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Amitabh Bachchan: जब अपनी साली साहिबा की शादी में बिग बी आये लखनऊ
Amitabh Bachchan: लखनऊ में तरुण कुमार भादूड़ी अमिताभ बच्चन को दामाद पाकर बहुत खुश थे। मंझली बेटी रीता भादुड़ी उन्होंने राजीव वर्मा से शादी की थी।
Amitabh Bachchan: 1970 में पहली बार पुणे के फिल्म संस्थान में लम्बूजी यानी अमिताभ जी को देखा। उस समय अमिताभ बच्चन एक संघर्षशील अभिनेता थे। अमिताभ बच्चन एक पत्रिका पढ़ रहे थे और इसके कवर पर जया की तस्वीर थी। अमिताभ जी उनकी सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गए और महसूस किया कि वही उनकी ड्रीम गर्ल हैं, जो पारंपरिक और माडर्न का एक आदर्श संयोजन लगीं। 1971 में 'गुड्डी" के सेट पर ह्मषिकेश मुखर्जी ने जया और अमिताभ बच्चन का कायदे से परिचय कराया। जया ने एक साक्षात्कार में इस घटना को साझा किया, उन्होंने कहा," मुझे 'गुड्डी" के सेट पर उनसे मिलवाया गया। यह भी पता चला कि इस फिल्म में वो मेरे अपोजिट रोल कर रहे हैं। मैं उनसे प्रभावित हुई। कुछ हद तक वह हरिवंशराय बच्चन का बेटा होना भी उन्हें प्रभावित करने के लिए काफी था।
मुझे लगा कि वे अन्य से अलग हैं। हालांकि लम्बूजी की तारीफ करने पर लोग मुझ पर हंसते थे। मैंने अपनी भावनाओं को उनसे व्यक्त किया और कहा कि वे इंडस्ट्री का एक बड़ा चेहरा बनने जा रहे हैं। हालांकि मुझे पता था कि वह सामान्य स्टीरियो टाइप हीरो नहीं थे। जब हम फिल्म 'एक नजर" (1972) की शूटिंग कर रहे थे तो हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई। एक साक्षात्कार में अमिताभ जी ने साझा किया कि उनकी शादी कैसे हुई। बताते हैं कि 'जंजीर" की शूटिंग के दौरान मैंने जया से वादा किया था कि अगर फिल्म हिट हो जाती है तो हम एक साथ विदेश यात्रा पर जाएंगे। फिल्म हिट रही। वादा निभाने की कोशिश में मैंने जया को यात्रा पर इंग्लैंड ले जाने का फैसला किया। इस विचार का मेरे पिता ने काफी विरोध किया था। वह हमारे इस शादी के बिना यात्रा के खिलाफ थे। उनका कहना था, "मुन्ना, अगर जया के साथ जाना इतना ही जरूरी है तो शादी करके जाओ।" वादे को निभाने के लिए मैंने पिताजी की इच्छा के अनुरूप जया से 3 जून ,1973 को शादी कर ली।
इधर लखनऊ में तरुण कुमार भादूड़ी अमिताभ बच्चन को दामाद पाकर बहुत खुश थे। मंझली बेटी रीता भादुड़ी (ये फिल्म वाली रीता भादुड़ी नहीं थीं) उन्होंने राजीव वर्मा से शादी की थी। राजीव वर्मा भोपाल में थियेटर करते थे। रीता भादुड़ी एजुकेस्निट के साथ साथ थियेटर करती थीं। दोनों भोपाल थियेटर ग्रुप से जुड़े हुए थे। राजीव पेशे से आर्टिटेक्ट थे। तेइस साल नौकरी और थियेटर करने के बाद उन्होंने 1988 में फिल्म की तरफ रुख किया। फिल्म 'मैंने प्यार किया" में उन्होंने सलमान खान के पिता का रोल किया था। वे कई नामचीन सीरियल्स व फिल्मों में भी नजर आये। भादुड़ी साहब की सबसे छोटी बेटी नीता भादुड़ी एक क्रिश्चन लड़के हावर्ड रॉस से प्यार करती थीं। उन दोनों ने शादी करने का फैसला किया। भादुड़ी साहब चाहते थे कि शादी लखनऊ से और मेरे आवास से हो। लखनऊ में शादी होना वह भी अमिताभ की सबसे छोटी साली साहिबा की, अपने आप में एक दुरूह टास्क था। तैयारियां जोर शोर से शुरू हो गयीं। अमिताभ बच्चन 'आनन्द", 'दीवार", 'शोले", 'कभी कभी", 'डॉन" जैसी सुपर डुपर हिट फिल्में देकर मेगा स्टार बन चुके थे। अस्सी के दशक का आखिरी साल था। स्टेट्समैन हाउस को पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच घेर दिया गया। हमारा परिवार भी उसी परिसर में रहता था। पिता जी भादुड़ी साहब के सहयोगी थे। हम लोगों को भी स्टेट्समैन हाउस (कोठी) में जाने की मनाही थी। लेकिन हम कब घर बैठने वाले थे। शादी के एक दिन पहले दोस्तों की बैचलर पार्टी की महफिल सजी। अमिताभ जी ने ढोलक पर 'मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है" गीत गाया तो सब झूमने नाचने लगे। ये सिलसिला देर रात तक चलता रहा। तभी पता चला कि जया जी की कीमती, नयी व ब्रांडेड हाई हील सैंडिल किसी ने पार कर दी है। ढूंढाई मची । लेकिन सुपर स्टार की चरण पादुका के पूजक का कोई अता पता नहीं चला।
अमिताभ बच्चन क्लार्क अवध होटल में
ढोलक की थाप देर रात तक सुनायी देती रही। फिर अमिताभ बच्चन क्लार्क अवध होटल लौट गये। अगले दिन बिना बैंड बाजा के कारों में सवार होकर बारात धड़धड़ाते हुए रिसेप्शन गेट पारकर बंगले के सामने आ लगी। सिक्यूरिटी के कारण बारात को सड़क नागिन डांस करते हुए नहीं लाया जा सकता था। हजारों का मजमा लग गया था। सब अमिताभ की एक झलक पाने को बेताब हो रहे थे। पुलिस को कई बार भीड़ को काबू करने के लिए लाठियां पटकनी पड़ीं। ज्यादातर युवक व युवतियां 'डान बाहर आ", 'बाबू मोशाय एक झलक हमें भी दिखला दे" का लगातार शोर मचा रहे थे। फर्जी बाराती बनकर बिन बुलाये मेहनान जबर्दस्ती घुस आये। शाही खाने की ऐसी तैसी होने लगी। डिनर चल रहा था कि तभी एक मोहतरमा मुझे पीछे धकियाते हुए, दोस्तों के साथ मस्ती कर रहे अमिताभ के समक्ष खड़ी हो गयीं और अपनी बेटी के साथ फोटो खिंचवाने की इल्तजा करने लगीं। अमिताभ ने बड़ी शाइस्तगी से कहा 'आइये प्लीज।" उन्होंने कमैरा सम्भाला और एक दो बार क्लिक कर थैंक्यू कहा। अमिताभ बच्चन बोले,'अरे फ्लैश तो चला ही नहीं। रात में फोटो आ जाएगी?" मोहतरमा सकपकायीं।फिर बोलीं,'आ जाएगी।" अमिताभ जी कब छोड़ने वाले थे बोले,'एक कॉपी मुझे भी भिजवा दीजिएगा।" इस पर आसपास खड़े लोग मुस्कराए बिना नहीं रह सके। मोहतरमा ने झेंपते हुए पतली गली पकड़ ली।...