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ये है असली नीरजा की पूरी कहानी, ऐसे ही नहीं कहा जाता हीरोइन ऑफ हाईजैक
मुंबई: राम माधवानी के निर्देशन मे फिल्म 'नीरजा' 19 फरवरी को रिलीज हुई। फिल्म में एक्ट्रेस सोनम कपूर लीड रोल में हैं। हालांकि इस फिल्म से जुड़ी ढेरों जानकारी पहले ही सामने आ चुकी हैं । बीते दिनों फिल्म प्रमोशन के दौरान फिल्म डायरेक्टर ने नीरजा भनोट की पुरानी तस्वीरों के साथ फ्लाइट के दौरान की गई अनाऊंसमेंट की रिकॉर्डिंग सुनाई, जो सुनने वालों को एक बार फिर उस बहादुर लड़की के बारे में सोचने पर मजबूर कर देती है। इस वीडियो को यूट्यूब पर जारी किया गया है ।
सोनम कपूर (फिल्म नीरजा में)
कौन थी नीरजा?
नीरजा मुंबई में पैन ऍम एयरलाइंस की एयर होस्टेस थीं। 5 सितंबर 1986 के मुंबई से न्यूयाॅर्क से जा रहे पैन एम फ्लाइट-73 के हाईजैक प्लेन में यात्रियों की सहायता और सुरक्षा करते हुए वो आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुईंं।उनकी बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत भारत सरकार ने शांति काल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया। नीरजा का जन्म 7 सितंबर 1963 को चंडीगढ़ मे हुआ था। उनके पिता हरीश भनोट पेशे से पत्रकार थे। इनकी मां का नाम रमा भनोट है। शुरुआती पढ़ाई चंडीगढ़ में पूरी करने के बाद वे मुंबई आ गईं और सेंट जेवियर्स कॉलेज से आगे की पढ़ाई की ।
सोनम कपूर(बाएं),नीरजा भनोट(दाएं)
शादी की भी उम्र कम
लाइफ की तरह ही नीरजा की शादी की उम्र कम रही। उनकी शादी साल 1985 में हुई थी, लेकिन ये रिश्ता दो महीने ही चला। नीरजा वापस मुंबई आ गईं और ‘पैन ऍम’ में एयर होस्टेस की नौकरी करने लगीं ।
घटना के दिन क्या हुआ था?
मुंबई से न्यूयॉर्क के लिए रवाना पैन ऍम-73 को कराची में चार आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया। सारे यात्रियों को बंधक बना लिया गया। नीरजा उस विमान में सीनियर पर्सर के रूप में नियुक्त थीं और उन्हीं की सूचना पर चालक दल के तीन सदस्य विमान के कॉकपिट से तुरंत निकलने में कामयाब रहे। वरिष्ठ विमानकर्मी के रूप में यात्रियों की जिम्मेदारी नीरजा के ऊपर ही थी। बंधक बनाए जाने के कुछ घंटे बाद जब आतंकवादियों ने यात्रियों को मारना शुरू किया और विमान में विस्फोटक लगाने लगे तो नीरजा ने विमान का इमरजेंसी दरवाजा खोल यात्रियों को सुरक्षित विमान से बाहर निकाला।
फिल्म नीरजा में सोनम कपूर
'हीरोइन ऑफ हाईजैक'
नीरजा चाहतीं तो दरवाजा खोलते ही खुद पहले कूदकर निकल सकती थीं, लेकिन उसने ऐसा न करके पहले यात्रियों को निकालने का प्रयास किया। बच्चों को सुरक्षित निकालने की कोशिश में नीरजा आतंकवादियों की गोली का शिकार हुई । नीरजा की इसी वीरता के कारण उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हीरोइन ऑफ हाईजैक के रूप में भी जाना जाता है। 'अशोक चक्र' पाने वाली सबसे कम उम्र की महिला नीरजा की बहादुरी को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया, जो भारत का सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है। मृत्यु के वक़्त नीरजा भनोट की उम्र 23 साल थी। इस प्रकार वे यह पदक प्राप्त करने वाली पहली महिला और सबसे कम आयु की नागरिक भी बन गईं।
नीरजा भनोट
विदेशों से भी मिला सम्मान
पाकिस्तान सरकार ने भी नीरजा की दिलेरी को नवाजा और उन्हें ‘तमगा-ए-इंसानियत’ का खिताब दिया। अमेरिका ने वर्ष 2005 में उन्हें ‘जस्टिस फॉर क्राइम अवार्ड’ दिया। साल 2004 में उनके सम्मान में भारत सरकार ने एक डाक टिकट भी जारी किया था। नीरजा की याद मे मुंबई के घाटकोपर में एक चौराहे का नाम भी रखा गया। इसके अलावा उनकी स्मृति में एक संस्था ‘नीरजा भनोट पैन ऍम न्यास’ की स्थापना भी हुई। ये संस्था महिलाओं को साहस और वीरता के लिए सम्मानित करती है।