×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

गुजर चला ‘नीरज’ का कारवां, कानपुर से क्यों रह गया था ये मलाल

Charu Khare
Published on: 20 July 2018 12:38 PM IST
गुजर चला ‘नीरज’ का कारवां, कानपुर से क्यों रह गया था ये मलाल
X

कानपुर : हिंदी साहित्य के अमूल्य कवि व भावनाओं को शब्दों में संजोने वाले प्रसिद्ध गीतकार गोपालदास ‘नीरज’ बीते गुरूवार भले ही दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन उनकी छवि और अल्फाज दोनों ही अमिट हैं। ‘नीरज’ अमर हो गए क्योंकि उनके शब्द सदियों तक इसी दुनिया में गूंजते रहेंगे।

उनके आकस्मिक निधन से पूरा देश शोकगुल है। लोग उनकी यादों से जुड़े किस्से-कहानियों में समय व्यवीत कर रहे हैं। ऐसे में आज हम आपको उनसे जुड़ी एक ऐसी दास्तां सुनाएंगे, जिससे शायद कुछ ही लोग परिचित होंगे।

Image result for गोपालदास ‘नीरज

कानपुर से था लगाव

जी हां। दरअसल, गोपालदास नीरज का कानपुर से गहरा लगाव था। उन्होंने यहां के डीएवी कालेज में पढाई के वक्त पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ दो साल गुजारे थे। ये दोनों महान विभूतियां कभी गंगा किनारे बैठकर कविताओं की इबारत लिखते थे। इतना ही नहीं बल्कि ये दोनों साथ में कवि सम्मलेन में हिस्सा लेने जाते थे। कभी-कभार पैसा न होने पर पैदल ही कवि सम्मेलनों के मंच तक पहुंच जाते थे।

Image result for गोपालदास ‘नीरज

ये भी पढ़ें - बॉलीवुड इंडस्ट्री का काला सच बयां कर देगी पूनम ढिल्लो की ‘ये’ कहानी

पूर्व पीएम 'अटल' से गहरी दोस्ती

साल 1946 में गोपालदास नीरज डीएवी कॉलेज के हॉस्टल में रहते थे और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उस वक्त लॉ की पढ़ाई कर रहे थे।

Image result for गोपालदास ‘नीरज

खबरों के मुताबिक़, डीएवी कालेज में एक कार्यक्रम चल रहा था, जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी ने मंच से वीर रस की कविता गाकर सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। मंच के नीचे बैठे गोपालदास नीरज को वीर रस की कविता ने इतना प्रभावित किया कि वह खुद को अटल से दोस्ती करने से रोक नहीं पाए, तभी से वह दोनों काफी अच्छे दोस्त बन गए थे।

Image result for गोपालदास ‘नीरज

गंगा घाट पर बीताते थे वक्त

कॉलेज के बाद दोस्तों की मंडली का ठिकाना गंगा का घाट होता था। जहां सभी लोग व्यायाम करते थे और इसके बाद श्रृंगार रस और वीर रस की कविताओं से माहौल को खुशनुमा किया जाता था। अक्सर दोनों लोग बैठ कर आजादी और आजादी के बाद की स्थिति की समझने का प्रयास करते थे।

Image result for गोपालदास ‘नीरज

जब वापस लौटने तक के नहीं थे पैसे

उन्होंने कहा था आज भी मेरे मन वो यादे यादे ताजा है। गंगा के घाट हो या फिर यहाँ की गलियाँ, फागुन का गुलाल हो या फिर सावन की बयार हो, दोस्तों की मण्डली हो या फिर हंसी -ठिठोली, हर माहौल में वह बखूबी रम जाते थे।

Image result for गोपालदास ‘नीरज

इस दौरान उन्होंने अटल और अपनी छात्र जीवन के दौरान कवि संघर्ष को भी कानपुर की जनता से शेयर किया। उन्होंने एक बार एक वाक्या बताते हुए कहा था कि अटल एक दिन मेरे पास आये और कहा गोपाल भाई ग्वालियार में कवि सम्मलेन में कविता पढनी है, मै राजी हो गया और ट्रेन पकड़ कर हमलोग आगरा पहुंचे। इसके बाद वहां से ग्वालियर के ट्रेन में बैठे, लेकिन ट्रेन इतनी लेट पहुँची की कवि सम्मलेन ख़त्म हो चुका था। पंडाल में सन्नाटा पसरा हुआ था ,अब हम दोनों के पास वापस लौटने के लिए भी पैसे नही थे।

Image result for गोपालदास ‘नीरज

ये भी पढ़ें - शादी के बाद इन एक्ट्रेस के रहे संबंध, एक ने तो राखी बांधने वाली को किया था प्रेग्नेंट

हम दोनों मायूस होकर वापस पैदल जा रहे थे, जब हम लोग चौक पर पहुंचे तो कवि सम्मेलन के आयोजक मिल गए। उनको हमदोनों ने पूरी व्यथा बताई, उन्होंने हमारे रुकने का प्रबंध किया और अगले दिन एक कवि सम्मलेन में कविता गाने का मौका दिया। जिसमें हम लोगों को इनाम स्वरुप जो राशि मिली उससे वापस कानपुर लौट कर आये थे। लेकिन अटल जी राजनेता बाद में थे पहले वो एक कवि थे ।

Image result for गोपालदास ‘नीरज

कानपुर से था यह मलाल

गोपालदास नीरज कानपुर अंतिम बार 2015 अप्रैल माह में आये थे। जहां उन्होंने लाजपत भवन में एक कवि सम्मलेन में हिस्सा लिया था। जब उन्होंने मंच पर माइक पकड़ा तो उनके पहले शब्द थे ‘आज की शाम पूर्व पीएम अटल बिहारी के नाम।’ उन्होंने कहा था कि कानपुर से मुझे बहुत लगाव है, मेरी और की बहुत सी खट्टी-मीठी यादें यहां से जुड़ी हैं। उन्होनें बड़े ही शायराना अंदाज में कहा था कि "कानपुर तूने मुझे जिन्दगी दे दी ,पर रहने के लिए तीन गज जमीन नहीं दी।



\
Charu Khare

Charu Khare

Next Story