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MOVIE REVIEW: 'बार-बार' नहीं, बस फिल्म के आखिरी 21 मिनट में है टि्वस्ट

suman
Published on: 9 Sept 2016 5:54 PM IST
MOVIE REVIEW: बार-बार नहीं, बस फिल्म के आखिरी 21 मिनट में है टि्वस्ट
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फिल्म- बार बार देखो

निर्देशक- नित्या मेहरा

रेटिंग- 2/5

अवधि- 2.21 मिनट

निर्माता- एक्सेल एंटरटेनमेंट और धर्मा प्रोडक्शन

कलाकार- सिद्धार्थ मल्होत्रा, कैटरीना कैफ़, सारिका, राम कपूर, सयानी गुप्ता, रजित कपूर, राम कपूर आदि

मुंबई: फिल्म बार बार देखो की सबसे बड़ी मुसीबत है कि ये 2 घंटे 21 मिनट में सिर्फ आखिर के 21 मिनट ही आपको अपनी गिरफ्त में ले पाती है बाकी 2 घंटे फिल्म बस चलती रहती है। बार बार एक ही चीज का दोहराव इतनी ऊब पैदा कर देता है कि अगर आप फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने गए हैं तो नींद का हमला लगातार होता रहेगा।

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स्टोरी अच्छी, स्क्रीनप्ले कमजोर

फिल्म बार बार देखो कहानी है जय और दिया की। जहां जय हिंदुस्तान के एक मिडिल क्लास फैमिली में पैदा होता है तो वहीं दिया का जन्म लंदन में एक इंडियन फैमिली में होता है। किसी कारणवश दिया के पैरेंट्स को वापस हिंदुस्तान आना पड़ता है, जहां जय और दिया दोनों साथ-साथ पढ़ते बढ़ते और प्यार में पड़ते हुए शादी की दहलीज पर पहुंच जाते हैं।

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जय अब मैथ्स का प्रोफेसर है तो दिया का प्रोफेशन पेंट आर्टिस्ट। ठीक शादी से पहले जय को कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से फेलोशिप का ऑफर आता है, लेकिन दिया का परिवार और खुद दिया नहीं चाहती कि जय हिंदुस्तान छोड़कर जाएं। दोनों की बहस होती है और नशा करने के बाद जय एक लंबी नींद में चला जाता है। इसी नींद में बार बार जय 60 साल के टाइम ट्रैवेल से होकर गुजरता है और इस सफर और लंबी नीद का लॉजिक फिल्म से नदारद है। बस इस टाइम ट्रैवेल से जय क्या सीखकर निकलता है यही कहानी है बार बार देखो की।

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दिखने में अच्छी, मगर कहानी कच्ची

फिल्म बार बार देखो की स्टोरी शानदार है, लेकिन ये टॉपिक बोझिल स्क्रीनप्ले से कमजोर हो जाती है। फिल्म की दूसरी सबसे बड़ा खामी इसकी कास्टिंग है। फिल्म की ग्लैमर गर्ल कैटरीना कैफ दिया के किरदार में कहीं से भी प्रभावित नहीं करतीं। मेरे ख्याल से चूंकि फिल्म में इंडियन पिता और ब्रिटिश मां की संतान का उनका किरदार है तो डायरेक्टर की वो च्वाइस रहीं, वरना न तो उनका चुलबुलापन दिल जीतता है और न ही उनकी गंभीरता। हालांकि अव्वल साबित हुए हैं सिद्धार्थ मल्होत्रा। जिन्होंने अंडर प्ले करते हुए नैचुरल एक्टिंग की है। मगर वो भी इमोशनल सीन्स कमजोर पड़ गए है।

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फिल्म की म्यूजिक जानदार

फिल्म की म्यूजिक बेहतरीन है जो फिल्म को बोर होने से बीच-बीच में आकर रेस्क्यू करता है, लेकिन बहुत देर तक वो भी मदद नहीं कर पाता। के रविचंद्रन का कैमरा कमाल करता है, वो फिल्म को अंतर्राष्ट्रीय लुक देते हैं । श्री राव की कहानी अच्छी है लेकिन नित्या मेहरा का स्क्रीनप्ले फिल्म को दिलचस्प नहीं बना पाता। अन्विता दत्त के डायलॉग्स कहीं बहुत अच्छे तो कहीं साधारण हैं । फिल्म के बाकी कलाकार ठीक ठाक हैं। रजत कपूर और राम कपूर के अलावा सारिका ही प्रभावित कर पायी हैं। फिल्म बार बार देखो को पांच में से 2 स्टार्स।

क्यों देखें: नए निर्देशक की पहली फिल्म है तो हौसलाअफजाई के लिए देख सकते हैं। वरना फिल्म कोई कमाल करेगी ऐसी उम्मीद कम है। ।



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suman

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