TRENDING TAGS :
बर्थडे स्पेशल- जब 'बेगम' ने घबराहट को दूर करने के लिए लिया था शराब का सहारा
मुंबई: दुनिया भर में मल्लिका –ए- गजल के नाम से मशहूर बेगम अख्तर का आज जन्मदिन है। ये बेगम अख्तर ही है जिन्हें जगजीत सिंह और पंकज उधास से पहले गजलों के लिए जाना जाता था। वो आज अपनी गजलों के लिए भारतीय लोगों के बीच फेमस है। उन्हें अकेलेपन से घबराहट होती थी। बताया जाता है कि घबराहट को दूर करने के लिए वे बाद में शराब का भी सहारा लेने लगी थी।
newstrack.com आज आपको उसी बेगम अख्तर की की लाइफ से जुड़ी खास बातें बता रहा है।
एक हादसे में ऐसे बची थी जान
बेगम अख्तर का जन्म 7 अक्टूबर 1914 को यूपी के फ़ैजाबाद अंतर्गत भदरसा गांव में हुआ था। उनके घरवाले उन्हें प्यार से बचपन में बिब्बी नाम से भी बुलाया करते थे। छोटी उम्र से ही संगीत और गायन के प्रति उनका विशेष लगाव था। उन्हें बचपन में कई तरह की कठिनाइयों से भी गुजरना पड़ा था। जब यह चार साल की थीं तब इनकी बहन ने कोई जहरीला पदार्थ खा लिया था। इस दौरान बहन की मौत हो गई थी और यह बच गई थीं।
संगीत से बचपन से ही थी रूचि
बेगम का बचपन से ही पढ़ने -लिखने से अधिक मन म्यूजिक और उर्दू की शायरी सीखने में लगता था। घर में उर्दू के जानने वाले ज्यादा लोग थे। इसके चलते बेगम की भी धीरे-धीरे उर्दू पर अच्छी पकड बनती गई। उन्होंने छोटी सी उम्र से ही गजल गाना शुरू कर दिया। उन्हें बहुत जल्द ही गजल गायन के क्षेत्र में एक नई पहचान मिल गई। उन्हें सुरों की मल्लिका- ए बेगम के नाम से जाना जाने लगा। उन्हें लोग अख्तरी बाई के नाम से भी पुकारने लगे थे।
स्कूल के दिनों में करती थी खूब शरारत
बेगम अख्तर यानी कि बिब्बी बचपन में बहुत ही ज्यादा शरारती थीं। उनके शरारत से जुड़ा एक किस्सा भी है। बताया जाता है कि उन्होंने अपने स्कूल के दिनों में अपने टीचर की छोटी ही काट दी थी। उसके बाद उनकी घर पर खूब पिटाई भी हुई थी। उनके टीचर ने भी उन्हें तब खूब डांटा था।
ये भी पढ़ें...बर्थडे: एक दौर ऐसा भी था जब ‘स्वर कोकिला’ की आवाज ही बन गई थी उनकी दुश्मन
कम उम्र में मिलने लगी थी कामयाबी
बेगम अख्तर को छोटी सी उम्र से ही गजल के क्षेत्र पहचान मिलने लगी थी। वो 15 साल की उम्र आते –आते लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गई थीं। इतनी कम उम्र में इन्होंने फैजाबादी के नाम से पहली बार मंच पर अपनी गजलों से पब्लिक के बीच वाहवाही लुटी थी।
गजलों में दर्द का अहसास
छोटी सी उम्र से ही कामयाबी पाने का सफर बड़ी ही तेजी के साथ आगे बढ़ चला था। जो लोग भी बेगम को जानते है। सभी का बस यही कहना था कि बेगम की गजलों को सुनकर उनमें एक अलग तरह का दर्द का अहसास होता है। जो उस दौर के किसी दूसरे गायक के गजल को सुनने में नहीं होता।
ये भी पढ़ें...बर्थडे स्पेशल : तानाशाह के करोड़ों के ऑफर को ठोकर मारने वाला ‘हॉकी का जादूगर’
जब सरोजनी नायडू ने दिया उपहार
सरोजनी नायडू और बेगम अख्तर से जुड़ा एक किस्सा अक्सर लोगों से सुनने को मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि एक बार कोलकाता में भूकंप पीड़ितों के लिए चंदा इकट्ठा करने के लिए कार्यक्रम आयोजित हुआ था। जिसमें इनके गाने से खुश होकर सरोजनी नायडू ने इन्हें खादी की एक साड़ी गिफ्ट में दी थी।
बेगम को इस चीज से थी घबराहट
बेगम अख्तर की जिंदगी काफी उतार –चढाव भरी रही है। उन्हें ओने जीवन में काफी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा है। उन्हें हमेशा अकेलेपन से डर लगता था। वे अक्सर इसकों लेकर घबराती रहती थी। बताया जाता है कि घबराहट को दूर करने के लिए वे बाद में शराब का भी सहारा लेने लगी थी।
लाइफ पर लिखी गई किताब
इनकी गजल ही नहीं बल्कि ठुमरी और दादरा के सुनने वाले बहुत ही अधिक लोग थे। लोगों का ऐसा मानना था कि बेगम की गजलों को सुनने में जो आनंद आता था। वो किसी और के गाने सुनने में नहीं आता था। उनकी गजलों को भी पसंद करने वाले लोग कम न थे। इनके ऊपर इनकी एक शिष्या रीता गांगुली ने एक किताब भी लिखी थी। जिसमें इनके निजी जीवन के बारे में कई चौकाने वाली बातें लिखी थी।
मरणोपरांत मिला था ये बड़ा सम्मान
30 अक्टूबर 1974 को बेगम अख्तर की मौत हो गई थी। उनकी मृत्यु के बाद उन्हें 1975 में पद्म भूषण से नवाजा गया। उन्हें मल्लिका-ए-गजल का खिताब भी मिला था।
ये भी पढ़ें...बर्थडे स्पेशल: इंजीनियर बनने का देखा था सपना, ऐसे बने किंग ऑफ़ रोमांस