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Birthday Special: वैजयंती माला और योगिता बाली, ये खास बात दोनों को जोड़ती है, क्या आपको पता है
Birthday Special: वैजयंती माला और योगिता बाली दोनों पुरानी एक्ट्रेस हैं दोनों में कोई समानता नहीं है लेकिन फिर भी एक खास बात इन दोनों को जोड़ती है वह है 13 अगस्त की तारीख।
Birthday Special: वैजयंती माला और योगिता बाली दोनों पुरानी एक्ट्रेस हैं दोनों में कोई समानता नहीं है लेकिन फिर भी एक खास बात इन दोनों को जोड़ती है वह है 13 अगस्त की तारीख। दोनों अभिनेत्रियों का जन्म एक ही डेट में हुआ है हालांकि जन्म के सालों में बहुत लंबा अंतर है। योगिता बाली का जन्म जहां 1952 में हुआ वहीं वैजयंती माला का जन्म 1936 में हुआ। लेकिन एक और खास बात है जो दोनों को जोड़ती है वह यह है कि फिल्म छोटी सी मुलाकात में योगिता बाली ने वैजयंती माला के बचपन का रोल किया था।
बात करें अगर फिल्मी करियर की तो वैजयंती माला की फिल्मी करियर एक पहाड़ सा है जिस के शिखर पर वैजयंतीमाला विराजमान हैं। एक और रिकॉर्ड भी वैजयंती माला के नाम पर है वह है पहली दक्षिण भारतीय अभिनेत्री जो हिन्दी फिल्मी दुनिया में लंबे समय तक सुपर स्टार के सिंहासन पर रही। उस जमाने का ऐसा कोई बड़ा हीरो नहीं था जिसके साथ उन्होंने काम न किया हो।
बात योगिता बाली की करें तो वह ज्यादातर फिल्मों में सह अभिनेत्री की भूमिका में रहीं। लीड रोल में न के बराबर रहीं। लेकिन बावजूद इसके वह अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहीं। बेशक किशोर कुमार के साथ उनकी शादी सफल न रही हो लेकिन मिथुन चक्रवर्ती से उनका वैवाहिक जीवन सुखी रहा।
योगिता बाली जब फिल्मों में आईं तो उनकी भरी पूरी मांसल देह से पंजाब का देसीपन झलकता था। निर्देशकों ने भी उनसे अंग प्रदर्शन कराने और गाने गवाकर भरपूर इस्तेमाल किया। पुरानी अभिनेत्री गीता बाली की यह भतीजी फिल्मी तौर तरीके जब तक समझती टाइप्ड हो गई थी हालांकि उन्होंने इशारा की फिल्म में काम करने से इंकार करके एक मैसेज देने का प्रयास भी किया लेकिन वह खास सफल नहीं हो पाई।
योगिता बाली को फिल्म 'परवाना' (1971) के लिए याद किया जाता है कि उसमें अमिताभ बच्चन ने नकारात्मक रोल किया था। उसमें योगिता के हीरो थे नवीन निश्चल तथा उन पर फिल्माया गया एक गीत 'पिया की गली लागे भली' काफी हिट हुआ था। 'मेमसाब' (1971) में योगिता के हीरो थे विनोद खन्ना। 'समझौता' (1973) में उनके हीरो उभरते कलाकार अनिल धवन रहे, 'बनारसी बाबू' में वे सदाबहार देव आनंद की हीरोइन के रूप में आईं। लेकिन योगिता के करियर को कोई खास लाभ नहीं हुआ। फिल्में इसके बाद भी कई आईं लेकिन वह कोई खास पहचान नहीं बना सकीं।
जबकि वैजयंतीमाला की करियर के शुरुआत की ही फिल्म नागिन हिट रही थी। और वह एक्ट्रेस के रूप में स्थापित हो गई थीं। इनकी प्रमुख फिल्मों में 'नई दिल्ली', 'नया दौर', 'आशा', 'मधुमती' और वर्ष 1964 में रिलीज फिल्म 'संगम' शामिल हैं। 'संगम' में उन पर फिल्माया एक गाना 'मैं क्या करूं राम मुझे बुढ्ढा मिल गया' काफी हिट रहा था। 1968 में इस अभिनेत्री ने अपना इलाज करने वाले डाक्टर बाली से शादी कर ली और अपनी गृहस्थी में रम गईं।