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सबकी आंखों में आंसू: जब लता ने गाया था ऐ मेरे वतन के लोगों, गाना सुनकर रो पड़े थे कार्यक्रम में मौजूद पंडित नेहरू

Lata Mangeshkar: देश में हर महत्वपूर्ण मौके पर ऐ मेरे वतन के लोगों गाना जरूर बजता रहा है और इस गाने को सुनने वाले लोग आज भी राष्ट्रभक्ति की भावनाओं में डूब जाते हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Vidushi Mishra
Published on: 6 Feb 2022 4:45 AM GMT
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लता मंगेशकर (फोटो-सोशल मीडिया)

 

Lata Mangeshkar: वैसे तो लता मंगेशकर ने हजारों गाने गाए हैं मगर इन गानों में ऐ मेरे वतन के लोगों (aye mere watan ke logon) का अलग मुकाम है। देश में हर महत्वपूर्ण मौके पर यह गाना जरूर बजता रहा है और इस गाने को सुनने वाले लोग आज भी राष्ट्रभक्ति की भावनाओं में डूब जाते हैं। लता मंगेशकर ने जब 27 जनवरी 1963 को पहली बार दिल्ली के रामलीला मैदान में यह गाना गाया था तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) की आंखों में भी आंसू आ गए थे।

कार्यक्रम के बाद उन्होंने लता मंगेशकर को अपने पास बुलाया था। उनके बुलावे पर लता नर्वस हो गई थी कि शायद हमसे कोई गलती हो गई है मगर पंडित नेहरू ने उनसे कहा था कि लता, तुमने तो आज मुझे रुला दिया।

गाने को लिखे जाने की कथा भी दिलचस्प

यह गाना 1962 में भारत और चीन के युद्ध (1962 India China War) में शहीद हुए सैनिकों की याद में लिखा गया था। इस गाने को लिखने और फिर लता के इस गाने को गाने के लिए तैयार होने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। इस गाने का पहला स्टैंजा कवि प्रदीप(Kavi Pradeep) के दिमाग में तब गूंजा था जब वे मुंबई के माहिम बीच पर वॉक कर रहे थे। प्रदीप(Kavi Pradeep) ने वॉक करते हुए किसी से पेन मांगा और अपने सिगरेट के पैकेट की फाइल फाड़ ली।

उन्होंने गाने की कुछ पंक्तियां सिगरेट के डिब्बे के उसी कागज पर नोट कर ली। प्रधानमंत्री के सामने होने वाले कार्यक्रम में कई लोगों के गाने को सम्मिलित किया गया था जिनमें बहादुरी और सेना की वीर गाथा का जिक्र था।

कवि प्रदीप (Kavi Pradeep) का गाना उन गानों से बिल्कुल अलग था क्योंकि इसमें जवानों के कष्टों के साथ ही उनकी ओर से दी गई शहादत को खूबसूरती से रेखांकित किया गया था। कवि प्रदीप ने देशवासियों का आत्मविश्वास फिर से जगाने के लिए यह गीत लिखा था।

पहले लता ने गाने से कर दिया था इनकार

इस गाने को लिखने के बाद कवि प्रदीप (Kavi Pradeep) की इच्छा थी कि इसे लता मंगेशकर को ही गाना चाहिए। लता ने खुद इस बात का खुलासा किया था कि जब कवि प्रदीप ने इस गीत को गाने के लिए उनके सामने प्रस्ताव रखा तो उन्होंने इसे गाने से इनकार कर दिया था। इसका कारण यह था कि लता के पास इस गीत को गाने के लिए रिहर्सल का समय नहीं था मगर कवि प्रदीप उनसे ही गीत को गवाने पर अड़े हुए थे।

आखिरकार लता को कवि प्रदीप(Kavi Pradeep) की जिद के आगे झुकना पड़ा और वे यह गाना गाने के लिए तैयार हो गईं। लता इस गाने को अपनी बहन आशा भोसले के साथ गाना चाहती थीं मगर किसी कारणवश आशा भोंसले दिल्ली नहीं गईं और लता ने दिल्ली के रामलीला मैदान में अकेले ही यह गाना प्रस्तुत किया था।

गाना सुनकर पंडित नेहरू की आंखों में आए आंसू

इस गाने को सुनने के लिए मैदान खचाखच भरा हुआ था और शुरुआत में लता कुछ नर्वस थीं। शुरुआत में उन्होंने अल्लाह तेरो नाम भजन गाया और उसके बाद ए मेरे वतन के लोगों गीत प्रस्तुत किया। लता की जादुई आवाज में यह गीत सुनकर लोग काफी प्रभावित हुए। लता के मुताबिक इस गाने को गाने के बाद वे स्टेज के पीछे पहुंचीं और उन्होंने कॉफी पी। तभी महबूब खान लता के पास पहुंचे और उन्हें बताया कि प्रधानमंत्री नेहरू उन्हें बुला रहे हैं।

लता पंडित नेहरू के पास पहुंचीं तो पंडित जी समेत वहां मौजूद सभी लोगों ने अभिवादन करने के बाद लता को बेहतरीन गाने के लिए बधाई दी।

पंडित नेहरू ने लता मंगेशकर से कहा कि देश भक्ति के इस गाने को सुनकर मेरी आंखों में आंसू आ गए। लता मंगेशकर के मुताबिक मुझे इस बात का अंदाजा नहीं था कि आगे चलकर यह गीत इतना ज्यादा लोकप्रिय हो जाएगा। हालांकि कवि प्रदीप(Kavi Pradeep) ने मुझसे पहले ही कहा था कि यह गाना लोगों की जुबान पर चढ़ जाएगा।

बाद के दिनों में इस गाने को पूरे देश में अपार लोकप्रियता मिली। आज भी इस गाने को लता की आवाज में सुनकर लोग रोमांचित हो उठते हैं। देश के स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और अन्य महत्वपूर्ण मौकों पर यह गाना जरूर सुना जाता है।

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Vidushi Mishra

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