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फिल्मकार शेखर कपूर ने बताया- आखिर किन तरीकों से बनती हैं शानदार फ़िल्में?
फिल्मकार शेखर कपूर का कहना है कि जीवंत आत्माओं वाले किरदारों से ही शानदार फिल्में बनती हैं। शेखर की फिल्में 'मासूम' और 'मिस्टर इंडिया' सुपरहिट हुई थीं, जिनका जादू आज के दौर में भी बरकरार है।
मुंबई: फिल्मकार शेखर कपूर का कहना है कि जीवंत आत्माओं वाले किरदारों से ही शानदार फिल्में बनती हैं। शेखर की फिल्में 'मासूम' और 'मिस्टर इंडिया' सुपरहिट हुई थीं, जिनका जादू आज के दौर में भी बरकरार है।
शेखर ने बेहद प्रशंसित फिल्म 'बैंडिट क्वीन' भी बनाई थी। मंगलवार को शेखर ने फिल्म दोबारा देखा और कई बातें याद आ गईं।
अपने एक ट्वीट में उन्होंने कहा, "मैंने अभी 'बैंडिट क्वीन' फिर से देखी। मुझे अपने फोटोग्राफी निदेशक अशोक मेहता की याद आ गई। उनके जैसा फोटोग्राफी निदेशक कोई नहीं हुआ। आपको अब भी याद करता हूं मेरे दोस्त, मेंटर और मार्गदर्शक।"
शेखर ने 1996 में 'बैंडिट क्वीन' का निर्देशन किया था। यह फिल्म फूलन देवी की कहानी पर आधारित थी, जो समाज के दबे-कुचले वर्ग की महिला थीं। समाज में यौन शोषण और भेदभाव का सामना करते हुए वह एक डकैत बनीं और उसके बाद नेता बन गईं।
उन्होंने कहा, "किसी महान फिल्म या उपन्यास की कहानी, इसके अपने ही चरित्रों की आत्मा से निकलनी चाहिए न कि थोपे हुए किसी कथानक से।"
'बैंडिट क्वीन' में अभिनेत्री सीमा बिस्वास ने फूलन देवी का किरदार निभाया था। इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ हिंदी फीचर फिल्म के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था।
-आईएएनएस