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'अब रातों को जागना मेरी किस्मत बन चुकी है', ये वो डायलॉग्स हैं जिन्हें आज लोग याद करते हैं

विनोद खन्ना किसी फिल्म में काम करते थे तो फिल्म का सफल होना तय माना जाता था। उनके बेहतरीन डायलॉग्स पर लोग बिना सीटियां बजाए नहीं रह पाते थे।

sujeetkumar
Published on: 27 April 2017 1:49 PM IST
अब रातों को जागना मेरी किस्मत बन चुकी है, ये वो डायलॉग्स हैं जिन्हें आज लोग याद करते हैं
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मुंबई: बॉलीवुड की दुनिया में शानदार भूमिका निभाने वाले विनोद खन्ना गुरुवार (27 अप्रैल) दुनिया को अलविदा कह गए। वह काफी समय से कैंसर की बीमारी से पीड़ित थे। विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 में पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था.

विनोद खन्ना ने स्नातक की पढाई मुंबई से की, इसी दौरान उन्हें एक पार्टी के दौरान निर्माता-निर्देशक सुनील दत्त से मिलने का अवसर मिला। सुनील दत्त उन दिनों अपनी फिल्म 'मन का मीत' के लिए नए चेहरों की तलाश कर रहे थे। उन्होंने फिल्म में विनोद खन्ना से बतौर सहनायक काम करने की पेशकश की जिसे विनोद खन्ना ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।

एक समय ऐसा भी था कि अगर विनोद खन्ना किसी फिल्म में काम करते थे तो फिल्म का सफल होना तय माना जाता था। उनके बेहतरीन डायलॉग्स पर लोग बिना सीटियां बजाए नहीं रह पाते थे। चलिए आपको बताते हैं, कुछ ऐसे डायलॉग्स जो बॉलीवुड में आज भी याद किए जाते हैं...

विनोद खन्ना के टॉप डायलॉग्स

1-दोस्ती भुलाई जा सकती है लेकिन दुश्मनी नहीं।

2-इज्जत वो दौलत है जो जो एक बार चली गई तो फिर कभी हासिल नहीं की जा सकती।

3-मैं जिस पेशे से हूं ना वहां मेरे सिर्फ दुश्मन है, दोस्त कोई भी नहीं।

4-तलवार की लड़ाई तलवार से, प्यार की लड़ाई प्यार से और बेकार की लड़ाई सरकार से।

5-मैंने जबसे होश संभाला है खिलौने की जगह मौत से खेलता आया हूं।

6-हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी तो है भाई-भाई।

7-तुझ थर्ड क्लास जैसे आदमी के लिए थर्ड डिग्री ट्रिटमेंट की जरूरत है।

8-अगर नजरें खूबसूरत हो तो हर चीज खूबसूरत लगती है।

9-अब रातों को जागना मेरी किस्मत बन चुकी है।

10-जिनका मन साफ होता है उनकी नजरें भी साफ होती हैं, दर्द की दवा न हो तो दर्द को ही दवा समझ लेना चाहिए।



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