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कला रंग की भव्य शुरूआत, युवा और वरिष्ठ कलाकारों का हुआ संवाद
लखनऊ: राजधानी में बुधवार से कला का रंग कुछ और गहरा हो उठा। अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में शुरू हुए लखनऊ कला रंग में युवा और वरिष्ठ कलाकारों का संवाद हुआ, कला मेला का आयोजन किया गया, व्याख्यान-प्रदर्शन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। बता दें यह मेला 28 सितंबर तक चलेगा।
पटना स्थित कला एवं शिल्प महाविद्यालय ेके पूर्व प्राचार्य पांडेय सुरेंद्र, लखनऊ स्थित कला एवं शिल्प महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य जयकृष्ण अग्रवाल ने चित्र बनाकर इस कला उत्सव का उद्घाटन किया। इस मौके पर जयपुर कला समिट के संस्थापक निदेशक शैलेंद्र भट्ट भी उपस्थित थे।
नादरंग के इस आयोजन में वरिष्ठ एवं युवा कलाकारों ने अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन किया है। इसके साथ ही विभिन्न शिक्षा संस्थानों के ललित कला विभागों के बड़ी संख्या में विद्यार्थी भी इसमें भागीदार कर रहे हैं। कलाकारों एवं संस्थानों ने स्टालों पर अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन किया है।
कलाकार और समाज में संवाद की कमी
पटना स्थित कला एवं शिल्प महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य पांडेय सुरेंद्र ने कहा कि आज संवेदना की कमी आई है जिसका दुष्परिणाम हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कला पर चर्चा में कमी आई है। वरिष्ठ चित्रकार तथा कला एवं शिल्प महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य जयकृष्ण अग्रवाल ने इस मौके पर कला महाविद्यालय में रणवीर सिंह बिष्ट द्वारा आयोजित किए जाने वाले कला मेला की चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज कलाकार और समाज के बीच संवाद की कमी हुई है।
जयपुर कला समिट के संस्थापक निदेशक शैलेंद्र भट्ट ने प्रसन्नता व्यक्त की कि लखनऊ में इस तरह का आयोजन आरंभ हो सका है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए पत्रकार, कला समीक्षक आलोक पराड़कर ने कहा कि नगर में रंगमंच और संगीत के तो भव्य समारोह होते हैं लेकिन कला से जुड़ा वार्षिक आयोजन नहीं है। समारोह के माध्यम से इस कमी को दूर करने की कोशिश की गई है।
व्यंग्यचित्र महत्वपूर्ण माध्यम
समारोह में व्यंग्यचित्रों पर व्याख्यान-प्रदर्शन करते हुए प्रसिद्ध व्यंग्यचित्रकार माधव बाजपेयी ने कहा कि व्यंग्यचित्र अभिव्यक्ति का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने कहा कि अक्सर यह कहा जाता है कि जल्दी का काम शैतान का होता है लेकिन व्यंग्यचित्र कम समय में की जाने वाली कला है। जयकिशोर ने इस मौके पर मूर्तिकला का प्रदर्शन किया। संचालन करते हुए समन्वयक भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने कलाकारों का स्वागत किया।
अनिल रिसाल की रेजीडेंसी, आजेश का इमामबाड़ा
समारोह में नगर के प्रमुख छायाकार अनिल रिसाल सिंह की रेजीडेंसी पर आधारित छायाचित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई है। रिसाल के चित्र किसी कलाकृति जैसा प्रभाव छोड़ते हैं। इसके साथ ही प्रमुख छायाकार आजेश जायसवाल ने इमामबाड़ा पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शित किए हैं।
वाराणसी के अजय उपासनी ने अपने जलरंगों और तैलरंगों से बने चित्र प्रदर्शित किए हैं। एमिटी विश्वविद्यालय, टेक्नो ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट, मंजरी इंस्टीट्यूट आफ फाइन आर्ट्स सहित विभिन्न संस्थानों द्वारा कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया है।
छायाचित्रों, आटोग्राफ की होड़
समारोह में पांडेय सुरेंद्र, जयकृष्ण अग्रवाल जैसे वरिष्ठ कलाकारों को अपने बीच पाकर कला विद्यार्थियों में उनके साथ छायाचित्र लेने और आटोग्राफ लेने की होड़ लग गई। कला विद्यार्थी देर तक सेल्फी और समूह चित्र कराते रहे।
कथक नृत्य के साथ संपन्न हुआ पहला दिवस
कथक नृत्य के साथ पहले दिवस के कार्यक्रमों का समापन हुआ। कल्चरल क्ववेस्ट के कलाकारों ने इस मौके पर सामूहिक नृत्य किया। प्रमुख नृत्यांगना सुरभि सिंह की शिष्या अस्मिता, ईशा और मीशा ने इस मौके पर राम वंदना के बाद शुद्ध नृत्य किया।
कलाओं के अन्तरसंबंध पर संगोष्ठी आज
लखनऊ कला रंग के दूसरे दिन 27 सितंबर को पूर्वाह्न 11 बजे से कलाओं के अन्तरसंबंध पर संगोष्ठी होगी। संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष पूर्णिमा पांडेय, वरिष्ठ रंगकर्मी उर्मिल कुमार थपलियाल, शकुंतला मिश्र पुनर्वास विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजीव नयन, कला एवं शिल्प महाविद्यालय के प्राचार्य रतन कुमार, नाटककार राजेश कुमार, चित्रकार अजय उपासनी विचार व्यक्त करेंगे। दोपहर 12.30 बजे से चित्रकला प्रतियोगिता और सायं छह बजे से कथक नृत्य होगा।