×

Shiv Ji Ki Aarti Lyrics: ॐ जय शिव ओंकारा, आरती महादेव जी की, महाशिवरात्रि पर करें ये आरतियां, भोले बाबा होंगे प्रसन्न

Shiv Ji Ki Aarti Lyrics: महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विशेष कृपा पाने के लिए उनकी आरती जरूर करनी चाहिए|

Shivani Tiwari
Written By Shivani Tiwari
Published on: 25 Feb 2025 3:51 PM IST
Shiv Ji Ki Aarti Lyrics
X

Shiv Ji Ki Aarti Lyrics 

Shiv Ji Ki Aarti Lyrics: 26 जनवरी को पूरे देश भर में महाशिवरात्रि मनाई जाने वाली है। इस खास दिन पर भक्तजन भगवान भोले बाबा के लिए उपवास रखते हैं और उनकी विधि विधान से पूजा करते हैं। भगवान शिव के लिए अच्छे-अच्छे प्रसाद बनाए जाते हैं, दूध से उनका अभिषेक किया जाता है। महाशिवरात्रि के लिए खूब तैयारियां की जा रहीं हैं। वहीं कहा तो यह भी जाता है कि इस दिन भगवान शिव की विशेष कृपा पाने के लिए उनकी आरती जरूर करनी चाहिए, ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।

भगवान शिव की आरती लिरिक्स (Bhagwan Shiv Ki Aarti Lyrics In Hindi)

भगवान शिव भोले भंडारी है, जो भी भगवान शिव की सच्चे मन और भक्ति से पूजा करता है, उनपर शिव भगवान की विशेष कृपा होती है। भगवान शिव की पूजा जब भी करें तो इस आरती की जरूर पढ़ें। यहां देखें भगवान शिव की आरती की लिरिक्स -



ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा॥

॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥ॐ

दो भुज चार चतुर्भुज, दस भुज अति सोहे ।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे॥ॐ

अक्षमाला बनमाला, रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी॥ॐ

श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ॐ

कर के मध्य कमंडलु, चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ ॐ

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका।

प्रणवाक्षर में शोभित, ये तीनों एका॥ॐ

त्रिगुण शिवजी की आरती, जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ

शिव जी की दूसरी आरती (Shiv Ji Ki Aarti Lyrics)

आरती हर-हर महादेव जी की - 2

सत्य, सनातन, सुन्दर शिव! सबके स्वामी।

अविकारी, अविनाशी, अज, अंतर्यामी।।

आदि, अनंत, अनामय, अकल कलाधारी।

अमल, अरूप, अगोचर, अविचल, अघहारी।।

ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर, तुम त्रिमूर्तिधारी।

कर्ता, भर्ता, धर्ता तुम ही संहारी।।

रक्षक, भक्षक, प्रेरक, प्रिय औघरदानी।

साक्षी, परम अकर्ता, कर्ता, अभिमानी।।

मणिमय भवन निवासी, अतिभोगी, रागी।

सदा श्मशान विहारी, योगी वैरागी।।

छाल कपाल, गरल गल, मुण्डमाल, व्याली।

चिताभस्म तन, त्रिनयन, अयन महाकाली।।

प्रेत पिशाच सुसेवित, पीत जटाधारी।

विवसन विकट रूपधर रुद्र प्रलयकारी।।

शुभ्र-सौम्य, सुरसरिधर, शशिधर, सुखकारी।

अतिकमनीय, शान्तिकर, शिव मुनि मनहारी।।

निर्गुण, सगुण, निरञ्जन, जगमय नित्य प्रभो।

कालरूप केवल हर! कालातीत विभो॥

सत्‌, चित्‌, आनन्द, रसमय, करुणामय धाता।

प्रेम-सुधा-निधि प्रियतम, अखिल विश्व त्राता॥

हम अतिदीन, दयामय! चरण-शरण दीजै।

सब विधि निर्मल मति कर, अपना कर लीजै॥

।।हर हर हर महादेव।।



Shivani Tiwari

Shivani Tiwari

Senior Content Writer

बचपन से ही मनोरंजन क्षेत्र में काफी रुचि थी, बस उसी को पूरा करते आज यहां तक पहुंच चुकी हैं. इससे पहले मैं First India में काम कर चुकी हूं और अब यहां पर अपनी लेखनी से आपका मनोरंजन कर रही हूं.

Next Story