Amitabh Bachchan Wife Jaya Bachchan) की फिल्म अभिमान भी रिलीज हुई। इसके बाद उन्होंने 'रोटी कपड़ा और मकान', 'मजबूर', 'चुपके-चुपके', से लेकर अपराध पर आधारित फिल्म 'फरार' और रोमांटिक फिल्म 'मिली' में अपने अभिनय के जौहर दिखाए। यश चोपड़ा की 'दीवार' के अलावा रमेश सिप्पी की 'शोले' जबरदस्त हिट साबित हुई। इन फिल्मों के अलावा 'कभी-कभी' 'अमर अकबर एन्थनी' 'चुपके चुपके' 'कस्मे वादे' 'त्रिशूल' 'मुकद्दर का सिकन्दर' आदि हिट रही।

मिस्टर नटवरलाल में की पहली बार गायकी

1979 में पहली बार अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan Ke ansune kisse) ने मिस्टर नटवरलाल नामक फिल्म के लिए अपनी सहयोगी कलाकार रेखा के साथ काम करते हुए गीत गाने के लिए अपनी आवाज का उपयोग किया। 'काला पत्थर' में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार और पार्श्व गायक का भी सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार मिला। इसके बाद उन्हे 'काला पत्थर' में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया। बिग बी की दोस्ताना वर्ष 1980 की शीर्ष फिल्म साबित हुई। इसके बाद 'सिलसिला' 'राम- बलराम' 'शान' 'लावारिस' और 'शक्ति' जैसी फिल्में शामिल थी।


पुनीत इस्सर के घूंसे ने पहुंचा दिया अस्पताल

कुली फिल्म में शूटिंग के दौरान एक सीन में उन्हें गहरी चोट लगी। पुनीत इस्सर के एक घूंसे के बाद जब वह पलटे तो मेज का कोना उनके लगा, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनके मरने तक की अफवाहें फैली। बहुत से भारतीयों ने मंदिरों में पूजा अर्चनाएं तक की। इस घटना के बाद लोगों के दिलों में अमिताभ बच्चन ने अपनी जगह और मजबूत बना ली। इसके बाद वह इंदिरा परिवार के और नजदीक आ गए।

31 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद अपने पुराने मित्र राजीव गांधी के सपोर्ट में वह राजनीति में उतरे। इलाहाबाद लोकसभा सीट से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा को चुनाव में हराया। इसके बाद बोफोर्स मामले में नाम आने के बाद अमिताभ ने राजनीति से किनारा कर लिया। 1988 में अमिताभ बच्चन फिल्मों में तीन साल की छोटी सी राजनीतिक अवधि के बाद वापस लौट आए और टीनू आनंद की 'शहंशाह' में शीर्षक भूमिका की। 1981 की हिट फिल्म 'हम' और 'अग्निपथ' में माफिया डॉन की यादगार भूमिका के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते। इसके बाद 1992 में 'खुदागवाह' और 1994 में 'इंसानियत' रिलीज हुई।

नई सदी में भी नहीं रुका फिल्में करने का सिलसिला

फिल्मों का सफर उनका यहीं नहीं रुका। इसके बाद भी उन्होंने मोहब्बतें , कभी खुशी, कभी गम (2001) और बागबान 2003 फिल्में की। फिर अक्स (2001), आंखें (2002), खाकी (2004), देव (2004) और ब्लैक (2005) जैसी फिल्मों के लिए इन्हें अपने आलोचकों की प्रशंसा भी प्राप्त हुई। 2005 और 2006 में उन्होंने अपने बेटे अभिषेक के साथ बंटी और बबली (2005), द गॉडफादर श्रद्धांजलि सरकार (2005) और कभी अलविदा ना कहना (2006) जैसी हिट फिल्मों में स्टार कलाकार की भूमिका की। ये सभी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अत्यधिक सफल रहीं। वर्ष 2000 से अमिताभ बच्चन टीवी सीरियल कौन बनेगा करोड़पति में आकर अपना योगदान दे रहे हैं। पचास साल के लम्बे फिल्मी कैरियर में लगभग 200 फिल्में कर चुके अमिताभ बच्चन का अभी फिल्मी सफर जारी है।

Deepak Kumar

Deepak Kumar

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