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REVIEW: एक्शन का तड़का है 'बाहुबली 2 : द कॉन्क्लूजन', जानिए आखिर क्यों कटप्पा ने बाहुबली को मारा

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Published on: 28 April 2017 2:15 PM IST
REVIEW: एक्शन का तड़का है बाहुबली 2 : द कॉन्क्लूजन, जानिए आखिर क्यों कटप्पा ने बाहुबली को मारा
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बैनर : धर्मा प्रोडक्शंस, अर्का मीडिया वर्क्स के प्रोडक्शंस

निर्माता : शोबू यारलागड्डा और प्रसाद देवेंनी

निर्देशक : एस एस राजमौली

जोनर : एक्शन ड्रामा

संगीतकार : एम एम केरवानी

स्टारकास्ट : प्रभास, राणा दग्गुबती, अनुष्का शेट्टी, तमन्ना, राम्या कृष्णन, सत्यराज, नासर

रेटिंग : **** स्टार

साउथ में कई एक हिट फिल्मों के निर्देशन की कमान संभालने में सफल रहे निर्देशक एसएस राजमौली अपनी यादगार फिल्म 'बाहुबली' का सेकेंड पार्ट 'बाहुबली 2 : द कॉन्क्लूज़न' लेकर आए हैं। उन्होंने इसमें भी धमाकेदार एक्शन का तड़का लगाने की भी पूरी कोशिश की है और उन्हें इस फिल्म से भी इसके फर्स्ट पार्ट की तरह ही बॉक्स ऑफिस पर धमाका मचाने की पूरी उम्मीद है।

कहानी : 167.30 मिनट की कहानी पूर्वजों के मंदिर से शुरू होती है, जहां राजमाता शिवगामी अपनी मन्नत पूरी करने के लिए जा रही होती हैं कि तभी वहां हाथी बेकाबू हो जाता है। वहां भगदड़ मच जाती है। इसी दौरान वहां शिवा (प्रभास) आता है और उसकी मां शिवगामी (राम्या कृष्णन) बिना किसी अड़चन के अपनी पूजा-अर्चना पूरी करती हैं। वहीं दूसरी तरफ शिवगामी की दूसरी संतान भल्लाल देव (राणा दग्गुबती) और उसके पिता राजमुकुट को लेकर महल में चर्चा कर रहे होते हैं कि तभी कटप्पा (सत्यराज) शिवगामी माता का संदेशा लेकर वहां आते हैं। शिवा के राज्याभिषेक की बात सुनते ही भल्लाल और उसके पिता आग-बबूला हो उठते हैं।

आगे की स्लाइड में जानिए फिल्म 'बाहुबली 2 : द कॉन्क्लूजन' की आगे की कहानी

फिर राज्याभिषेक से पहले राजमाता के आदेश पर शिव देशाटन के लिए निकलता है और उसके साथ उनके मामा कटप्पा जाते हैं। अब भल्लाल और मामा कटप्पा देशाटन पर निकलते हैं कि तभी भल्लाल की मुलाकात कुंतल देश की महारानी देवसेना (अनुष्का शेट्टी) से होती है। अब धीरे-धीरे शिवा देवसेना को मन ही मन प्रेम करने लगता है। दूसरी ओर भल्लाल और उसके पिता को शिवा-देवसेना की प्रेम कहानी के बारे में पता चल जाता है और भल्लाल अपनी रणनीति से राजमाता को अपनी चाहत के बारे में बताता हुआ देवसेना से विवाह करने का निर्णय बताता है।

इस पर राजमाता अपने बेटे भल्लाल के रिश्ते के लिए कुंतल देश की महारानी को शादी के लिए शगुन भेजती हैं, पर देवसेना साफ इंकार कर देती है और इस पर नाराज होकर शिवगामी उसके देश पर हमला करने का आदेश देती हैं।

फिर अचानक शत्रुओं की सेना राजकुमारी देवसेना के महल पर हमला बोल देते हैं कि तभी वहां मौजूद शिवा अपनी रणनीति और बल से सभी शत्रुओं का खात्मा कर देता है। अब शिवा को उनकी माता शिवगामी का संदेश मिलता है कि देवसेना को बंदी बनाकर उनके सामने पेश किया जाए। इस पर माहिष्मती के होने वाले सम्राट अमरेंद्र बाहुबली अपनी मां का आदेश मानते हुए उसे बंदी बनाकर राजमाता के सामने देवसेना को पेश करता है।

