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Asha Bhosle ने लता दीदी को किया याद, सोशल मीडिया पर शेयर की बचपन की तस्वीर
Asha Bhosle: सोशल मीडिया पर आशा भोसले ने एक तस्वीर को शेयर किया है जिसके कैप्शन में उन्होंने लिखा- मैं और दीदी...
Asha Bhosle: स्वर कोकिला लता दी (Lata Mangeshkar) के जाने से पूरे देश की आंखे नम हैं, लता दी के फैंस उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए तरह तरह के तरीके अपना रहे हैं। उन्हें याद कर कोई उनके गानों को शेयर कर रहा है, तो कोई उनकी पुरानी तस्वीरों को। इसी बीच लता दी की बहन आशा भोसले (Asha Bhosle) ने उनकी बचपन की तस्वीर (childhood photo) को शेयर कर उन्हें याद किया है, सोशल मीडिया पर तस्वीर को शेयर कर उन्होंने लिखा है कि मैं और दीदी... शेयर हुई तस्वीर में दोनों के चेहरे पर मासूमियत दिखाई दे रही है और दोनों ही कैमरा को देख पोज़ देती दिख रही हैं। ब्लैक एंड वाइट तस्वीर में दोनों ही बड़ी मासूम सी दिख रही हैं।
लता मंगेशकर के निधन (Lata Mangeshkar ka nidhan) के बाद एक खूबसूरत आवाज़ और युग का अंत हो गया है। लता जी के गानों की बात की जाये तो उनके सारे ही गीत सदाबहार रहे हैं। बताया जाता है कि उनकी पतली आवाज को लेकर उन्हें भी काफी स्ट्रगल करना पड़ा लेकिन फिर उन्होंने खुद के मुकाम पर लोकप्रियता हासिल की। लता दी ने रविवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में इस दुनिया से अलविदा कह दिया। हालाँकि अभी हमारे बीच लता दी नहीं है लेकिन उनके गीत और आवाज हमेशा अमर रहेंगे। उनके निधन के बाद उनके उनके फैंस उन्हें अलग- अलग तरीक़े से याद कर रहे हैं। इसी बीच आशा भोसले ने एक बचपन की तस्वीर को शेयर कर लता दी को अनोखे अंदाज़ में याद किया है। लता जी के अंतिम दर्शन के लिए दिग्गज कलाकारों , क्रिकेटर, पॉलिटिशियन और देश के प्रधानमंत्री ने उन्हें मुंबई में जाकर श्रद्धांजलि दी।
आशा भोसले ने तस्वीर शेयर कर लता जी को बेहद दिल से याद करते हुए कैप्शन में लिखा है कि - बचपन के दिन भी क्या दिन थे। दीदी और मैं। इसके साथ उन्होंने हार्ट इमोजी भी बनाई है।
मीना मंगेशकर ने भी अपनी किताब को लता दी को समर्पित किया
लता जी के जाने बाद जब भी उन्हें याद किया जाएगा हमेशा ही उनका हस्ता और मुस्कुराता चेहरा ही याद आएगा। आशा भोसले के बाद लता जी की छोटी बहन मीना मंगेशकर खाडीकर ने भी अपनी लिखी हुई किताब को लता दी को समर्पित करते हुए उन्हें याद किया। उन्होंने कहा कि लता दीदी ने हमें जीवन दिया, हम उन्हें कुछ नहीं दे सके। लता अपने खुद के जीवन को लेकर अंतरमुखी रहीं। उन्हें अपनी तकलीफों के बारे में बात करना अच्छा नहीं लगता था। वो दूसरों के सामने दुख जताने की जगह उनके दुख जानने में और मदद करने में ज्यादा दिलचस्पी लेती थीं। अपनी किताब का जिक्र करते हुए मीना मंगेशकर खाडीकर ने बताया कि मेरी यह किताब लिखने की वजह ही यही थी कि मैं उनके लिए कुछ ऐसा लिखूं ताकि लोगों को यह पता लगे कि उन्होंने अपनी जिंदगी में कितना संगर्ष किया है, उनकी मुस्कुराहट के पीछे कितने ऐसे किस्से है जो आज तक लता ताई ने किसी को नहीं बताए। मीना ताई ने आगे बताया कि ऐसा काफी बार हुआ है कि उनकी बायोग्राफी के लिए लोगों ने उन्हें अप्रोच किया, लेकिन लता ताई अपनी निज़ी जिंदगी के बारे में किसी को नहीं बताना चाहती थी।