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बर्थडे स्पेशल: इंजीनियर बनने का देखा था सपना, ऐसे बने किंग ऑफ़ रोमांस

Aditya Mishra
Published on: 27 Sept 2018 11:33 AM IST
बर्थडे स्पेशल: इंजीनियर बनने का देखा था सपना, ऐसे बने किंग ऑफ़ रोमांस
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मुंबई: 'किंग ऑफ रोमांस' से अपनी पहचान बनाने वाले यश चोपड़ा का आज जन्मदिन है। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दी है। दिल तो पागल है, वीर जारा, कभी-कभी और चांदनी जैसी बेहतरीन और रोमांटिक फिल्में बनाने वाले यश चोपड़ा ने पर्दे पर प्यार और मोहब्बत को बखूबी उतारा।

उन्होंने ‘यशराज’ नाम से खुद की कम्पनी भी बनाई। जिसने बॉलीवुड को एक से बढकर सुपरहिट फ़िल्में दी है। 21 अक्टूबर, 2012 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन अपने पीछे वो कई ऐसी फिल्में छोड़ गए, जिससे वे दर्शकों के दिलों में हमेशा जिन्दा रहेंगे।

newstrack.com आज आपको यश चोपड़ा के जन्मदिन के मौके पर उनकी अनटोल्ड स्टोरी बता रहा है।

इंजीनियर बनने का देखा था सपना

27 सितंबर, 1932 को पंजाब के लाहौर में जन्मे यश चोपड़ा इंजीनियर बनना चाहते थे, लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। उन्होंने बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर बड़े भाई बीआर चोपड़ा और आईएस जौहर के साथ अपने करियर की शुरुआत की। 1959 में उन्होंने धूल का फूल का डायरेक्शन किया और फिर एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दीं।

काका की बदौलत खड़ी की खुद की कम्पनी

यश चोपड़ा ने तमाम नए एक्टर्स को स्टार और और फिर सुपरस्टार बनने में मदद की, लेकिन एक ऐसा सुपरस्टार भी था, जिसकी वजह से यश चोपड़ा खुद की कंपनी खड़ी कर पाए और वो थे राजेश खन्ना।

कहते हैं कि यश राज फिल्म्स का राज दरअसल राजेश खन्ना ही हैं, चूंकि यश चोपड़ा के नाम में कहीं राज नहीं आता है। अपनी प्रोडक्शन कंपनी का नाम यश राज फिल्म्स रखकर काका का ऐसा शुक्रिया अदा किया, कि वो नाम हमेशा उनके नाम से जुड़ गया है। लेकिन काका ने यश चोपड़ा की वो मदद कैसे की, ये भी कहानी कम दिलचस्प नहीं है।

ये है यशराज स्टूडियो के पीछे की कहानी

1971 में यश चोपड़ा ने भाई से अलग होकर अपनी प्रोडक्शन कंपनी खोलना का मन बनाया। इसके लिए वो अपनी जिस पहली फिल्म के प्रोडयूसर बने, उसका नाम था दाग। इस फिल्म के लिए उन्होंने राखी, शर्मिला टैगोर और राजेश खन्ना को साइन किया। राजेश खन्ना इससे पहले उनके साथ इत्तेफाक में काम कर चुके थे।

दरअसल फिल्म की कहानी में राजेश खन्ना अपनी बीवी शर्मिला टैगोर का रेप करने की कोशिश कर रहे अपनी कंपनी के मालिक के बेटे को मार देते हैं, बाद में जेल की वैन का एक्सीडेंट होने पर उसमें बैठे सारे लोग मर जाते हैं। काका का बेटा पाल रहीं शर्मिला टैगोर को जब एक रोज पता चलता है कि उसका पता ना सिर्फ जिंदा है बल्कि दूसरी शादी एक अमीऱ औरत से कर चुका है, तो हैरान रह जाती है।

दरअसल एक्सीडेंट से बचने के बाद काका राखी से मिलते हैं, जिसको उसके बॉयफ्रेंड ने प्रेग्नेंट करने के बाद अपनाने से इनकार कर दिया था। काका उसको अपना नाम देकर शादी कर लेते हैं। क्लाइमेंक्स में काका कत्ल और दो बीवियों के इलजाम से कैसे निपटते हैं, इसके लिए फिल्म देखनी होगी।

लेकिन इस दो हीरोइनों वाली फिल्म को कोई डिस्ट्रीब्यूटर खरीदने को तैयार नहीं था। तब राजेश खन्ना ने यश चोपड़ा से कहा कि मैं इस फिल्म के फ्री में काम करूंगा, तब तक कोई पैसा नहीं लूंगा, जब तक कि आपकी लागत नहीं निकल आएगी, बाद में ऐसा ही राखी और साहिर लुधियानवी ने भी किया। पहली फिल्म के प्रोडयूसर यश चोपड़ा के लिए उस वक्त ये बड़ी राहत थी।

ऐसे में उनके फाइनांसर गुलशन राय ने कहा भी फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर ठंडा रेस्पोंस मिलेगा और वो चाहते थे कि फिल्म का ज्यादा प्रमोशन ना किया जाए। दाग 1973 में रिलीज हुई। फिल्म पहले दिन बमुश्किल 9 थिएटर्स में रिलीज हुई, शाम होते होते 9 धिएटर और जुड़ गए। कुछ ही दिनों में फिल्म हिट हो चुकी थी। 6 दिन के अंदर फिल्म के प्रिंट तिगुने किए जा चुके थे। सो अरसे तक यश चोपड़ा मुश्किल वक्त में काका की ये मदद भूले नहीं।

उस दौर के सुपरस्टार राजेश खन्ना की मदद यश चोपड़ा पैसे से तो कर नहीं सकते थे, उन्होंने इसका नायाब तरीका ढूंढा और अपनी प्रोडक्शन कंपनी का नाम यश चोपड़ा के नाम से यश लेकर और राजेश खन्ना के नाम से राज लेकर यश राज फिल्म्स कर दिया।

हालांकि उनके पिता के नाम में भी राज जुड़ा था, लेकिन यश चोपड़ा ने कभी इसे नहीं अपनाया। सो हर कोई क्रेडिट राजेश खन्ना को ही देता है। यूं तो अपने बैनर तले यश चोपड़ा ने ज्यादातर फिल्में या तो अमिताभ बच्चन के साथ बनाईं या फिर शाहरुख खान के साथ, राजेश खन्ना के साथ उनकी अगली और आखिरी फिल्म विजय आई, जो 1988 में रिलीज हुई।

आखिरी दिनों तक फ़िल्में बनाने की थी ख्वाहिश

यश चोपड़ा अक्सर कहते थे कि उनकी ख्वाहिश है कि वे अपने आखिरी वक्त तक फिल्म बनाते रहें। बाद में हुआ भी ऐसा ही। वो जब तक है जान बना रहे थे, उसी दौरान उनका निधन हुआ। 21 अक्टूबर, 2012 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन अपने पीछे वो फिल्में छोड़ गए, जिससे वे दर्शकों के दिलों में हमेशा जिन्दा रहेंगे।

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