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Gulzar birthday: गराज में काम करने से लेकर पद्म भूषण तक का सफर, जाने अपने शायर गुलजार की कहानी

Gulzar birthday: हिंदी सिनेमा जगत के दिग्गज गीतकार गुलजार 18 अगस्त साल 1934 में दीना, झेलम जिला, पंजाब, ब्रिटिश भारत में पैदा हुए थे।

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Newstrack NetworkPublished By Shweta
Published on: 17 Aug 2021 6:23 PM GMT
गुलजार
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गुलजार ( फोटो सौजन्य से सोशल मीडिया)

Gulzar birthday: हिंदी सिनेमा जगत के दिग्गज गीतकार गुलजार 18 अगस्त साल 1934 में दीना, झेलम जिला, पंजाब, ब्रिटिश भारत में पैदा हुए थे। यह अब पाकिस्तान में स्थित है। गुलजार (Gulzar) केवल शानदार गीतकार ही नहीं बल्कि बेहतरीन संवाद और पटकथा लेखक के अलावा एक अच्छे निर्देशक भी हैं। उन्होंने हिंदी सिनेमा अपने काम से अमिट छाप छोड़ी है।

गुलजार के बचपन की बात करे तो इनका नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा था। इनके पिता ने दो शादियां की थीं और वह पिता की दूसरी पत्नी की इकलौती संतान हैं। इनके पिता का नाम माखन सिंह कालरा और मां का नाम सुजान कौर था। गुलजार बचपन में ही अपनी मां को खो दिए थे। देश बंटवारे के बाद गुलजार का पूरा परिवार पंजाब के अमृतसर में बस गया था। गुलजार की शुरुआती जिंदगी काफी संघर्ष से भरी थी।

अमृतसर में कुछ ही समय बिताने के पश्चात गुलजार काम की तलाश में मुंबई आए। वहां पहुंचकर उन्होंने एक गैरेज में मैकेनिक का काम करना शुरू कर दिया। हालांकि बचपन से ही कविता और शेरों-शायरी के शौकिन होने के वजह से वह खाली समय में कविताएं लिखा करते थे। गैरेज के पास ही एक बुकस्टोर वाला जो आठ आने लेकर किराए पर दो किताबें पढ़ने के लिए देता था। गुलजार को पढ़ने का चस्का इसी जगह से लग गया था।

एक बार की बात है एक दिन मशहूर निर्माता और निर्देशक विमल रॉय की कार खराब हो गई थी। संयोग से विमल गुलजार के काम करने वाले गैरेज पर पहुंचे गए। निर्माता विमल रॉय ने गैरेज पर गुलजार और किताबों को देखा। उन्होंने पूछा कौन पढ़ता है यह सब? गुलजार ने कहा कि वह पढ़ते हैं। विमल ने गुलजार को पता देते हुए अगले दिन मिलने को बुलाया। गुलजार, विमल रॉय के बारे में बात करते हुए आज भी भावुक हो जाते हैं और बोलते हैं कि 'जब मैं पहली बार विमल रॉय के दफ्तर गया तो उन्होंने कहा कि अब कभी गैरेज में मत जाना!'

इसके बाद से गुलजार, विमल रॉय के साथ ही रहने लगे और उनकी प्रतिभा और निखरकर सामने आने लगी। साल 1963 में फिल्म 'बंदिनी' आई थी और इस फिल्म के सभी गाने शैलेंद्र ने लिखे थे लेकिन सिर्फ एक गाना संपूर्ण सिंह कालरा यानी गुलजार ने भी लिखा। फिल्म 'बंदिनी' के लिए गुलजार ने गाना लिखा 'मोरा गोरा अंग लेइ ले, मोहे श्याम रंग देइ दे' जो उस समय काफी सुर्खियां बटोरा। इस गाने से गुलजार की किस्मत बदल गई।

आपको बता दें कि इसके बाद गुलजार ने हिंदी सिनेमा जगत की कई फिल्मों के लिए गाने, डायलॉग्स से लेकर पटकथा भी लिखी। साल 1973 में गुलजार ने अभिनेत्री राखी से शादी कर ली। लेकिन जब उनकी बेटी मेघना डेढ़ साल की थी तब यह रिश्ता टूट गया। हालांकि दोनों में तलाक नहीं हुआ और मेघना को भी हमेशा अपने माता-पिता से प्यार मिलता रहा। अगर इनके उपलब्धियोंकी बात करें तो कई फ़िल्मफेयर अवार्ड्स, नेशनल अवार्ड्स, साहित्य अकादमी, पद्म भूषण और साल 2008 में आई 'स्लमडॉग मिलेनियर' के गाने 'जय हो' के लिए ऑस्कर अवार्ड और साल 2012 में 'दादा साहब फाल्के अवार्ड' भी मिला। ये अवॉर्ड्स बताते हैं कि इस एक शख्स ने कितना कुछ हासिल किया है।

Shweta

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