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Darlings Review: आलिया की डार्लिंग्स देखने से पहले पढ़ लीजिये रिव्यु, कितने स्टार्स मिले इस फिल्म को

Alia Bhat Darlings Review: अगर आप भी इस वीकेंड में गौरी खान, आलिया भट्ट और गौरव वर्मा प्रोडक्शन की फिल्म डार्लिंग्स देखने का मन बना रहे हैं? तो ज़रा इसके पहले न्यूज़ट्रैक का रिव्यु ज़रूर पढ़ लीजिये।

Shweta Srivastava
Published on: 5 Aug 2022 10:20 AM GMT
Darlings Review
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Darlings Review (Image Credit-Social Media)

Alia Bhat Darlings Review: अगर आप भी इस वीकेंड में गौरी खान, आलिया भट्ट और गौरव वर्मा प्रोडक्शन की फिल्म डार्लिंग्स देखने का मन बना रहे हैं? तो ज़रा इसके पहले न्यूज़ट्रैक का रिव्यु ज़रूर पढ़ लीजिये।

नाम: डार्लिंग्स

निर्देशक: जसमीत के रीणी

कलाकार: आलिया भट्ट, विजय वर्मा, शेफाली शाह और रोशन मैथ्यू

रिलीज: नेटफ्लिक्स

रेटिंग: 3.8 / 5

डार्लिंग रिव्यू (Darlings Review)

एक ऐसी फिल्म जो काफी मनोरंजक हो और साथ ही इसके पीछे कोई सन्देश भी छिपा हो उसे बनाना एक काफी मुश्किल टास्क है। इतना ही नहीं इसके पहले भी कई फिल्मे ऐसी बनी भी हैं लेकिन बहुत कम फिल्म निर्माता इसमें सफल हो पाए हैं। अक्सर देखने को मिलता है कि ऐसी फिल्में या तो समाज को कोई संदेश देती हैं, या दर्शकों का मनोरंजन ही कर पातीं हैं। हालांकि, डार्लिंग्स के लेखक और र्देशक जसमीत के रीन (Jasmeet K Reen ) ने बड़ी आसानी और सहजता से इतने मुश्किल काम को अंजाम देने में सफल रहे हैं। ट्रेलर में ही डार्लिंग्स लोगों के दिलों में अपनी जगह बना चुकी थी साथ ही अब फिल्म के सामने आने के बाद इसने साबित कर दिया है कि फिल्म निर्माता ने दर्शकों के मनोरंजन का पूरा ख्याल रखा है और साथ ही लोगों के बीच सन्देश देने का भी प्रयास किया है। फिल्म आपको कभी भी लंबी नहीं लगेगी , लेकिन इसका बड़ा श्रेय जाता है एडिटर नितिन बैद को।

क्या है फिल्म में खास

डार्लिंग्स बदरूनिसा शेख उर्फ ​​बदरू (आलिया भट्ट) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक मजबूत इरादों वाली लड़की है, जो पति हमजा शेख (विजय वर्मा) के साथ अपनी असफल शादी को बचाने की पूरी कोशिश करती है। हालांकि, एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना इस कॉमेडी-ड्रामा को थोड़ा गहरा कर देती है, जिससे बदरू और उसकी मां शमशुनिसा शेख (शेफाली शाह) को चीजें अपने हाथों में लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जसमीत के रीन निर्देशित ये घरेलू हिंसा पर एक कड़ा हमला है। फिल्म निर्माता को फिल्म से उम्मीद है कि ये कम से कम लोगों को इस विषय पर अधिक चर्चा करने के लिए प्रेरित ज़रूर करेगी।

फिल्म में बस घरेलू हिंसा को लेकर ही सन्देश नहीं है बल्कि ये आपको शराब और परिवार पर इसके प्रभाव, अंधविश्वास, जोड़-तोड़, ईर्ष्या, कर्म, और माता-पिता के जीवन के प्रभाव और उनके बच्चों पर उनकी पसंद जैसे विषयों पर भी विचार करने पर मजबूर करेगी। कहानी में इन सभी पहलुओं को खूबसूरती से बुना गया है, लेकिन फिल्म में इन सबको बड़े ही मनोरंजक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। पात्रों को सही मात्रा में कंट्रास्ट, ग्रे शेड्स और मासूमियत के साथ अच्छी तरह से स्केच किया गया है, जो उन्हें वास्तविक बनाता है। एक अच्छी कहानी पर मंथन करने के लिए लेखक परवेज शेख और जसमीत के रीन को हमारी तरफ से बधाई।

इसके अलावा, विजय मौर्य, जसमीत के रीन और परवेज शेख द्वारा लिखे गए संवाद अव्वल दर्जे के हैं। फिल्म में कुछ ऐसे डायलॉग हैं जिसे सुनकर आप हसने पर मजबूर हो जायेंगे जैसे-'साब ट्विटर वालों के लिए बदल गई है, हमारे लिए नहीं' जैसी लाइनें या पुलिस स्टेशन में इंस्पेक्टर राजाराम तावड़े (विजय मौर्य) और शमशुनिस्सा शेख के बीच की बातचीत एक रियलिटी चेक की तरह काम करती है। सिनेमैटोग्राफर अनिल मेहता का लेंस सहजता से डार्लिंग्स की दुनिया को जीवंत कर देता है, जबकि गरिमा माथुर द्वारा सेट डिजाइनिंग कहानी पर खरी उतरती है। विशाल भारद्वाज और मेलो डी के संगीत में समकालीन और कुछ पुराने दृश्यों का सही मिश्रण है, लेकिन सबसे ज़रूरी बात ये है कि ये सबकुछ फिल्म की कहानी को आगे ले जाने में मदद करता है।

जहां तक ​​परफॉर्मेंस की बात है तो शायद ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे आलिया भट्ट ऑनस्क्रीन नहीं निभा सकतीं और उन्होंने ये कई बार साबित भी किया है। दर्शकों को फिल्म के पहले और दूसरे भाग में उनके चरित्र के दो बहुत अलग व्यक्तित्व देखने को मिलेंगे, दोनों को आलिया द्वारा असाधारण रूप से निभाया गया है। विजय वर्मा ने अपनी भूमिका इतनी अच्छी तरह से निभाई है कि एक समय के बाद आप उन्हें एक्टर के रूप में भूल जायेंगे और केवल उनके कैरेक्टर याद रखेंगे। जुल्फी के रूप में रोशन मैथ्यू फिल्म का असली सरप्राइज एलिमेंट है, वैसे आपको बता दें हमारे लिए डार्लिंग्स की असली स्टार शेफाली शाह हैं।

उनका करेक्टर फिल्म में कुछ ऐसा है जो एक पल में एक मजबूत बयान देता है लेकिन अगले सेकंड वो आपको रुला देतीं है, और तीसरे में आपके चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान ला सकती है। वाकई शेफाली शाह की एक्टिंग शानदार है । कासिम कसाई के रूप में राजेश शर्मा का फिल्म में कोई डायलॉग नहीं है, लेकिन फिर भी वो फिल्म में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रहे हैं।

कुल मिलाकर, डार्लिंग्स आपको अंत तक पकडे रहेगी है, आगे क्या घटने वाला है की ललक आपके मन में आएगी। फिल्म के कुछ पहलुओं नो अगर नज़र अंदाज़ कर दिया जाये तो ये फिल्म सुपरहिट रहेगी।

Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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