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B'DAY:दोनों के प्यार की अनोखी थी दास्तां, फिर क्यों नहीं पति की लाई साड़ी पहनती थी नरगिस

suman
Published on: 1 Jun 2018 12:13 PM IST
BDAY:दोनों के प्यार की अनोखी थी दास्तां, फिर क्यों नहीं पति की लाई साड़ी पहनती थी नरगिस
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जयपुर: हिंदी सिनेमा में नरगिस दत्त ने कई उंचाईयां हासिल की हैं। फिल्म जगत में उन्होंने अलग ही पहचान बनाई हैं। बॉलीवुड की बेहतरीन अदाकारा नरगिस का जन्मदिन है। नरगिस का जन्म 1 जून 1929 को को पश्चिम बंगाल में हुआ था। नरगिस की मां जद्दनबाई को शास्त्रीय संगीत का शौक था नरगिस को फिल्मों में काम करने के लिए उनकी मां का सहयोग मिला। नरगिस का वास्तविक नाम फातिमा राशिद था। नरगिस के पिता डॉक्टर थे। आज भी फिल्म मदर इंडिया का नाम सुनते ही आपके दिमाग में पहला चेहरा नरगिस का ही आता है। नरगिस ने अपनी मां के सहयोग से ही फिल्मी जगत में कदम रखा। वह फिल्मों से जुड़ी और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत फिल्म 'तलाश-ए-हक' से की। उस फिल्म में उन्होंने एक चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में काम किया। नरगिस ने फिल्म 'मदर इंडिया' से अपनी अलग पहचान बनाई। फिल्म मदर इंडिया समाज में हो रही कुरितियों पर बनी फिल्म थी। जिसे बखूबी बड़े पर्दे पर उतारा गया। मदर इंडिया उस समय की सबसे महंगी फिल्मों में शुमार थी।

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मदर इंडिया ने उस समय बॉक्स ऑफिस पर सबसे ज्यादा कमाई की। फिल्म मदर इंडिया ने इतनी सफलता हासिल की थी जिसके कारण फिल्म को साल 2010 में टाइम मैगजीन में शुमार किया गया। नरगिस की राज कपूर से नजदिकींया बढ़ने लगी और लेकिन दोनों के बीच यह रिश्ता लंबे वक्त तक नही चला। नरगिस ने राज कूपर के साथ करीब 16 फिल्में की और ज्यादातर सफल साबित हुई। राज कपूर से ब्रेक-अप के बाद नरगिस को सुनील दत्त का साथ मिला। मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान ही जब नरगिस आग की लपटों से घिरने वाली थी तो उस समय सुनील दत्त ने नरगिस की जान बचाई। इसी कारण से उनके रिश्ते को और धार मिली। इसके बाद सुनील और नरगिस की शादी हुई। दोनों के तीन बच्चे हुए संजय, प्रिया और नम्रता।

बेहद करीब थे संजय कहते हैं नरगिस के संजय दत्त बेहद करीब थे। संजय दत्त को जब नशे की लत गई थी तो इसके बारे में सबसे पहले नरगिस को ही पता लगा था। नरगिस जब कैंसर के इलाज के लिए विदेश में थीं, तो वह वहीं से बेटे का खास ध्यान रखती थीं। वह न्यूयार्क में अस्पताल से उनकी मां उनके आगे बढ़ने के लिए उनको प्रत्साहित करती थीं।

