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जानते हैं अस्थमा से जुड़ें ये भ्रम, जो मरीजों के लिए हैं फायदेमंद
लखनऊ: लाइफस्टाइल में अस्थमा जैसी बीमारी होना आम बात है। पॉल्यूशन भी अस्थमा के लिए जिम्मेदार है। लोगों में अस्थमा को लेकर कुछ मिथ्या होते हैं। अस्थमा ये हमेशा नहीं रहता। अस्थमा के दौरान चेस्ट में कंजेशन होना, ठीक से सांस ना आना, कफ होना ये सभी सिम्टम्स दिखाई देते हैं। अस्थमा एक क्रोनिक डिजीज है जो कि लंबे समय तक रहती है। अस्थमा का इलाज दवाओं से लंबे समय तक होता है।
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एक धारणा है कि अस्थमा के सिम्टम्स नहीं है, तो दवाएं छोड़ तो आप अपनी हेल्थ के साथ बुरा कर रहे हैं। मरीज नॉर्मल लाइफ नहीं जी सकते ये भी मिथ्या है। अस्थमा होने पर भी आप नॉर्मल और हेल्दी लाइफ जी सकते हैं। अगर आप अपने डॉक्टर की सलाह पर चलते हैं और नियमित तौर पर दवाएं लेते हैं तो अस्थमा आपको बहुत तकलीफ नहीं देगा। बहुत से सेलिब्रिटीज हैं जिनको अस्थमा है लेकिन वे नॉर्मल और एक्टिव लाइफ जी रहे है।
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अस्थमा होने पर भी आप खेल भी सकते हैं और एक्सरसाइज भी कर सकते हैं, लेकिन आपको नियमित तौर पर डॉक्टर की सलाह पर दवाएं लेना जरूरी है। अस्थमा के मरीजों के लिए स्वीमिंग बेहतर है। बहुत से अस्थमा मरीजों को एक्सरसाइज के बाद बहुत रिलीफ मिलता है।
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ये सिर्फ भ्रम है कि अस्थमा मरीजों के लिए इन्हेलर से बेहतर दवा हैं। इन्हेलर थेरेपी अस्थमा में बेस्ट है। टैबलेट्स और सीरप अपना असर देर से दिखाती हैं , जबकि इन्हेटलर ड्रग डायरेक्ट लंग्स में जाती है। इन्हेलर महंगा है ये भी एक मिथ है कि इन्हेलर थेरेपी दवाओं और सीरप ये महंगी है, लेकिन सही बात ये है कि टेबलेट और सीरप की एक दिन की जितनी कोस्ट होती है इन्हेलर की उससे भी सस्ती होती है। इंडिया में इन्हेलर आसानी से एफोर्ड किया जा सकता है।