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B'DAY: कौन करता था लता मंगेशकर का पीछा, किससे की थी उन्होंने शिकायत?

suman
Published on: 27 Sep 2016 10:21 AM GMT
BDAY: कौन करता था लता मंगेशकर का पीछा, किससे की थी उन्होंने शिकायत?
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मुंबई : सुरों की मल्लिका, स्वर कोकिला लता मंगेश्कर की आवाज कानों में अमृत घोलने का काम करती है। उनकी मीठी आवाज और सुरों का जादू देश ही नहीं, दुनिया में भी किसी पहचान की मोहताज नहीं है। फिल्म इंडस्ट्री में लगभग 6 दशक से अपने सुरों का जादू बिखेर रही लताजी ने 30 से अधिक भाषाओं में गाने गाए हैं। आज वो जिस मुकाम पर हैं उसके सपने हर सिंगर देखना चाहता है।उनकी आवाज को लेकर विज्ञान ने भी कह दिया कि इतनी सुरीली आवाज न कभी थी और न कभी होगी।

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हेमा से लता बन गई

28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में एक मराठी फैमिली में लता मंगेशकर का जन्म हुआ था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर रंगमंच के कलाकार थे। 5 भाई-बहनों में लताजी सबसे बड़ी थी। पहले उनका नाम हेमा था बाद में 5 साल की उम्र में उनका नाम बदलकर हेमा रख दिया गया।

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बचपन से सिंगर बनने की तमन्ना

लता जी के पिता नहीं चाहते थे कि वे फिल्मों में गाना गाए। वो पिता के साथ थिएटर जाया करती थी। मीना, आशा, उषा और हृदयनाथ मंगेशकर लताजी से छोटे हैं। जब लता 7 की थी तब वो महाराष्ट्र आईं। लता ने छोटी उम्र से पिता के साथ एक रंगमंच कलाकार के रूप में एक्टिंग करना शुरू कर दिया था, लेकिन वो बचपन से ही सिंगर बनना चाहती थीं। इसलिए वे बॉलीवुड में गाना चाहती थी। उनके पिता शास्त्रीय संगीत के पक्षधर थे, इसीलिए शायद वे लताजी के फिल्मों में गाने के खिलाफ थे। साल 1942 में उनके पिता का देहांत हो गया। इसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए लता मंगेशकर ने मराठी और हिंदी फिल्मों में छोटे-छोटे करने शुरु कर दिए।

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25 रुपए थी पहली कमाई

लताजी की पहली कमाई 25 रुपए थी। उन्हें पहली बार स्टेज पर गाने के लिए 25 रुपये मिले थे। इसे ही वो अपनी पहली कमाई मानती हैं। लताजी ने पहली बार 1942 में मराठी फिल्म 'किती हसाल' के लिए गाना गाया। लताजी के साथ उनके भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनें उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले ने संगीत को ही अपने करियर के रूप में चुना। लता जी के तरह ही आशा भोसले भी फिल्म गायन की में सबसे बड़ा योगदान रहा है।

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हिंदी फिल्मों में गाने का पहला ब्रेक

हिंदी फिल्मों में हैदर ने लता को 'मजबूर' (1948) पहला ब्रेक दिया। पहले वे नूरजहां की स्‍टाइल में गाने गाती थीं, मगर बाद में खुद की आवाज बना ली। 1949 में आई फिल्‍म 'महल' में मधुबाला के लिए गाया हुआ एक गाना काफी लोकप्रिय हुआ। वह गाना था- 'आएगा आने वाला...'। लताजी ने हर दौर के संगीतकारों के साथ गाने गाए जिसमें अनिल बिश्‍वास, शंकर-जयकिशन, नौशाद अली, एसडी बर्मन, मदन-मोहन सहित कई दिग्‍गज संगीतकारों केनाम आते है।

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लता ने इसलिए नहीं की शादी

लता जी ने ताउम्र शादी नहीं की है। इसके पीछे वजह उनके ऊपर परिवार की जिम्मेदारिया रही है। लेकिन ऐसी बात नहीं कि वो शादी नही करना चाहती थी । जब लता जी से ये सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि परिवार की जिम्मेदारियों को संभालते-संभालते कब शादी की उम्र निकल गयी पता ही नहीं चली। सहते है कि लता जी बचपन में कुंदनलाल सहगल की एक फिल्म चंडीदास देखकर कहती थीं कि वो बड़ी होकर सहगल से शादी करेंगी। वहीं बाद में उन्होंने शादी ही नहीं की। इस पर उनका कहना है कि घर के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी उन पर थी, ऐसे में जब शादी का ख्याल आता भी तो वह उस पर अमल नहीं कर सकती थीं।