अब महिष्मती में पहुंचने पर देवसेना को पता चलता है कि उसका विवाह बाहुबली से नहीं, बल्कि भल्लाल से होने वाला है। विदित हो कि इंटरवल के बाद पता चला है कि कटप्पा ने महिष्मती के महाराज और महारानी के आदेश पर बाहुबली को मारा था। बहरहाल, महिष्मती की महारानी के विरुद्ध देवसेना बाहुबली से शादी करने का फैसला लेती है। इसी के साथ एक दिलचस्प मोड़ के साथ आगे बढ़ती है।

आगे की स्लाइड में जानिए कैसे है स्टार्स की एक्टिंग

अभिनय : साउथ के सुपरस्टार प्रभास को अभिनय में मानो महारथ हासिल की हुई। प्रभास ने पहले की तरह ही इस फिल्म में भी अपना शत-प्रतिशत देने का भरसक प्रयास किया है, जिसमें कई मायनों में उन्होंने खुद को साबित भी कर दिखाया है। वहीं महारानी देवसेना के तौर पर अनुष्का शेट्टी ने भी गजब अभिनय किया है। साथ ही तमन्ना की अभिनय क्षमता ने भी लोगों को उनकी प्रशंसा करने के लिए हर तरह से आकर्षित किया है और कुछ अलग व खास करने का पूरा प्रयास किया है।

वहीं महिष्मती की महारानी के तौर पर राम्या कृष्णन ने भी प्रशंसनीय अभिनव छमता का बखूबी प्रदर्शन किया है और निर्देशक के नियमानुसार अपना शत-प्रतिशत देने की पूरी कोशिश की। कटप्पा अपने वही पुराने अंदाज में दिखाई दिए। हालांकि उन्होंने इस दूसरी सीरीज में खुद को जबरदस्त दिखाने की कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी। साथ ही नासर की भूमिका भी फिल्म में अहम रही।

आगे की स्लाइड में देखिए कैसा है फिल्म का निर्देशन

निर्देशन : 'बाहुबली' के सफल निर्देशन के बाद निर्देशन एसएस राजमौली ने इसके सेकेंड पार्ट के निर्देशन की कमान भली-भांति संभाली है। उन्होंने इस फिल्म से भी ऑडियंस को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी। राजमौली ने इसमें धमाकेदार और दर्शकों के दिल को छू लेने वाले एक्शन का जबर्दस्त तड़का भी लगाया है। हालांकि इस तरह की ऐतिहासिक फिल्मों के लिए निर्देशक को हाड़तोड़ मेहनत व दूरगामी दृष्टि की अहम जरूतर होती है, जोकि राजमौली ने इस फिल्म से साबित कर दिखाया है।

बहरहाल, फिल्म की तारीफ तो की जा सकती है, लेकिन कहीं-कहीं पर निर्देशक को थोड़ा और बेहतर करने की जरूरत भी महसूस हुई। खैर, भारतीय महाकाव्य पर आधारित ऐतिहासिक कथा को राजमौली ने अपने अलग अंदाज में दिखाने की पूरी कोशिश की है, जिसकी वजह से वे आपने चाहने वालों की वाहवाही लूटने में काफी हद तक सफल रहे।

'अमरेंद्र बाहुबली यानी मैं...', 'वचन ही बाहुबली का शासन है...' जैसे कई डॉयलॉग्स भी काबिल-ए-तारीफ रहे। इस लिहाज से फिल्म अपने फस्र्ट हाफ के साथ ही ऑडियंस को आखिर तक खुद को बांधे रखने में काफी सफल रही। अगर टेक्नोलॉजी और सिनेमेटोग्राफी अंदाज की बात छोड़ दी जाए तो इसकी कॉमर्शियल में कुछ और बेहतर किया जा सकता था। इसके अलावा दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए संगीत (एम एम केरवानी) की भूमिका काफी अहम रही।

क्यों देखें : बाहुबली को नए कलेवर में देखने और प्रभास के जबर्दस्त एक्शन सींस के प्रेमी बेझिझक सिनेमाघरों की ओर रुख कर सकते हैं। साथ ही फैमिली के साथ ही फिल्म देखने की चाहत रखने वालों के लिए यह फिल्म उनकी कसौटी पर खरी साबित हो सकती है। आगे इच्छा और जेब आपकी...!



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