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मदर इंडिया से लेकर मर्दानी तक, इन 12 फिल्मों में की हीरो बन गईं हीरोइन

Admin
Published on: 8 March 2016 1:33 PM IST
मदर इंडिया से लेकर मर्दानी तक, इन 12 फिल्मों में की हीरो बन गईं हीरोइन
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लखनऊ: आज हर फील्ड में महिलाए अपना परचम लहरा रही है। आज उन्हें किसी से कम नहीं आका जा सकता है। वे हर वो काम कर रही है जिसे कल तक पुरुषों की मिलकियत समझा जाता था। उनके हिम्मत और जज्बे को हर कोई सलाम करता है। फिर भला फिल्म इंडस्ट्री कैसे अछूती रह सकती है। बॉलीवुड तो हमेशा महिला प्रधान फिल्में बनाकर महिलाओं के हक की आवाज उठाता रहा है।

इन फिल्मों में एक्ट्रेस के हुनर भी सामने आता है। ऐसा कहा जाता है कि आमतौर पर एक्टर के आधार पर फिल्में चलती है। फिल्मों में उनके रोल को ज्यादा महत्व दिया जाता है। पर सिनेमा जगत में कुछ महिलाएं है जिन्होंने अपने दम पर पहचान बनाई और इंडस्ट्री को अपना योगदान दिया। लता मंगेशकर, रेखा, नरगिस, मधुबाला, स्मिता पाटिल, ऎश्वर्या रॉय, प्रियंका चोपड़ा जैसे कई नाम इसके प्रमाण भी है। वैसे तो बॉलीवुड में महिला अधिकारों को फोकस करते हुए फिल्में कम बनी है, लेकिन फिर भी समय-समय पर फिल्मकारों ने पर्दे पर महिलाओं के साहस को फिल्माया है। जिनके जरिए महिला किरदार आज भी जहन में जीवंत है।

निर्माता-निर्देशक ने फिल्मों के जरिए दिया सम्मान

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मदर इंडिया

फिल्म में एक ग्रामीण महिला के संघर्ष की कहानी फिल्माई गई है। जो सिस्टम के खिलाफ लड़ाई लड़ती है। इसमें दिवंगत एक्ट्रेस नरगिस दत्त ने काम किया था जो अपने परिवार को बचाने अकेले संघर्ष करती है। इस फिल्म को भारतीय सिनेमा में फिल्माए गए महिला किरदारों में सबसे स्ट्रॉन्ग करेक्टर के लिए जाना जाता है।

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आंधी(1975)

1975 में बनी गुलजार निर्देशित फिल्म ‘आंधी’ के जरिए विवादों की ऐसी आंधी उठी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। कथित रूप से गांधी के जीवन पर आधारित फिल्म की नायिका सुचित्रा सेन का पूरा गेटअप उनसे प्रेरित था। बालों के कुछ हिस्सों की सफेदी वाले हेयर स्टाइल और एक हाथ से साड़ी का पल्लू संभालने और दूसरे हाथ से लोगों को देखकर हाथ हिलाने की उनकी शैली को ही नायिका ने अपने अभिनय में उतारा था।

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भूमिका (1977)

श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित इस हिंदी फिल्म में स्मिता पाटिल, आमोल पालेकर, अनंत नाग, नसीरुद्दीन शाह और अमरीश पुरी मुख्य भूमिका में थे फिल्म 1940 के वक्त की स्क्रीन एक्ट्रेस हंसा वाडकर पर बनी थी। इस रोल को स्मिता पाटिल ने बहुत खूबसूरती के साथ निभाया।

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अर्थ (1982)

1982 में आई फिल्म अर्थ को महेश भट्ट ने निर्देशित किया था। फिल्म में शबाना आजमी, कुलभूषण खरबंदा, स्मिता पाटिल मुख्य भूमिका में थे। कहा जाता है कि फिल्म में महेश भट्ट ने परवीन बॉबी के साथ अपने विवाहत्तेर संबंधों को फिल्माया है

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दामिनी (1993)