संजय के लिए भेजी थी रिकॉर्डिंग जब नरगिस अस्पताल में भी और संजय मुंबई में थे तब मां ने उनके लिए टेप रिकॉर्ड करके भेजा था। संजय ने बताया किउस वक्त संजय नहीं रोए लेकिन तीन साल बाद एक टेप में मां की आवाज सुनते ही वह बच्चों की तरह फूट-फूटकर चार दिन तक रोते रहे। पिता सुनील दत्त ने नरगिस के अंतिम दिनों के कुछ रिकॉर्ड किए हुए टेप उन्हें भेजे थे। संजय को जब अपने पिता से टेप मिला तो उन्हें पता नहीं था कि उसमें क्या है। उन्होंने उसे बजाया और अचानक ही कमरे में नरगिस की आवाज गूंजने लगी।' संजय मे खुद कहा हैआज भी मैं उस टेप को सुनकर 4, 5 घंटे तक रोता रहता हूं, वो मुझे आगे बढ़ता देखना चाहती थीं।

अधूरी रह गई इच्छा शादी और बच्चों के बाद नरगिस दत्त ने सामाजिक कार्यों में समय बिताना शुरु किया था। वह राज्यसभा भी गई थीं। लेकिन अचानक से कैंसर के चपेट में आ जाने से उनके जीवन से मानों खुशियां ही चली गईं थीं। जब वह कैंसर के इलाज के लिए विदेश से भारत वापस लौटी तो उनकी तबियत फिर खराब हो गई और वो कोमा में चली गईं। कहते हैं नरगिस अपने बेटे संजय दत्त को सिल्वर स्क्रीन पर देखना चाहती थी लेकिन दुर्भाग्यवश वो संजय दत्त की पहली फिल्म ‘रॉकी’ के रिलीज होने के 4 दिन पहले दुनिया छोड़ गईं।

नहीं पहनती थी पति की लाई साड़ियां

नरगिस ने अभिनेता सुनील दत्त से शादी की थी। दोनों की शादी 11 मार्च 1958 को हुई थी.शादी के बाद सुनील को पता चला की नरगिस को साड़ियां बहुत पसंद हैं और उनके पास साड़ियों का अच्छा खासा कलेक्शन है.सुनील नरगिस को बहुत चाहते थे इसलिए वो जहां भी जाते थे वहां से नरगिस के लिए साड़ी जरूर लेकर आते थे।कुछ समय बाद सुनील ने इस बात पर गौर किया कि नरगिस उनकी लाई हुई साड़ियां नहीं पहनतीं।सुनील ने जब ये बात नरगिस से पूछी तो उन्होंने बात को टाल दिया। सुनील के बहुत जोर देने पर नरगिस ने बताया कि उन्हें सुनील की लाई हुई साड़ियां पसंद नहीं आती। कुछ साड़ियों के रंग नरगिस को पसंद नहीं आए तो कुछ का कॉम्बिनेशन।नरगिस ने बताया कि वो सुनील की दी हुई साड़ियां पहनती नहीं हैं लेकिन उन्होंने उन सभी साड़ियों को संभाल के रखा है। सुनील को ये बात बुरी लगी कि नरगिस उनकी दी हुई साड़ियां नहीं पहनती लेकिन उन्हें यह जानकर अच्छा लगा कि साड़ियां पसंद नहीं आने पर भी नरगिस ने उन्हें संभाल कर रखा है।

नरगिस को सामाजिक मुद्दों से जुड़ना काफी पसंद था। वे समाज सेवा भी करती थी। नरगिस ने 'अजंता कला सांस्कृतिक दल' बनाया जिसमें दोनों तब के नामी कलाकार-गायक सरहदों पर जा कर तैनात सैनिकों का हौसला बढ़ाते थे और उनका मनोरंजन करते थे। नरगिस दत्त पहली महिला थी जिन्हें राज्यसभा का सांसद और 'पद्मश्री' का पुरस्कार दिया गया। लेकिन इसके साथ ही फिल्मी दुनिया के लिए एक बुरी खबर आई। खबर थी कि नरगिस दत्त कैंसर से पीड़ित हैं लेकिन जल्द ही कैंसर ने उनके जीवन को समाप्त कर दिया और हिंदी सिनेम से हमने एक सितारे को खो दिया। नरगिस दत्त की 3 मई 1981 को मौत हो गई।



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