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Special story : इस सुपरकॉप को कभी मिला था पदक, आज गजल बन रही पहचान

आज हम आपको एक ऐसे पुलिस अधिकारी से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिन्‍होंने देश सेवा का प्रण लेकर यूपी पुलिस को ज्‍वाइन किया,ज्‍वाइनिंग के बाद इन्‍हें इनकी सराहनीय सेवा के लिए सम्‍मानित भी किया गया।लेकिन गजल के प्रति इनकी दीवानगी ने इन्‍हें ऐसा प्रेरित किया कि पुलिस सेवा के साथ साथ अब इन्‍हें इनकी गजल के लिए भी जाना जाता है। इनकी लोकप्रियता इतनी है कि इन्‍हें हिदी

Anoop Ojha
Published on: 10 Feb 2018 2:34 PM IST
Special story : इस सुपरकॉप को कभी मिला था पदक, आज गजल बन रही पहचान
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Special story : इस सुपरकॉप को कभी मिला था पदक, आज गजल बन रही पहचान

सुधांशु सक्‍सेना

लखनऊ. आज हम आपको एक ऐसे पुलिस अधिकारी से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिन्‍होंने देश सेवा का प्रण लेकर यूपी पुलिस को ज्‍वाइन किया,ज्‍वाइनिंग के बाद इन्‍हें इनकी सराहनीय सेवा के लिए सम्‍मानित भी किया गया।लेकिन गजल के प्रति इनकी दीवानगी ने इन्‍हें ऐसा प्रेरित किया कि पुलिस सेवा के साथ साथ अब इन्‍हें इनकी गजल के लिए भी जाना जाता है। इनकी लोकप्रियता इतनी है कि इन्‍हें हिदी संस्‍थान से लेकर अलग अलग मंचों पर करीब एक दर्जन पुरस्‍कारों से सम्‍मानित किया जा चुका है।

ये सुपरकॉप हैं, वीमेन पावर लाइन में तैनात सीए मोहम्‍मद अली 'साहिल', जिन्‍हें अब उनकी गजल से लोकप्रियता मिल रही है। newstrack.com से विशेष बातचीत में उन्‍होंने बताया कि हाल ही में इनकी गजलों की एक एलबम ‘तेरी सूरत’ 15 फरवरी को रिलीज होने जा रही है।इसके कैसेट को गुलशन कुमार सुपर कैसेट इंडिया लिमिटेड,रफत इंटरटेनमेंट पिक्‍चर्स और एमजे एडवर्टाइजर्स ने तैयार किया है।15 फरवरी को लांचिंग सेरेमनी पर मोहम्‍मद अली 'साहिल' का लाइव कंसर्ट भी होगा।

इंटरमीडिएट में जुटाई हिम्‍मत, तुकबंदी से शुरू किया सफर

मोहम्‍मद अली 'साहिल' अली ने बताया कि बचपन से उन्‍हें मोहम्‍मद रफी और मुकेश साहब के दर्द भरे नगमे सुनने का शौक था।वर्ष 1983-84 में इटावा के इस्‍लामिया इंटरमीडिएट कालेज में पढते वक्‍त दोस्‍तों के कहने पर तुकबंदी करना शुरू किया।इसे बहुत सराहना मिली तो हौंसला बढ़ा।इसके बाद इटावा के अजीतमल स्थित जनता डिग्री कालेज में ग्रेजुएशन के दौरान आवाज और कलम से खासा पहचान बन गई।वर्ष 1986-87 के दौर में स्‍टूडेंट यूनियन का चुनाव लड़ा और सांस्‍कृतिक मंत्री भी बना।ये सब मेरी कलम और आवाज की देन थी।इसके बाद तुकबंदी और कलाम पेश करने का सिलसिला चल पड़ा।

पुलिस की नौकरी में मुश्किल से मिला टाइम

'साहिल' के मुताबिक वर्ष 1990 में उनका चयन पुलिस विभाग में एस आई के पद पर हो गया।इसके बाद काम के बोझ तले कलम के साथ कम समय ही गुजार पाए।हालांकि कभी कभार काव्‍य गोष्ठियों में जाते रहे। वर्ष 2010 में एडीजी विशेष जांच के कार्यालय में पोटिंग हुई तब जाकर कलम के साथ अधिक समय गुजारने का मौका मिला।वहां रहकर तुकबंदी और कलाम लिखने का सिलसिला चला और काफी सराहना हुई।

अनवर जलालपुरी ने दिए थे टिप्‍स

मोहम्‍मद अली 'साहिल' को शायरी की दुनिया की जानी पहचानी शख्सियत अनवर जलालपुरी से मिलने का मौका मिला तो उन्‍होंने उनके सामने अपना कलाम पेश किया।उनका कलाम सुनकर अनवर जलालपुरी ने उन्‍हें बहुत सराहा और इसे बेहतर करने के टिप्‍स भी दिए थे। इसके बाद वर्ष 2011 से लेकर आज तक शायरी और गजल का सिलसिला चल रहा है।

ब्रेल लिपि में भी है गजल

मोहम्‍मद अली 'साहिल' ने बताया कि विजुवली इंपेयर्ड लोगों के लिए ब्रेल लिपि में गजल की एक किताब ‘ख्‍वाबों का कारवां’ रिलीज हुई थी।इसमें मेरी दो गजलों को ब्रेल लिपि में शामिल किया गया था।यह गर्व की बात है।क्‍योकिं गजल, शायरी ये सब एक एहसास हैं,इनको हर इंसान महसूस कर सकता है।चाहे वह सामान्‍य व्‍यक्ति हो या दिव्‍यांग।ये खुशनसीबी है कि मेरी गजल से विजुवली इंपेयर्ड लोगों को सुकून मिला।

इन अवार्डों से नवाजे गए

'साहिल' को वर्ष 2005 में पुलिस विभाग के सराहनीय सेवा सम्‍मान के अलावा साहित्‍य जगत के कई अवार्ड मिले। इनमें वर्ष 2018 में शाने- ए- उत्‍तर प्रदेश मिला।इसके साथ ही उन्‍हें काव्‍य श्री, युवा रत्‍न अवार्ड, जश्‍न ए गजल अवार्ड, अवध गौरव सम्‍मान, कर्म योगी सम्‍मान, अकबर इलाहाबादी अवार्ड,काव्‍य मनिषी, साहित्‍य जवाहर सम्‍मान, हयूमन अवार्ड, युवा रत्‍न शिखर अवार्ड, फिराक गोरखपुरी अवार्ड, सृजन स्‍वर्ण सम्‍मान के साथ कई अन्‍य सम्‍मान भी मिले।



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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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