TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

बनारसी ने कहा दुनिया भुला दूंगा,मुंबई बोली तेरी उम्मीद तेरा इंतजार

Newstrack
Published on: 17 Feb 2016 10:57 PM IST
बनारसी ने कहा दुनिया भुला दूंगा,मुंबई बोली तेरी उम्मीद तेरा इंतजार
X

वाराणसी: जिले के पिंडरा ब्लॉक के ओदार गांव का रहने वाला एक लड़का मुंबई क्या पहुंचा, मुंबई ने कहना शुरू कर दिया, ‘धीरे-धीरे से मेरी जिंदगी में आना'। वो मुंबई की जिंदगी में ऐसा आया कि पूरा बॉलीवुड सिर्फ उसी के लिखे गीत गाने लगा। एक वक़्त ऐसा भी आया जब वह लड़का बनारस वापस आया यह कहते हुए।‘ मैं दुनिया भुला दूंगा’। लेकिन मायानगरी मुंबई ने भी उसी शख्स के लिखे गीत दोहराए, ‘तेरी उम्मीद, तेरा इंतजार करते हैं’ और ऐसा जादू चलाया कि उसे वापस आना पड़ा। मुंबई ने उसे एक अलग पहचान दी। आज बनारस का वह छोरा दुनिया में सबसे ज्यादा गीत लिखने के लिए गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करा चुका है।

गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम

बात मशहूर गीतकार समीर की हो रही है, जिनके लिखे गीतों के दम पर ही बॉलीवुड की फिल्मों में एक बार फिर सुरीला दौरा लौटा था। समीर कि जिंदगी में एक नया मकाम आया है। उनका नाम दुनिया भर में सबसे ज्यादा गीत लिखने वाले गीतकार के रूप में गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज हुआ है। उससे भी बड़ी बात यह कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में पहली बार कोई इस केटेगरी में दर्ज हुआ है। उनका नाम 'बालीवुड्स मोस्ट प्रोफिलिक लिरिसिस्ट' नाम की स्पेशल केटेगरी में दर्ज किया गया है। बीती 15 फ़रवरी को उनका नाम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज किए जाने की घोषणा हुई। गिनीज बुक की टीम ने इससे पहले समीर के लिखे सभी गीतों, उनकी कॉपीराइट को बारीकी से जांचा और उसके बाद उनका नाम गिनीज बुक में शामिल करने के लिए रिकमेंड किया गया।

एक वक़्त मुंबई को कर दिया था गुडबाय

बात साल 1997 की है। इस साल समीर की जिंदगी में बड़े बदलाव आए जो बहुत सुखद नहीं थे। उनके पिता और अपने जमाने के मशहूर गीतकार अंजान का इंतकाल हो गया। इसके बाद ही अचानक उनके गीतों को अलग पहचान देने वाले टी सीरीज के मालिक गुलशन कुमार को मौत के घाट उतार दिया गया। यह दौर था जब बॉलीवुड पर अंडरवर्ल्ड का साया मंडरा रहा था। कई बॉलीवुड की नामचीन हस्तियों को धमकी मिली, हमला हुआ और कई की ह्त्या कर दी गई। पिता की मौत के बाद और बॉलीवुड में बढ़ते खूनखराबे को देखते हुए गीतकार का मन मुंबई से उचट गया। उन्होंने एक दिन बनारस का रुख कर लिया लेकिन यहां भी उनका मन नहीं लगा और एक बार फिर नए जोश के साथ वह मुंबई वापस आए। वह साल 1999 था जब फिल्म 'हसीना मान जाएगी' से समीर ने बॉलीवुड में अपनी दूसरी पारी की शुरूआत की।

बनारस से मुंबई तक यूं रहा सफर

समीर की शुरूआती पढ़ाई बनारस में हुई है। इसके बाद उन्होंने बीएचयू से एमकॉम की पढ़ाई पूरी की। माता-पिता तो चाहते थे कि समीर बैंक अधिकारी बनें, लेकिन पिता के गीतों के दीवाने समीर का मन भी इसी ओर लगा। एक दिन पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए वे मुंबई पहुंच गए। मुंबई आकर समीर ने तीन सालों तक कड़ा संघर्ष किया। काफी मेहनत के बाद 1983 में उन्हें बतौर गीतकार 'बेखबर' फिल्म के लिए गीत लिखने का मौका मिला। समीर को फिल्म हम हैं राही प्यार के में गीत 'घूंघट की आड़ से', दीवाना में 'तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार करते हैं' और आशिकी में 'नज़र के सामने' के लिए फिल्मफेयर अवार्ड मिला है।

इसके बाद जो हुआ वह अपने आप में बड़ा इतिहास है। बॉलीवुड के इतिहास में पिता की ही तरह पुत्र का नाम सुनहरे पन्नों में दर्ज है। बॉलीवुड उनके लिए आज भी गुनगुना रहा है, ‘तुम दिल की धड़कन में रहते हो'।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story