TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

REVIEW: लव ट्रायंगल पर बनी है फिल्म 'हरामखोर', एक ही लड़की से प्यार कर बैठते हैं टीचर और स्टूडेंट

By
Published on: 13 Jan 2017 12:01 PM IST
REVIEW: लव ट्रायंगल पर बनी है फिल्म हरामखोर, एक ही लड़की से प्यार कर बैठते हैं टीचर और स्टूडेंट
X

फिल्म: हरामखोर

कलाकार: नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी, श्वेता त्रिपाठी, त्रिमला अधिकारी

निर्देशक: श्लोक शर्मा

रेटिंग: 2.5/5

अवधि: 1 घंटा 35 मिनट

'हरामखोर' को लेकर पहली राय..जिन लोगों ने भी फिल्म का ट्रेलर देखा है वो किसी तरह के पूर्वाग्रह के तहत न हीं जाएं तो अच्छा है क्योंकि ये फिल्म आपको चौंकाएगी। साथ ही आपके सारे आंकलन को गलत साबित कर देगी..फिल्म हर दर्शक वर्ग को रास आएगी, ये जरूरी नहीं। ये एक प्रयोगवादी फिल्म है, जो अपने एक्टर्स के दमदार प्रदर्शन की बदौलत ही उठ सकती है।

कहानी: 'हरामखोर' का बैकड्रॉप मध्य प्रदेश है। वहां के एक गांव में गणित का टीचर है टेकचंद यानि की नवाजुद्दीन सिद्दीकी। पांचवी से दसवीं तक के बच्चों को गणित पढ़ाता है। 15 साल की संध्या यानि श्वेता त्रिपाठी उसी की क्लास में पढ़ती है, जो श्याम को पसंद है। संध्या के क्लास में कमल यानि कि बाल कलाकार इरफान और मिन्टू यानि कि मोहम्मद समद भी पढ़ते हैं। एक तरफ जहां श्याम शादीशुदा होने के बावजूद संध्या को दिल दे बैठता है। वहीं कमल भी संध्या को प्यार करता है। संध्या की मां मर चुकी है और इस लिहाज से वो काफी अकेली है। अब ये अलग तरह का प्रेम त्रिकोण फिल्म ही फिल्म की कहानी है, जिसमें कॉमेडी और इमोशन दोनों है। मगर फिल्म का स्क्रीनप्ले बहुत सुस्त होने की वजह से कलाकारों के अभिनय के बलबूते ही फिल्म को उपर उठती है। फिल्म 'हरामखोर' के निर्देशन में कमी कम है बल्कि फिल्म की एडिटिंग इसे कमजोर करती है।

आगे की स्लाइड में जानिए फिल्म में स्टार्स की एक्टिंग

अभिनय: गांव के मास्टर साहब के किरदार में नवाजुद्दीन ने सच्चाई को सही तरीके से अपने अभिनय में उतारा है। टेकचंद में आपको वो ही मास्टर दिखायी देगा। जिससे आपका भी वास्ता कभी न कभी गांव में पड़ा होगा। एक संध्या को सादगी के साथ परदे पर उतारा है श्वेता त्रिपाठी ने। मसान के बाद श्वेता ने फिर साबित कर दिया है कि वो अभिनय के कठिन सुर भी आसानी से लगा सकती है। बाल कलाकारों का अभिनय भी आपको गुदगुदाएगा और कास्टिंग डायरेक्टर से लेकर निर्देशक तक इसके लिए बधाई के पात्र हैं। जिन्होंने इतनी महीन अदाकारी उनसे कराई है।

वर्डिक्ट: 'हरामखोर' अव्वल है अपने अलग विषय में। गंवई माहौल को जीवंत करने में। साथ ही साथ किरदारों के कमाल के प्रदर्शन में। लेकिन फिल्म की सुस्ती इसकी सेहत के लिए थोड़ी हानिकारक है। फिल्म थोड़ी और क्रिस्प होती तो बेहतरीन बन सकती थी, मगर फिर भी 'हरामखोर' एक बार देखने लायक है।



\

Next Story