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शिवराज ने सियासी चौसर पर फेंका 'पद्मावती बैन' का पांसा

राजनीति में कौन कब, किसे क्या कह दे और अपने को किसका सबसे बड़ा हिमायती बता डाले, इसका अंदाजा लगाना आसान नहीं है

tiwarishalini
Published on: 21 Nov 2017 8:53 AM GMT
शिवराज ने सियासी चौसर पर फेंका पद्मावती बैन का पांसा
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शिवराज ने सियासी चौसर पर फेंका 'पद्मावती बैन' का पांसा

भोपाल : संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' को लेकर देशभर में छिड़ी बहस के बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में फिल्म पर प्रतिबंध लगाने का ऐसा पांसा फेंक दिया कि सियासी गलियारों में हलचल मच गई।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा, "शिवराज राज्य के बीते 13 सालों से मुख्यमंत्री हैं, मगर उन्हें कभी राष्ट्रमाता की याद नहीं आई, फिल्म पर विवाद छिड़ते ही वे राजपूत समाज के सबसे बड़े हितैषी बन गए। यह सिर्फ दिखावा है। उन्हें हर तरफ वोट बैंक नजर आता है, गुजरात में भाजपा के हाथ से बाजी निकलती देख उन्होंने यह दांव खेला है, ताकि किसी तरह राजपूत समाज के ही वोट उनकी पार्टी को मिल जाएं।"

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उन्होंने कहा, अभी फिल्म रिलीज ही नहीं हुई है, सेंसर बोर्ड ने रोक लगा दी है, फिर फिल्म को बैन करने के ऐलान का क्या औचित्य है? यह ऐलान पूरी तरह राजनीतिक है। पद्मावती के लिए 'राष्ट्रमाता' के नाम का पुरस्कार तो उन्होंने घोषित कर दिया, मगर राज्य में महिलाओं की सुरक्षा कब करेंगे? राज्य में हर रोज महिलाओं, किशोरियों, बालिकाओं की आबरू लुट रही है। सिर्फ पुरस्कार की घोषणा न करें, महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी भी लें।

देश के विभिन्न हिस्सों में फिल्म 'पद्मावती' के रिलीज होने से पहले ही विवाद गरमा गया है। इसके चलते रिलीज की तारीख भी बढ़ा दी गई है। इसी बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज ने सोमवार को राजपूत-क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान फिल्म पर प्रतिबंध का ऐलान कर दिया। इस मौके पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान भी थे।

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शिवराज ने पद्मावती को राष्ट्रमाता बताते हुए ऐलान किया कि 'पद्मावती के जीवन और शौर्यगाथा पर ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ कर बनाई गई फिल्म का राज्य में प्रदर्शन नहीं होगा। वहीं भोपाल में रानी पद्मावती की शौर्यगाथा को प्रदर्शित करने वाला स्मारक स्थापित किया जाएगा और राष्ट्रमाता पद्मावती पुरस्कार दिया जाएगा।'

शिवराज की इस घोषणा पर मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव बादल सरोज ने कहा, "भाजपा ऐसे राजनीतिक अवसरवाद का सहारा ले रही है, जिसका न तो इतिहास से कोई लेना-देना है और न ही संस्कृति से। वह तो सिर्फ राज्य में उन्माद फैलाकर राजनीतिक लाभ हासिल करना चाहती है। शिवराज का यह ऐलान गुजरात चुनाव में फायदे के लिए है।"

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बादल ने कहा कि भाजपा के चार सांसदों ने फिल्म की तारीफ की है, दूसरी तरफ जबरन विरोध कराया जा रहा है और शिवराज ने तो सबसे आगे निकलने की होड़ में फिल्म पर रोक लगाने का ऐलान ही कर दिया।

शिवराज के ऐलान के साथ पार्टी भी खड़ी है। प्रदेशाध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान ने इस फैसले को सही ठहराया और भंसाली पर आरोप जड़े। उनका आरोप है कि 'पैसा कमाने के लिए ऐसी फिल्म बनाई गई है।'

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जनता दल-युनाइटेड (शरद गुट) के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद यादव का दावा है कि 'भाजपा का कई राज्यों में हिंदुत्व का एजेंडा असफल हो रहा है, ऐसे में वह जातिवाद के एजेंडे पर उतर आई है। यही कारण है कि उसने अब राजपूतों पर ध्यान दिया है। गुजरात में कई स्थानों पर राजपूत नतीजे प्रभावित करने की स्थिति में हैं। भाजपा चाहती है कि उसे किसी तरह राजपूतों के वोट मिल जाएं।'

राजनीति के जानकारों का मानना है कि शिवराज की खूबी यही है कि वे समय की नब्ज को जल्दी टटोल लेते हैं। कोई राजनेता जब तक सोच-विचार में मशगूल रहता है, तब तक शिवराज फैसला ले लेते हैं। ऐसा नहीं है कि हर बार उनके फैसलों ने पार्टी और व्यक्तिगत तौर पर उन्हें, लाभ दिया हो। कई बार वे घाटे में भी गए हैं। यह फैसला क्या लाभ देगा, यह तो आगे का समय बताएगा।

--आईएएनएस

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