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सिनेमा और टी वी के कलाकारों की जिंदगी, सपनो की दुनिया में मौत का सच

Gagan D Mishra
Published on: 20 Aug 2017 11:46 AM GMT
सिनेमा और टी वी के कलाकारों की जिंदगी, सपनो की दुनिया में मौत का सच
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सिनेमा और टी वी के कलाकारों की जिंदगी, सपनो की दुनिया में मौत का सच

संजय तिवारी संजय तिवारी

लखनऊ : टीवी सीरियल ‘महाकाली’ में अहम भूमिका निभाने वाले अभिनेता गगन कांग और अरिजीत लावनिया के आकस्मिक निधन से पूरी टेलीविजन इंडस्ट्री सन्न है। गगन शो में इंद्र की भूमिका निभाते थे, वहीं अरिजीत नंदी बनते थे। दोनों सीरियल की शूटिंग करके गुजरात से मुंबई लौट रहे थे।

मगर मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर उनकी कार एक ट्रक में भिड़ गई और मौके पर ही दोनों का निधन हो गया। दरअसल ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि कल तक जिसके साथ शूटिंग कर रहे थे, अचानक आज पता चला कि वह इस दुनिया को ही अलविदा कह गया।

ऐसा फिल्म और टेलीविज़न की दुनिया में प्रायः होता रहता है। मीनाकुमारी और मधुबाला से लेकर अभी हाल में प्रत्यूषा तक की कहानी बिलकुल यही है। सड़क दुर्घटना में प्राण जाने की घटनाये भी इस दुनिया के प्राणियों के लिए हमेशा सर पर रहा करती हैं। कभी कार एक्सीडेंट और कभी हवाई दुर्घटना। यह सब लगा रहता है क्योकि सितारों के रूप में जनता के बीच चमकने वाले सेलुलाइड के इन सितारों की यही सचाई है। सिनेमा और टेलीविज़न की दुनिया ने ऐसे बहुत कलाकारों को खोया है। शूटिंग के दौरान कलाकारों के गंभीर रूप से घायल हो जाने की खबरे तो बहुत ही आम हैं।

पूना में जो घटना हुई उसमे स्टार्स के साथ एक स्पॉटब्वॉय भी था उसकी भी मौके पर ही मौत हो गई। उनकी मौत पर महाकाली के प्रोड्यूसर सिद्धार्थ कुमार तिवारी और कनिष्का सोनी ने दुख जताया है। कनिष्का ने गगन के साथ सीरियल हनुमान में काम किया था।

कनिष्का ने कहा, गगन और मैं साथ काम करते थे। हमने काफी समय साथ बिताया है। वो काफी बुद्धिमान व्यक्ति थे। सीरियल में लक्ष्मी का किरदार निभाने वाली टीवी एक्ट्रेस निकिता शर्मा ने भी अपने सहकलाकारों के आकस्मिक निधन पर शोक जाहिर किया है। निकिता ने कहा, हमने कल साथ में शूटिंग की थी, यकीन ही नहीं हो रहा है कि वो अब हमारे बीच नहीं हैं।

अतिशय मानसिक दबाव और कड़ी स्पर्धा में काम करने वाले कलाकार बहुत कुछ झेलते हैं। उनके संवेदनशील मन की दशा हमेशा ऊपर नीचे होती रहती है। सपनो की इस दुनिया में जो भी कलाकार काम कर रहे है उनकी मानसिक स्थिति सामान्य आदमी से बिलकुल ही अलग होती है। हाल के दिनों में जिस तेजी से नए नए कलाकारों ने अपने उभरते करियर के समय ही इस दुनिया को छोड़ा है वह अब चिंतनीय भी लगता है।

वह चाहे दिव्या भारती की आत्महत्या हो या प्रत्यूषा की। बहुत से ऐसे भी हैं जो खूब चमक लेने के बाद घनघोर गुमनामी में जी रहे हैं। इस इंडस्ट्री की यही सचाई है। अभी दो दिन पहले ही एक खबर आयी है कि इस दौर की सबसे बड़ी अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा नींद न आने की बीमारी से परेशान हैं। स्वाभाविक है कि यह कोई बीमारी नहीं बल्कि शिखर की चमक का गहरा दबाव ही है।

