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नहीं रहे महाभारत के देवराज इंद्र, कोरोना से निधन, फैंस में शोक

आज एक्टर सतीश कौल (Satish Kaul) का निधन हो गया है। इन्होंने टीवी सीरियल महाभारत में इंद्रदेव की भूमिका निभाई थी।

Shreya
Published By Shreya
Published on: 10 April 2021 12:46 PM GMT
नहीं रहे महाभारत के देवराज इंद्र, कोरोना से निधन, फैंस में शोक
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नहीं रहे महाभारत के देवराज इंद्र, कोरोना से निधन, फैंस में शोक (फोटो- सोशल मीडिया)

मुंबई: एक बार फिर से इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को तगड़ा झटका लगा है। कई दिग्गज सितारों को खोने के बाद आज 74 वर्षीय एक्टर सतीश कौल (Satish Kaul) का निधन हो गया है। इन्होंने टीवी सीरियल महाभारत (Mahabharat) में इंद्रदेव की भूमिका निभाई थी, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा था। दरअसल, अभिनेता बीते दिनों कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए थे, जिसके बाद उन्होंने शनिवार (10 अप्रैल) सुबह आखिरी सांस ली है।

300 फिल्मों में काम कर चुके थे सतीश कौल

एक्टर के निधन पर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। आपको बता दें कि एक्टर सतीश कौल (Satish Kaul) करीब 300 फिल्मों में काम कर चुके हैं। वो हिंदी सिनेमा के अलावा पंजाबी फिल्मों में भी नजर आए। 'महाभारत', 'सर्कस' और 'विक्रम बेताल' जैसे लोकप्रिय टीवी शोज का हिस्सा रहे। हालांकि इसके बाद भी उनकी जिंदगी फकीरी में गुजर रही थी।

(फोटो- सोशल मीडिया)

मुश्किलों में गुजरे आखिरी दिन

बीते साल उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें घर का किराया देने और अपनी दवाइयों का खर्च उठाने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। वहीं, सतीश कॉल के निधन के बाद उनके फैन्स के बीच शोक की लहर है। सोशल मीडिया पर उन्हें सभी श्रद्धांजलि दे रहे हैं। वहीं, IFTDA के डायरेक्टर अशोक पंडित ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

डायरेक्टर अशोक पंडित ने ट्वीट करते हुए लिखा कि सतीश कौल के निधन की खबर सुनकर काफी दुख हुआ। वो पंजाबी और हिंदी फिल्मों के जाने माने एक्टर थे। पिछले कई दिनों से वो बीमार थे। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।

पंजाब में खोला था एक्टिंग स्कूल

आपको बता दें कि एक्टर सतीश कौल ने पंजाब आने के बाद यहां खुद का एक्टिंग स्कूल शुरू किया था। हालांकि उन्हें इससे कुछ खास कामयाबी हासिल नहीं हो पाई। तब से उनकी मुसीबतें बढ़ती गईं। साल 2015 में हिप बोन में फ्रैक्चर होने के बाद वो करीब ढाई साल तक अस्पताल में भर्ती रहे। उसके बाद उन्होंने दो साल वृद्धाश्रम में भी बिताए।

उसके बाद वो फिर से लुधियाना आकर घर में रहने लगे थे। जिंदगी में कई संघर्षों से भी उन्होंने हार नहीं मानी, लेकिन मौत से वो लड़ाई नहीं जीत सके।


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