स्वर कोकिला की मौत की साजिश: लता ताई को किसी ने दिया था जहर

Lata Mangeshkar: स्वर कोकिला लता ताई को 33 के उम्र में किसी ने जहर दे दिया था, लता मंगेशकर से जुड़े इस दर्दनाक मामले के बारे में आपने शायद ही सुना होगा।

Priya Singh
Report Priya SinghPublished By Shashi kant gautam
Published on: 6 Feb 2022 9:33 AM GMT (Updated on: 6 Feb 2022 9:34 AM GMT)
Lata mangeshkar passed away
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 Lata mangeshkar passed away (Social Media)

Lata Mangeshkar: कहा जाता है कि जब लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) 33 साल की थीं, तब किसी ने उन्हें जहर देने की कोशिश की थी। एक बार लता मंगेशकर ने खुद इस कहानी से पर्दा हटा दिया था। उन्होंने एक बातचीत में बताया था, "हम इस परिस्थिति के बारे में बात नहीं करते हैं क्योंकि यह हमारे जीवन का सबसे बुरा दौर था। साल 1963 की बात है, मैं इतनी कमजोर थी कि बिस्तर से उठ भी नहीं पाती थी। स्थिति ऐसी थी कि मैं खुद से खड़ी होकर चल भी नहीं पाती थी।"

हेमंत कुमार ने रिकॉर्डिंग के लिए लता की मां से अनुमति ली

लताजी के मुताबिक इलाज के बाद वो धीरे-धीरे ठीक हो गई। उन्होंने कहा, "मुझे पता था कि मेरे अंदर धीरे-धीरे जहर फैल रहा है। मैं ईलाज के लिए भर्ती हुई। डॉक्टर के इलाज और मेरे दृढ़ संकल्प ने मुझे वापस ला दिया।

लता मंगेशकर: Photo - Social Media

तीन महीने के आराम के बाद, मैंने फिर से रिकॉर्डिंग (Recording) शुरू कर दी। बीमारी से उबरने के बाद लताजी का पहला गाना 'कहीं दीप जले कहीं दिल' हेमंत कुमार (Hemant Kumar) ने कंपोज किया था।

हेमंत कुमार के साथ लता मंगेशकर: Photo - Social Media

लताजी कहती हैं, "हेमंत दा घर आए और रिकॉर्डिंग के लिए मेरी मां की अनुमति ली। उन्होंने मां से वादा किया कि अगर मैं तनाव के कोई लक्षण दिखाती हूं, तो वह मुझे तुरंत घर ले आएंगे। सौभाग्य से, रिकॉर्डिंग अच्छी तरह से हो गई। मैंने अपनी आवाज नहीं खोई। लताजी के गाने ने फिल्मफेयर अवार्ड जीता।

मजरूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri) ने उनके ठीक होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

लता मंगेशकर के अनुसार मजरूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri) ने उनके ठीक होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वो कहती हैं कि मजरूह साहब रोज शाम को घर आते थे और उनके बगल में बैठकर कविताएं पढ़ते थे। मजरूह सुल्तानपुरी दिन-रात व्यस्त रहते थे और उनके पास सोने का समय नहीं था।

मजरूह सुल्तानपुरी: Photo - Social Media

लेकिन लता मंगेशकर की बीमारी के दौरान वो हर दिन उनसे मिलने आते थे। रात के खाने के लिए वो लता के साथ उनके लिए तैयार किया हुआ सादा खाना खाते थे। वो हमेशा लता के साथ रहते थे। मजरूह साहब के बिना लता शायद उस कठिन परिस्थिति से उबर नहीं पाती।

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