राजकुमार संतोषी की फिल्म 'दामिनी' में दामिनी बनी मीनाक्षी शेषाद्री ने अन्याय के विरुद्ध जो आवाज उठाई वो काबिले तारीफ थी। फिल्म में दामिनी एक ऐसी नारी की कहानी कहती है जो अन्याय के विरुद्ध बीड़ा उठाकर चैन से नहीं बैठते और मरते दम तक संघर्ष करते हैं। दामिनी अपने देवर राकेश को नौकरानी के साथ दुष्कर्म करते देख लेती है। अपने परिवार के खिलाफ जाकर दामिनी नौकरानी को इंसाफ दिलाने में जुट जाती है12

चांदनी बार (2001)

मधुर भंडारकर की फिल्म 'चांदनी बार' में बार में काम करने वाली लड़कियों की जिंदगी को फिल्माया गया है। तब्बू ने अपने अभिनय से बार गरेल की भूमिका में जान डाल दी है।

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सात खून माफ (2011)

विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘सात खून माफ’ रस्किन बांड द्वारा लिखी कहानी ‘सुजैन्स सेवन हस्बैंड्स’ पर आधारित थी। इस फिल्‍म में सुजैन (प्रियंका चोपड़ा) सात शादियां करती हैं और अपने आधा दर्जन पतियों को मौत के घाट उतार देती हैं। कहानी का बहुत ही अच्छा था, क्योंकि प्यार, नफरत, सेक्स, लालच जैसे जीवन के कई रंग इसमें नजर आए।veedyaनो वन किल्ड जेसिका

राजकुमार गुप्ता की फिल्म में ऎसी कहानी पेश की गई है जिसमें दोषी के खिलाफ सबूत न होने से उसे निर्दोष करार दे दिया जाता है लेकिन 7 साल बाद केस खुलता है और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है। फिल्म में विद्या बालन मुख्य किरदार में होती है जो अपनी बहन जेसिका की हत्या के लिए न्याय की लड़ाई लड़ती है।english

इंग्लिश विंग्लिश

इस फिल्म के जरिए एक्ट्रेस श्रीदेवी ने पर्दे पर 15 साल बाद वापसी की। फिल्म के जरिए श्रीदेवी तो फैंस का दिल जीतने में कामयाब रही। श्रीदेवी ने फिल्म में एक हाउस वाइफ का किरदार निभाया था। जिसे इंग्लिश नहीं आती। उसे विदेश जाने का मौका मिलता है जहां वह इंग्लिश सीखती है। जिसे देखकर उसके पति और बच्चे भी हैरान रह जाते है। इस दौरान उसे कई संघर्षो का सामना करना पड़ता है। फिल्म दर्शकों को खूब पसंद आई थी।

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कहानी

जॉय घोष द्वारा निर्देशित फिल्म कहानी फिल्म की हीरोइन विद्या बालन के इर्दगिर्द घूमती है जो कि प्रेग्नेंट होती है। विद्या लंदन से कोलकाता अपने पति अर्णब बागची को ढूंढने के लिए आती है जो दो महीनों से लापता होता है। वह पुलिस स्टेशन जाती है। उस ऑफिस में जाती है जहां अर्णब अपने प्रोजेक्ट के लिए आया था। उस होटल में जाती हैं जहां वह रूका हुआ था, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चलता

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मैरीकॉम

बॉक्सर मैरीकॉम की जिंदगी पर बनी इस फिल्म ने सफलता के झंडे गाड़े। मैरीकॉम के रील रोल में प्रियंका चोपड़ा ने शानदार अभिनय से तारीफे बटोरी। इस फिल्म ने एकबार फिर साबित किया कि महिला प्रधान फिल्में हिट होती है।

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मर्दानी

शिवानी रॉय (रानी मुखर्जी) मुंबई क्राइम की सीनियर इंस्‍पेक्‍टर हैं। वह अपने पति डॉ. बिक्रम रॉय (जीशु सेनगुप्‍ता) और अपनी भतीजी मीरा के साथ रहती हैं, जिसका वह खयाल रखती है। शिवानी रॉय अपराधों के छोटे से छोटे सुराग खोज निकालने के मामले में एक्‍सपर्ट है और अपराधियों से बेखौफ है। इस रोल को निभाकर रानी ने आलोचकों का मुंह बंद कर दिया।



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