जानते है कुछ खास कलाकारों के बारे में जो हमारे बीच से बहुत जल्दी चले गए

प्रत्यूषा बनर्जी

1 अप्रैल 2016 को टीवी की मशहूर 'आनंदी' यानी प्रत्यूषा बनर्जी ने अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लिया था। मात्र 25 साल की अवस्था में आत्महत्या को गले लगाने वाली प्रत्यूषा बनर्जी के जीवन से जुड़े बहुत सारे सवालों का जवाब आज भी नहीं मिला है। प्रत्यूषा बनर्जी की लास्ट शार्ट फिल्म 'हम कुछ कह न सके' थी। ये फिल्म प्रत्यूषा के मरने से डेढ़ महीने पहले की है, जिसमें उनकी लाइफ के उन दर्द भरे क्षणों को दिखाया गया है जिसके चलते वो अवसाद ग्रसित हो गई थीं और बाद में परेशान और हताश होकर उन्होंने फांसी लगा ली।

जिया खान

हमारे दौर की सबसे उभरती हुई अदाकारा के तौर पर अपनी जगह बना रही जिया खान को वो सब-कुछ मिल रहा था जिसकी एक नई-नवेली अदाकारा कल्पना कर सकती है. अमिताभ बच्चन, आमिर खान और अक्षय कुमार जैसे अभिनेताओं के साथ फ़िल्मों में काम करना और नाम कमाना, मगर शायद नियति को यह मंजूर नहीं था और उनके ब्वॉय फ्रेंड सूरज पंचोली से खट-पट के बाद इस अदाकारा ने आत्महत्या कर ली. वे अभी मात्र 25 वर्ष की थीं।

जतीन कनकिया

श्रीमान श्रीमती नामक फेमस टीवी शो और ख़ूबसूरत और हम साथ-साथ हैं जैसे सीरियल्स में अहम भूमिका निभाने वाले चश्मिश जतीन को दूरदर्शन के दौर में कौन नहीं जानता था. मगर वे सिर्फ़ 46 की उम्र में आंत के कैंसर की वजह से चल बसे।

नफीसा जोसेफ

सन् 1997 में मिस इंडिया यूनिवर्स का खिताब जीतने वाली और एमटीवी वीडियो जॉकी व सुपरमॉडल ने उस दौर के बिजनेसमैन गौतम खंडूजा से शादी की थी. जब उनकी शादी में कुछ खट-पट हुई तो इस मॉडल ने अपनी जान ख़ुद ही ले ली।

सौन्दर्या

सौन्दर्या दक्षिण भारत की एक मशहूर अभिनेत्री थीं और उन्होंने सूर्यवंशम फ़िल्म में अमिताभ बच्चन के बरअक्स नायिका की भूमिका भी निभाई थी जिसके लिए उन्हें ख़ासी सराहना मिली थी। हालांकि यह अभिनेत्री मात्र 31 वर्ष की उम्र में प्लेन दुर्घटना की शिकार हो गई थी।

तरुणी सचदेव

आपको रसना गर्ल तो याद ही होगी, और उसके अलावा तरुणी ने अमिताभ बच्चन अभिनीत “पा” फ़िल्म में भी अभिनय किया था. वे बहुत ही छोटी उम्र में नेपाल में हुए एक प्लेन हादसे का शिकार हो गईं थीं।

रसिका जोशी

भूलभूलैया, बिल्लू और गायब जैसी फ़िल्मों में अहम किरदार निभाने वाली यह अभिनेत्री मात्र 39 की उम्र में ही चल बसीं। रसिका को ल्यूकेमिया की बीमारी थी।

