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आज है इन 3 नायाब सिंगर्स का ‘बर्थडे’, कौन है आपका फेवरेट?
लखनऊ: ‘गायकी की दुनिया’ यानी की एक ऐसी दुनिया जिसको अपनाकर हम अपनी बड़ी से बड़ी ‘मुश्किल’ और ज्यादा से ज्यादा ‘थकान’ को भी दूर कर सकते हैं।
जी हां। कुछ ऐसा ही तो होता है संगीत की दुनिया का सफ़र, लेकिन इस सफ़र की राह हमें जितनी सुनने में आसान लगती है, असल में उतनी ही मुश्किल होती है। बावजूद इसके कुछ बेहतरीन गायक इस मुश्किल राह को भी आसान बना देते हैं और संगीत की दुनिया के सरताज बन मशहूर हो उठते है।
आज का दिन न सिर्फ गायकी की दुनिया के लिए यादगार है, बल्कि म्यूजिक की धुन पर तुरंत थिरकने वाले लोगों के लिए भी खास है।
अब आप सोच रहे होंगे ऐसा क्यों! तो बता दें कि, आज युवाओं के दिल पर राज करने वाले तीन मशहूर सिंगर्स आतिफ असलम, फाल्गुनी पाठक, श्रेया घोषाल का बर्थडे है।
ऐसे में आज न्यूज़ट्रैक.कॉम आपके इन तीनों पसंदीदा गायकों से आपको रूबरू करवाने जा रहा है।
आतिफ असलम-
कुछ सालों पहले दूर से आये एक ‘मेहमान’ ने हमें एक बड़ा मधुर सा गाना सुनाया, वो गाना था दूरी, सही जाये ना'... इस गाने की बदौलत आतिफ को इतना प्यार मिला कि फिर सरहद के उस छोर से आये आतिफ़ असलम को किसी ने वापस नहीं जाने दिया।
'जल' बैंड से अपने म्यूज़िकल करियर की शुरुआत करने वाले आतिफ़ की आवाज़ को भारत लेके आये महेश भट्ट, जिन्होंने अपनी फ़िल्म ‘ज़हर’ के लिए आतिफ़ के गाने 'वो लम्हे' को यूज़ किया।
सुबह घास पर पड़ी ओंस की तरह मीठी आवाज रखने वाले आतिफ असलम का जन्म 12 मार्च 1983 को पाकिस्तान के वजीराबाद के गुजरानवाला इलाके में हुआ था। आतिफ के पढ़ाई के दिनों की एक जो सबसे ख़ास बात रही वो ये थी कि, उन्होनें 14 वर्ष की उम्र में ही दसवीं पास कर लिया था। वह अपनी क्लास के सबसे कम उम्र के स्टूडेंट हुआ करते थे।
आतिफ का दिल और दिमाग बचपन से ही संगीत में लगता था। उन्हें गाने सुनना व गुनगुनाना दोनों ही बेहद पसंद था।
सामान्य तौर पर आतिफ हिंदी-उर्दू गायक के तौर पर जाने जाते है व रोमांटिक गानों को बेहतरीन आवाज देने में इनको महारत हासिल है। पुराने गानों के नए वर्जन्स बनाकर गाना हो या गजल को गुनगुनाना हो आतिफ म्यूजिक से जुड़े हर टास्क को बखूबी पूरा करने के लिए भी जाने जाते हैं।
श्रेया घोषाल – बॉलीवुड की मशहूर सिंगर श्रेया घोषाल का आज 34वां जन्मदिन है। नेशनल और फिल्मफेयर अवार्ड विजेता ‘श्रेया’ के नाम पर अमेरिका के ‘ओहियो’ राज्य में 26 जून को 'श्रेया घोषाल डे' भी मनाया जाता है।
श्रेया का जन्म 1984 को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुआ था, जबकि उनका पालन-पोषण राजस्थान के रावतभाटा में हुआ। उन्होनें मुंबई के एटॉमिक एनर्जी सेंट्रल स्कूल से पढ़ाई की, एसआईईएस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। संगीत को अपना जुनून बनाने वालीं श्रेया ने महज 4 साल की उम्र से ही संगीत की शिक्षा लेना शुरू कर दी थी।
हिंदी के अलावा उन्होंने तमिल, तेलुगू, बंगाली, कन्नड़, मराठी, पंजाबी और मलयालम भाषा में भी गाने गाए हैं। श्रेया ने सबसे पहले सारेगामा कॉन्टेस्ट में हिस्सा लेकर अपनी पहचान बनाईं।
बॉलीवुड इंडस्ट्री में सिंगर्स को हिट होने के लिए अक्सर आइटम नंबर गाने पड़ते हैं, लेकिन ‘श्रेया घोषाल’ को मशहूर होने के लिए कभी आइटम नंबर गाने का सहारा न लेना पड़ा और शायद ये उनकी अच्छी सोच और मेहनत ही थी, जो आज उन्हें इस ऊँचे मकाम तक खींच लाई।देवदास की ‘पारो’ की आवाज़ का दर्द 'बैरी पिया' हो या फिर ‘मुन्ना भाई MBBS’ का वो गाना 'पल पल हर पल'...इन सभी खूबसूरत गानों के पीछे हमें श्रेया की मेहनत साफ़ देखने को मिलती है।
सिर्फ़ 16 साल की उम्र में ‘देवदास’ के लिए अपना पहला गाना रिकॉर्ड करने वालीं श्रेया इस वक़्त बॉलीवुड की सबसे अच्छी सिंगर्स में से एक हैं।
फाल्गुनी पाठक- देशभर में ‘डांडिया क्वीन’ नाम से मशहूर ‘फाल्गुनी पाठक’ की संगीत की दुनिया में अलग ही पहचान है, फाल्गुनी पाठक का गाना 'चूड़ी जो खनकी हाथों में' जब पहली बार आया था, तो अगले कई दिन बिस्तर पर डांस करते हुए बीते।
इसके बाद 'मैंने पायल है छनकाई' से फाल्गुनी ने सबके दिलों में जगह बना ली। उसके बाद से आजतक शायद ही कोई ऐसी नवरात्री या डांडिया नाइट हो, जो फाल्गुनी के इन गानों के बिना पूरी हुई हो। एक तरह से कहें तो फाल्गुनी ने हमें इन दो गानों में 'डांडिया एंथम' दे दिया।