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वहीदा रहमान का जन्मदिनः तीन दशकों तक छाई रहीं, जानें अभिनेत्री का फिल्मी सफर

उन्हें अपने पूरे करियर में, फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्मपुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए दो फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुके हैं।

Roshni Khan
Published on: 3 Feb 2021 9:08 AM IST
वहीदा रहमान का जन्मदिनः तीन दशकों तक छाई रहीं, जानें अभिनेत्री का फिल्मी सफर
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वहीदा रहमान का जन्मदिनः तीन दशकों तक छाई रहीं, जानें अभिनेत्री का फिल्मी सफर (PC: social media)

श्रीधर अग्निहोत्री

मुम्बई: ''आज फिर जीने की तमन्ना है'' फिल्म गाइड के इस गीत को परदे पर वहीदा रहमान पर फिल्माया गया था। दिग्गज एक्ट्रेस वहीदा रहमान ने मानो इस गीत को अपनी जिन्दगी का हिस्सा बना लिया हो। इसीलिए तो आज भी वह अन्य अभिनेत्रियों की तुलना में सबसे अलग अभिनेत्री कही जाती हैं। आज ही के दिन 3 फरवरी को उनका जन्म हुआ था और वह 82वां जन्म दिन मना रही हैं। वह हिन्दी फिल्मों की ऐसी अभिनेत्री हैं जिन्होंने तेलुगु, तमिल और बंगाली फिल्मों में भी कामकिया है। वह तीन दशक तक लगातार फिल्मों में छाई रही।

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उन्होंने तेलुगू और तमिल फिल्मों में भी काम किया

उन्हें अपने पूरे करियर में, फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्मपुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए दो फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुके हैं। वहीदा रहमान तमिलनाडु के चेंगलपट्टू में मुस्लिम परिवार के यहां पैदा होने के बाद अपनी बहन ने चेन्नई में भरतनाट्यम सीखा। जब वह इसके बाद उन्होंने तेलुगू और तमिल फिल्मों में भी काम किया। इसके बाद उन्होंने हिन्दी फिल्मों में गुरूदत्त के साथ सी आईडी (1956) में नजर आई थी। फिरं प्यासा (1957), कागज के फूल (1959), साहिब बीबी और गुलाम और चैदहवीं का चाँद (1961) सहित कई सफल फिल्मों में काम किया।

waheeda rehman waheeda rehman (PC: social media)

फिल्म शेरा (1971) के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार जीता

इसके अलावा फिल्मों में सोलवाँ साल (1958), बातएक रात की (1962), कोहरा (1964), बीस साल बाद (1962), गाइड (1965), मुझे जीनेदो (1963), तीसरी कसम (1966), नील कमल (1968) और खामोषी (1969) शामिल हैं। उनके कैरियर में गाइड सबसे यादगार फिल्म रही । इसके अलावा राजकपूरके साथ तीसरी कसम को भी दर्षक आज भी याद करते हैं। उन्होंने गाइड (1965) मेंअपनी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। नील कमल(1968) के बाद रेशमा और शेरा (1971) के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार जीता।

अभिनेता धर्मेन्द्र के साथ आईं वहीदा की फिल्में भी बिना हलचल मचाए परदे से उतर गईं थीं

इस दौरान अभिनेता धर्मेन्द्र के साथ आईं वहीदा की फिल्में भी बिना हलचल मचाए परदे से उतर गईं थीं। फिर वर्ष 1974 में वहीदा की उस समय के सुपरस्टार रहे, अभिनेता राजेश खन्ना के साथ फिल्म 'खामोशी' आई। वर्ष1959 से 1964 के दौरान वहीदा रहमान सबसे अधिक मेहनताना पाने वाली अभिनेत्रियों की सूची में तीसरे स्थान पर और वर्ष 1966 से 1969 के दौरान इस सूची में वह समकालीन अभिनेत्री नंदा और नूतन के साथ दूसरे स्थान पर रही थीं।

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अभिनेत्री नंदा वहीदा की सबसे नजदीकी दोस्तों में थीं

अभिनेत्री नंदा वहीदा की सबसे नजदीकी दोस्तों में थीं। दोनों ने वर्ष 1960 में प्रदर्शित फिल्म 'काला बाजार' में सह-कलाकार की भूमिका निभाई थीं। राज कपूर के साथ फिल्म तीसरी कसम में उन्होंने नाचने वाली हीराबाई का किरदार निभाया था और नौटंकी में गया था पान खाए सैंयाहमार मलमल के कुर्ते पर पीक लाले लाल जो काफी लोकप्रिय हुआ था। इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। फिल्म गाइड में वहीदा रहमान और देवानंद की जोड़ी ने ऐसा कमाल किया कि दर्शक सिनेमाघरों में फिल्म देखने को टूट पड़ते थे। वहीदा को इस फिल्म के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। उनको 1972 में पद्मश्री और साल 2011 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

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