अबीर गोस्वामी

37 वर्षीय अबीर एक टीवी ऐक्टर थे जिन्होंने ‘कुसुम’, ‘प्यार का दर्द है’ और फरहान अख्तर की फिल्म ‘लक्ष्य’ में भी अभिनय कर चुके हैं। अबीर को एक दम से दिल का दौरा पड़ा जब वे किसी व्यायामशाला में कसरत कर रहे थे। उनके सभी साथी उनकी इस मौत से स्तब्ध रह गए।

शफी इनामदार

दूरदर्शन के दौर में ‘ये जो है ज़िंदगी’ जैसे शोज़ की सबसे चर्चित चेहरे के तौर पर मशहूर इनामदार उनके दौर की सबसे शालीन और प्रॉमिसिंग चेहरों में से एक थीं। उनकी मौत मात्र 50 की उम्र में सन् 1996 में हो गई थी।

जसपाल भट्टी

अपनी व्यंग्यात्मक शैली और चुटीले अंदाज़ में भारी-भारी चीज़ों को बड़े आराम से कह जाने वाला यह शख़्स एक कार दुर्घटना में चल बसा। ‘फ्लॉप शो’ के नाम से हिट शो चलाने वाला यह शख़्स मात्र 57 की उम्र में ही हमारे बीच से चला गया।

आदेश श्रीवास्तव

बॉलीवुड में गायक और म्यूजिक कंपोजर आदेश पांच साल तक कैंसर से लड़ने के बाद 51 साल की उम्र में चल बसे. आदेश ने ‘चलते चलते’, ‘बाबुल’, ‘बागबां’, ‘कभी ख़ुशी कभी गम’ और ‘राजनीति’ जैसे फ़िल्मों के लिए म्यूजिक कंपोज किया था. गौरतलब है कि फ़िल्मी परिवार से अमिताभ बच्चन, लता मंगेशकर, शाहरुख खान और ए.आर रहमान जैसे दिग्गज उनसे मिलने अस्पताल में पहुंचे थे। वे उनके पीछे उनकी पत्नी व गायिका विजेता पंडित और दो बच्चों को छोड़ गए हैं।

दिलीप धवन

नुक्कड़ जैसे यादगार टीवी-शो में गुरू का किरदार निभा कर उनका नाम घर-घर तक पहुंच गया था। इसके अलावा जनम, दीवार और तेरे मेरे सपने जैसी सीरियल्स में अहम किरदार निभा रहा यह सितारा मात्र 45 की उम्र में हार्ट अटैक की वजह से चलता बना।

लक्ष्मीकांत बर्डे

अगर आपको ‘हम आपके हैं कौन’ फ़िल्म याद होगी तो उस फ़िल्म में परिवार के नौकर के उस किरदार जो नोट और सिक्के में सिक्का उठाता है ज़रूर याद होगा. इसके साथ ही उसने मैंने प्यार किया जैसी फ़िल्मों में भी अहम किरदार निभाया था। मगर, लक्ष्मीकांत मात्र 50 की उम्र में ही किडनी की दिक्क़तों से चलते बने जब उनके पास फ़िल्मों के कई मौके थे।

मधुबाला

मधुबाला सिर्फ़ 36 वर्षों तक ही जी सकीं, मगर इतने कम समय में ही वो कुछ ऐसा कर गईं कि वे आज भी याद की जाती हैं। सन् 1942 में बतौर बाल कलाकार उनके करियर की शुरुआत करने वाली यह नायिका नील कमल और मुगल-ए-आज़म जैसी फ़िल्मो में किरदार निभा कर हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो गईं।

मीना कुमारी

अगर मीना कुमारी को भारतीय सिनेमा इंडस्ट्री के किसी पुरुष किरदार के बरअक्स खड़ा करना हो तो हमारे ज़ेहन में गुरुदत्त का ही नाम आता है। पाकीज़ा जैसी फ़िल्मों में कालजयी किरदार निभाने वाली मीना कुमारी मात्र 39 की उम्र में ही दुनिया छोड़ गईं।

