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Kishore Kumar Death Anniversary: आपातकाल में किशोर कुमार के गीतों पर भी लगी थी बंदिश
बॉलीवुड के बेहतरीन गायक किशोर कुमार का 13 अक्टूबर 1987 को निधन हुआ था और आज उनकी पुण्यतिथि है। आइये न्यूजट्रैक के साथ जाने उनकी जिंदगी के कुछ अतरंग किस्से
Kishore Kumar Death Anniversary: हिन्दी फिल्मों की दुनिया में किशोर कुमार एक ऐसा नाम है जिसे असली कलाकार कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। वह गायक के साथ संगीतकार, अभिनेता और निर्माता निर्देशक भी थे। वह पूर्ण कलाकार थे। अपनी इसी प्रतिभा के चलते किशोर कुमार को लोग आज 35 साल भी भूल नहीं पाए हैं। किशोर कुमार का जन्म जहां हुआ वहीं उनका अंतिम संस्कार मध्य प्रदेश के खंडवा में ही किया गया था। सुपर स्टार अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना की सफलता के पीछे किशोर कुमार का बड़ा योगदान रहा है।
शानदार अभिनेता, सुरीले गायक, उम्दा निर्माता निर्देशक, कुशल पटकथा लेखक और बेहतरीन संगीतकार के तौर पर किशोर को एक संपूर्ण कलाकार कहा जा सकता है। हर तरह के गीतों, चाहे वह दर्द भरे गीत हों या रूमानियत से भरे प्रेमगीत, हुल्लड़ वाले जोशीले नगमे हों या संजीदा गाने उनकी आवाज ने इन्हें यादगार बना दिया। गांगुली परिवार में पैदा हुए किशोर कुमार का पूरा परिवार ही फिल्मों से जुडा रहा है। कोलकाता के फिल्मी मुखर्जी परिवार से जुडे किशोर कुमार के भांजे भप्पी लाहिडी भी फिल्म संगीत में एक बडा नाम है।
किशोर कुमार ने फिल्मी दुनिया में अभिनय से कदम रखाा। फ़िल्म का नाम था शिकारी जो 1946 में आई थी। उन्हें पहली बार गाने का मौका मिला 1948 में बनी फ़िल्म जिद्दी में, जिसमें उन्होंने देव आनन्द के लिए गाना गाया। किशोर कुमार के एल सहगल के जबर्दस्त प्रशंसक थे, इसलिए उन्होंने यह गीत उन की शैली में ही गाया। जिद्दी की सफलता के बावजूद उन्हें न तो पहचान मिली और न कोई खास काम मिला। 1954 में उन्होंने बिमल राय की नौकरी में एक बेरोजगार युवक की संवेदनशील भूमिका निभाकर अपनी ज़बर्दस्त अभिनय प्रतिभा से भी परिचित किया।
इसके बाद उन्होंने बाप रे बाप, नई दिल्ली, मि. मेरी और आशा फिल्म में काम किया। चलती का नाम गाड़ी एक ऐसी फिल्म थी जिसमे अभिनेत्री मधुबाला के अलावा किशोर कुमार के दोनों भाइयों अशोक कुमार और अनूप कुमार ने भी काम किया था ।
शुरुआत में कई फ़िल्मों में मोहम्मद रफ़ी ने किशोर कुमार के लिए अपनी आवाज दी थी। काम के लिए किशोर कुमार सबसे पहले एस डी बर्मन के पास गए थे, जिन्होंने पहले भी उन्हें 1950 में बनी फ़िल्म प्यार में गाने का मौका दिया था। एस डी बर्मन ने उन्हें फिर बहार फ़िल्म में एक गाना गाने का मौका दिया।किशोर कुमार ने अपने जीवन में चार शादियां की थीं। किशोर कुमार की पहली पत्नी रूमा गुहा थी । लेकिन शादी के 8 साल बाद उन्होंने अपनी पहली पत्नी तलाक ले लिया। इसके बाद उन्होंने 1960 में मधुबाला से शादी कर ली। किशोर कुमार की तीसरी शादी योगिता बाली से हुई थी, इसके बाद उन्होंने चौथी शादी अभिनेत्री लीना चन्द्रावरकर से शादी की।
किशोर कुमार ने हिन्दी के साथ ही तमिल, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उड़िया फ़िल्मों के लिए भी गीत गाए। किशोर कुमार ने 1957 में बनी फ़िल्म फंटूस में दुखी मन मेरे गीत ने अपनी ऐसी धाक जमाई कि जाने माने संगीतकारों को किशोर कुमार की प्रतिभा का लोहा मानना पड़ा। आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार ने मुनीम जी, टैक्सी ड्राइवर, फंटूश, नौ दो ग्यारह, पेइंग गेस्ट, गाईड, ज्वेल थीफ़, प्रेमपुजारी, तेरे मेरे सपने जैसी फ़िल्मों में अपनी जादुई आवाज से फ़िल्मी संगीत के दीवानों को अपना दीवाना बना लिया।
1975 में देश में आपातकाल के समय एक सरकारी समारोह में भाग लेने से साफ मना कर देने पर तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ला ने किशोर कुमार के गीतों के आकाशवाणी से प्रसारित किए जाने पर पर रोक लगा दी थी। अपने फिल्मी कैरियर में किशोर कुमार को आठ फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिले, उनको पहला फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार 1969 में अराधना फ़िल्म के गीत रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना के लिए दिया गया था। किशोर ने देव आनंद से लेकर राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन के लिए अपनी आवाज दी। इन सभी अभिनेताओं पर उनकी आवाज ऐसी रची बसी मानो किशोर खुद उनके अंदर मौजूद हों। किशोर कुमार ने 81 फ़िल्मों में अभिनय किया और 18 फ़िल्मों का निर्देशन भी किया।