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आशा भोसले के साथ संबंध

लता मंगेशकर ने एक बहन के तौर पर आशा भोसले का हरदम साथ दिया है। पर पेशेवर दुनिया में आशा जी ने खुद पनी पहचान बनाई है। वो भी तब जब गीता दत्त, शमशाद बेगम और लता मंगेशकर का संगीत की दुनिया में धाक थी। एक ओर जहां लता मंगेशकर की आवाज में सुरीलापन और रुमानियत का अहसास था तो आशा भोसले की आवाज में अपनी तरह का बिंदासपन और नटखटपन मौजूद था। लेकिन जब भी इन दोनों बहनों ने एक साथ मिलकर गाना गाया। इतिहास ही रच दिया। चाहे वो मेरे महबूब में क्या नहीं, क्या नहीं और मैं चली, मैं चली जैसे गाने हो या फिर मन क्यों बहका रे बहका आधी रात को सब सदाबहार है और रहेंगे।

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उनके नाम से दिए जाते हैं अवॉर्ड

एक वे एकमात्र ऐसी शख्सियत है जिनके नाम पर अवॉर्ड दिए जाते हैं। उन्होंने अपने करियर में जो भी गाने गाए है वो एवरग्रीन और ऑल टाइम फेवरेट रहे है। उनके मधुर गीत लोगों का ध्यान खींचने में बखूबी भूमिका निभाते हैं। आज भी वह अपना स्वर्णिम दौर जी रही हैं, क्योंकि शायद ही कोई ऐसा होगा जो उनके गीतों पर मुग्ध न जाए। गीत का नाम सुनते ही लता का नाम खुद ही सभी की जुबां पर आ जाता है। उनकी कोयल सी मधुर आवाज ने सैकड़ों फिल्मों के गीतों को अमर बनाया है।

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लता मंगेशकर जी को संगीत में महत्‍वपूर्ण योगदान देने के लिए पद्मभूषण, पद्मविभूषण, दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, महाराष्‍ट्र भूषण अवॉर्ड, भारतरत्‍न, 3 राष्‍ट्रीय फिल्‍म अवॉर्ड, 12 बंगाल फिल्‍म पत्रकार संगठन अवॉर्ड और 1993 में फिल्‍म फेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्‍कार सहित कई अवॉर्ड जीत चुकी हैं। बाद में नए कलाकारों को आगे मौका मिल सके इसके लिए लता-आशा दोनों बहनों कई अवॉर्ड से अपने नाम हटा लिए। लता ने 1948 से 1989 तक 30 हजार से ज्‍यादा गाने गाए हैं, जो एक रिकॉर्ड हैं।

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इस बार लता जी ने अपने 87वें जन्मदिन पर फैंस से खास गुजारिश की है। उन्होंने अपने करोड़ों प्रशंसकों और संगीत प्रेमियों से उनके जन्मदिन पर सीमा पर रखवाली कर रहे बहादुर सेना के जवानों को याद करने और उनके लिए दान करने की अपील की है।

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लता जी का पीछा किया था किशोर दा ने...

वैसे तो लता मंगेशकर के जीवन में बहगुत उतार चढ़ाव आए और बहुत से लोगों से मिला, लेकिन उनकी किशोर कुमार से मुलाकात के किस्से थोड़े हटकर है।लताजी ने बताते हुए कहा था कि बांबे टॉकीज की फिल्म जिद्दी के गाने की रिकॉडिंग के लिए जब वे एक लोकल ट्रेन से सफर कर रही थी तो उन्होंने पाया कि एक शख्स भी उसी ट्रेन मे सफर कर रहा है। बाद में स्टूडियों जाने के लिए जब उन्होंने तांगा लिया तो देखा कि वह शख्स भी तांगा लेकर उसी ओर आ रहा है।जिस ओर वो जा रही थी। वे डर गईं कि उनका कोई पीछा कर रहा है इसको लेकर दोनों की अनबन हो गई। इसकी शिकायत खेमचंद जी से करी तो उन्होंने बताया कि ये शख्स किशोर कुमार हैं।

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