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बॉलीवुड में है कहानियों का टोटा, जानते हैं कहां से आई इन ब्लॉकबस्टर फिल्मों की स्क्रिप्ट

suman
Published on: 12 May 2017 11:25 AM GMT
बॉलीवुड में है कहानियों का टोटा, जानते हैं कहां से आई इन ब्लॉकबस्टर फिल्मों की स्क्रिप्ट
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मुंबई: भारतीय सिनेमा अपनी बेहतरीन कहानियों के लिए जाना जाता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी । यहां कई ऐसी फिल्में हैं जो कि कई बड़ी हॉलीवुड फिल्मों से कॉपी की गई है या फिर उनकी थीम पर आधारित हैं। देश में अच्छी कहानियों का टोटा कहें या कुछ और, देश की कई बड़ी फिल्में हॉलीवुड फिल्मों की कॉपी या फिर उनसे पूरी तरह से प्रभावित दिखती हैं।

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फिल्मों के इतिहास की सबसे बेहतरीन कही जाने वाली फिल्म शोले 1975 भी वनस् ऑपन अ टाइम इन वेस्ट 1968 की थीम पर आधारित है। वही अकेले हम अकेले तुम 1995, ऑस्कर जीत चुकी फिल्म क्रीमर वर्स क्रीमर 1979 की कॉपी है।

मुन्ना भाई एमबीबीएस 2003 फिल्म थीम राबिन विलियम्स अभिनीत फिल्म डॉक्टर पैच एडम्स 1998 की थीम पर आधारित है। सलमान खान की फिल्म क्योंकि 2005, जैक निकलसन की फिल्म वनस् फ्लू ओवर द कूक्कूस नेस्ट 1975 की थीम पर आधारित थी।

सलमान खान अभिनीत फिल्म युवराज की कहानी 1988 की रैन मैन से पूरी तरह से मिलती-जुलती है।

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विटिरियो डी सिका की फिल्म द बाइसिकिल थीफ 1948 में दिखाया बाप बेटे और परिवार का यथार्थवाद विमल राय की फिल्म दो बीघा जमीन 1958 में भी दिखायी देता है।

वहीं ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म आनन्द 1975 की बात की जाय तो वो जापान के महान डारेक्टर अकिरा करूसोवा की फिल्म इकरू 1952 से कहीं न कहीं प्रभावित दिखती है।

आस्कर जीती हुई फिल्म द अपार्टमेंट 1960 की कहानी को ही द लाइफ इन मेट्रो 2007 में दिखाया गया है। नीरज पांडेय की फिल्म स्पेशल 26, 2013 का ट्रीटमेंट 1973 का ऑस्कर जीत चुकी फिल्म द स्टिंग से लिया गया है।

रामगोपाल वर्मा की सरकार 2005 ऑस्कर जीत चुकी फिल्म द गॉड फादर 1972 की कॉपी है। इसी फिल्म का प्रभाव प्रकाश झा की फिल्म राजनीति 2010 में दिखायी देता है।

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लोगों पर फिल्मों का गहरा प्रभाव पड़ता है। कहानियां अलग हो और अनदेखी हो इस बात की कोशिश की जाती है। फिल्म बनाने में बहुत पैसा भी खर्च होता है इस बात को सभी जानते है इसीलिए शायद जब विदेशों के दर्शक फिल्म की कहानी से खुश होकर उसे हिट करार दे देते है तो उससे मिलती जुलती फिल्में भारत में भी बनने लगती है। सलमान खान ने तो अपने एक इंटरव्यू में यहां तक कह दिया था कि हिन्दी फिल्मों में अब तो हॉलीवुड नहीं बल्कि साउथ और अन्य भाषाओं की फिल्मों को ही कॉपी किया जाने लगा है। जैसे की हम दृश्यम्, भूलभुल्लैय्या, राउडी राठौर जैसी फिल्मों में देख सकते हैं।

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