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सरकारी नौकरी छोड़कर 'बुंदेलीवुड' के सपने को पूरा करेंगे अंश
महोबा: पिछड़े बुंदेलखंड को आगे ले जाने की पहल करने के उद्देश्य से एक होनहार सामने आया है। जिसने बॉलीवुड़, भोजीवुड़ की तरह बुंदेलखंड में अपनी फिल्म इंडस्ट्री बुंदेलीवुड़ बनाने का संकल्प लिया है। ये होनहार युवक बुंदेलखंड की माटी में पैदा हुआ है, और अपने लोगों को आगे ले जाने के लिए मंच देना चाहता है।
यहीं नहीं, अपनी इस पहल पर अपनी सरकारी नौकरी को भी छोड़ने जा रहा है। ये शख्स है, बुंदेलखंड के महोबा जनपद का वो हीरा जिसे लोग अंश कश्यप के नाम से जानते है। जिसने कई वर्ष मुंबई शहर में फिल्म तकनीकी को सीखा और शिक्षा प्रधान पहली बुंदेली फिल्म छुद्र बना अपने मजबूत इरादों को साफ कर दिया।
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उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र जहाँ हुनर और हुनरबाजों की कोई कमी नहीं है। लेकिन बुंदेलखंड आज भी सही मायनों में मिलने वाली ऊंचाइयों से महरूम है। यहाँ के नौनिहालों को जमीनी स्तर पर यदि सवारा जाए तो शायद बुंदेलखंड को वो पहचान मिल सकती है जिसका वो हक़दार है। यहाँ की गरीबी को सबने देखा और उसे बेंचा है, मगर जरुरत है, यहाँ के हुनर और क़ाबलियत को आगे लाने की।
ऐसा नहीं है, कि बुंदेलखंड में कलाकारों की कमी है, लेकिन यहाँ पर्याप्त सुविधा न मिलने और शासन-प्रशासन का सहयोग न मिलने से कलाकार कुछ समय स्टेज शो करने के बाद अपने परिवार को पालने के लिए अन्य कारोबार से जुड़ जाते हैं। लेकिन अब अंश कश्यप ने यहाँ के कलाकारों के दबे हुनर को न केवल निखारने का बीड़ा उठाया है, बल्कि बतौर फिल्म इंडस्ट्री की तरह ही बुंदेलखंड में बुंदेलीवुड स्थापित करने का भी मन बना लिया है। यहीं वजह है, कि मुंबई की चकाचौंध को छोड़कर अब वो बुंदेलखंड की माटी में फिल्म की शूटिंग कर रहे हैं।
बुंदेली भाषा को बढ़ावा देने के लिए फिल्मों में बुंदेली कलाकारों को प्राथमिक दी जा रही है। बन रही फ़िल्में बुंदेली भाषा में बनाई जा रही हैं। अंश ने बताया कि उनका फ़िल्मी सफर बड़ा ही कठिन रहा है। वो मुंबई में अपना फ़िल्मी कैरियर बनाने में लगे थे, लेकिन मन में एक टीस थी कि क्या फ़िल्मी कैरियर अपने ही क्षेत्र में नहीं बन सकता,क्या बुंदेलखंड के कलाकारों को भी मौका नहीं मिलना चाहिए। भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की तरह क्या बुन्देलखंड में फिल्म इंडस्ट्री नहीं बन सकती। यही वजह रही कि मुंबई में काम के दौरान फिल्म तकनीक को भी बारीकी से सीखा। नतीजन पांच वर्ष तक फिल्म नगरी मुंबई में रहने के बाद उन्होंने अपना बुंदेली फिल्म बनाने का सफर शुरू कर दिया।
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उन्होंने बताया कि उन्होंने एक वीडियो एलबम दिल करेला बनाया जिसके वो प्रोड्यूसर थे। यहीं नहीं एक और एलबम बनाया जिसका नाम पैसा तू कमीनी चीज है। इस एलबम के वो उपनिर्देशक रहे। अभी हाल ही में अंश ने अपना प्रोडक्शन हाउस बनाकर फिल्म छुद्र का निर्माण किया। बुंदेली भाषा में बनी पहली शिक्षा प्रधान फिल्म "छुद्र" को बनाने के पीछे अंश बताते है कि ये समाज में पहली कुरीतियों पर कटाक्ष करती है। समाज में छुआछूत को दूर करने और शिक्षा को बढ़ावा देना इस फिल्म का उद्देश्य है। फिल्म बनकर तैयार है, 30 मई 2017 को इस फिल्म को पहली बार महोबा में जिला प्रेस क्लब में दिखाया गया जहाँ जिला अधिकारी अजय कुमार और एसपी अनीस अहमद अंसारी ने इसे सम्मानित किया।
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अंश कश्यप बताते है कि यह फिल्म उनकी टीम के सहयोग से दर्शकों के सामने आ सकी है। अंश ने खुद इस फिल्म का निर्देशन किया, वहीँ कौशल पाटकार ने उपनिर्देशक की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। फिल्म प्रोडक्शन का काम अलंकृत खरे ने संभाला। इस फिल्म को अपने हुनर से कैमरे में उतारने का काम जाहर उर्फ़ अक्षय सिंह ने किया।
फिल्म कलाकारों में केशव प्रसाद और प्रकाश नारायण सोनी के अभिनय को दर्शकों ने पसंद किया। पूरी फिल्म यूनिट को सहयोग किया सुनील रिछारियाँ ने। अंश बताते है, कि इस फिल्म की सफलता से वो उत्साहित है। उन्होंने बताया कि उनकी आने वाली फिल्म पंख है। ये बुंदेली फिल्म लगभग बनकर तैयार है साथ ही बुंदेला ब्वॉयज, शिक्षा और सिपाही....दि अनटोल्ड स्टोरी है जो जल्दी ही दर्शकों के सामने होगी।