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Shyam Benegal Passes Away : बॉलीवुड के मशहूर फिल्म मेकर श्याम बेनेगल का निधन, लंबे वक्त से थे बीमार
Shyam Benegal Passes Away : मशहूर निर्देशक श्याम बेनेगल का 90 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने सोमवार (23 दिसंबर, 2024) की शाम करीब 6.20 मिनट पर अंतिम सांस ली है।
Shyam Benegal Passes Away : मशहूर निर्देशक श्याम बेनेगल का 90 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने सोमवार (23 दिसंबर, 2024) की शाम करीब 6.38 मिनट पर अंतिम सांस ली है। वह बीते काफी दिनों से किडनी की समस्या से जूझ रहे थे। उन्होंने कई मशहूर फिल्में बनाई हैं, जिनमें अंकुर, भूमिका, मंथन और निशांत शामिल है। फ़िल्म निर्माता की बेटी पिया बेनेगल ने उनके निधन की खबर की पुष्टि की है।
दिग्गज फिल्ममेकर श्याम बेनेगल लंबे समय से किडनी संबंधी दिक्कतों से परेशान थे। भारतीय सिनेमा को बेहतरीन कलाकार देने के लिए श्याम भी निकाल को हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने भारतीय सिनेमा को जो बेहतरीन कलाकार दिए उनमें नसीरुद्दीन शाह, अमरीश पुरी, अनंत नाग, ओम पुरी, स्मिता पाटिल, शबाना आजमी और सिनेमेटोग्राफर गोविंद निहलानी प्रमुख हैं। श्याम बेनेगल के निर्देशन में इन सभी कलाकारों को अपनी प्रतिभा निखारने का मौका मिला और बाद के दिनों में उन्होंने भारतीय सिनेमा में अपनी कामयाबी का झंडा गाड़ा।
भारतीय सिनेमा को बेनेगल का बड़ा योगदान अपने लंबे फिल्मी कॅरियर के दौरान दिग्गज फिल्ममेकर श्याम बेनेगल ने 24 फिल्म में बनाईं। इन फिल्मों के अलावा उन्होंने 45 डॉक्यूमेंट्री और 15 एड फिल्में भी बनाईं। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और प्रसिद्ध फिल्मकार सत्यजीत रे पर बेनेगल की डॉक्यूमेंट्री को आज भी याद किया जाता है।
श्याम बेनेगल का जन्म 14 दिसंबर, 1934 को त्रिमुलघेरी, सिकंदराबाद में हुआ था। उनके पिता मूल रूप से कर्नाटक के एक पेशेवर फोटोग्राफर थे। उन्होंने हैदराबाद के निज़ाम कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। यहीं उन्होंने एक फिल्म सोसायटी शुरू की। उन्होंने अपना पेशेवर जीवन मुंबई में एक विज्ञापन एजेंसी के लिए कॉपीराइटिंग का काम करके शुरू किया और जल्द ही वे फिल्म निर्माता बन गए। ये काम करते हुए उन्होंने 900 से ज़्यादा विज्ञापन और विज्ञापन फ़िल्में और 11 कॉर्पोरेट फ़िल्में और साथ ही कई डॉक्यूमेंट्री फ़िल्में बनाईं। श्याम बेनेगल ने पुणे में फ़िल्म इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया में पढ़ाया और दो बार (1980-83, 1989-92) अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।