गुरु दत्त

एक ऐसा शख़्स जो उसकी मौत के बाद और भी ज़्यादा प्रासंगिक हो गया. प्यासा, साहिब बीवी और गुलाम और कागज के फूल जैसी फ़िल्मों में अहम भूमिका निभाने वाला यह किरदार जीते-जी ही किंवंदती बन गया था। यह शख़्स मात्र 39 की उम्र में ही इस मतलबी दुनिया को अलविदा कह गया।

संजीव कुमार

संजीव कुमार जैसा अभिनेता जिसने कई कालजयी फ़िल्मों में किरदार निभाया, वह सिर्फ़ 47 की उम्र में ही दुनिया को अलविदा कह गया. सीता गीता, अंगूर, कोशिश और शोले जैसी फ़िल्मों में उनके द्वारा निभाए गए किरदारों को दुनिया आज भी याद करती है।

विनोद मेहरा

यह शख़्स अपने जमाने का मोस्ट हैंडसम इंसान हुआ करता था जिसे देखने के लिए लड़कियां पागल हुआ करती थीं। अनुराग, घर और खुद्दार जैसी फ़िल्मों में अहम भूमिका निभाने वाला यह किरदार मात्र 45 की उम्र में चल बसा था। विनोद भी हृदयाघात की चपेट में आ गए थे।

निर्मल पांडे

निर्मल पांडे वैसे तो थियेटर की दुनिया और टीवी की प्रमुख चेहरा था, मगर उसे बैंडिट क्वीन में अहम किरदार निभाने हेतु याद किया जाता है। इसके अलावा उन्होंने ‘दायरा’ में भी अहम भूमिका निभाई. वे भी मात्र 48 की उम्र में हार्ट अटैक की चपेट में आ गए।

रितुपर्णो घोष

‘चोखेर बाली’ और ‘अंतर महल’ जैसे जबरदस्त फ़िल्म बनाने वाला यह निर्देशक मात्र 49 की उम्र में चल बसे। उन्हें हृदयाघात पड़ा था और भारत ने उसका एक विजनरी समय से बहुत पहले ही खो दिया। हालांकि यह निर्देशक उनके अंतिम दिनों में उनके सेक्सुअल ओरिएंटेशन की वजह से ख़ासा चर्चा में रहा।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ :

गलाकाट प्रतिस्पर्धा में संवेदनशील मन बार बार आहत होता है। कलाकारों की जीवन शैली और हर पला सफल और विफल होने की गहरी खाई की गीड़ि में ही उन्हें हर सांस लेनी है। ऐसे में उनके मस्तिष्क हमेशा बहुत ही दबाव में रहता है। सफल हो चुके कलाकार अपनी सफलता को बनाये रखने में परेशान रहते हैं जब की जो स्ट्रगलर हैं वे कुछ भी पा लेने के लिए दिन रात बहुत ही दबावग्रस्त मानसिकता में जीते है।

प्रोफ. सुषमा पांडेय

मनोवैज्ञानिक

सेलुलाइड स्क्रीन बहुत ही खतरनाक माध्यम है। हर कलाकार 24 घंटे अपने चहेतो के सामने दिखाना चाहता है। इस कोशिश में उसके दिमाग की स्थिति बहुत दबावग्रत होती है। जरा सी विफलता उसे अवसाद में डाल देती है। यह अवसाद बहुत घातक है।

डॉ. आनंद प्रकाश

मनोवैज्ञानिक

कला की दुनिया संवेदनाओ और सपनो की दुनिया है। इसमें कुछ भी स्थाई नहीं है। हर पल गिराने और यथाने की प्रक्रिया में कलाकार बार बार टूटता और खुद को जोड़ने की कोशिश करता है। बहुत ज्यादा दबाबव में रहता है। अधिकाँश कलाकार बाइपोलर डिसऑर्डर के मरीज हैं। जब भी वे अवसादग्रस्त होते हैं तो उनके अंदर आत्महंता प्रवृत्ति उत्तेजित हो जाती है।

डॉ. वाई के मद्धेशिया

चिकित्सक

Gagan D Mishra

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