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सालों की मेहनत का मिला फल, नवाजुद्दीन सिद्दीकी की 8 फिल्में जिसे कान्स फिल्म फेस्टिवल के लिए चुना गया

नवाजुद्दीन का जन्म 19 मई 1974 उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक छोटे से शहर बुढाना में हुआ था। वह आठ भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं।

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Newstrack Network NetworkPublished By Monika
Published on: 19 May 2021 8:51 AM GMT (Updated on: 19 May 2021 9:00 AM GMT)
सालों की मेहनत का मिला फल, नवाजुद्दीन सिद्दीकी की 8 फिल्में जिसे कान्स फिल्म फेस्टिवल के लिए चुना गया
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मुंबई: बॉलीवुड में बिना गॉड फादर के बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाने वाले नवाजुद्दीन सिद्दीकी आज अपना 46वां जन्मदिन मना रहे हैं। अपने करियर की शुरुआत नवाजुद्दीन ने आमिर खान की फिल्म सरफ़रोश (1999) से की थी। इस फिल्म में उनका छोटा सा रोल था जिसमें उन्होंने एक आतंकवादी का किरदार निभाया था। जिसके बारे में शायद ही किसी को पता होगा। उस वक़्त नवाजुद्दीन को भी नहीं मालूम होगा कि वह आगे चलकर बॉलीवुड की दुनिया पर राज करने वाले हैं।

नवाजुद्दीन का जन्म 19 मई 1974 उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक छोटे से शहर बुढाना में हुआ था। वह आठ भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। उन्होंने अपनी अधिकांश युवावस्था उत्तराखंड में बिताई। शिक्षा की बात करें तो नवाजुद्दीन ने हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में स्नातक किया। जिसके बाद उन्होंने कुछ समय वडोदरा में एक केमिस्ट के रूप में काम किया। जिसके बाद वो अच्छी जॉब के लिए दिल्ली चले गए।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी की तस्वीर (फोटो : सोशल मीडिया )

फिल्मों में आने से पहले करते थे ये काम

दिल्ली आने के बाद उन्होंने एक नाटक देखा, जिससे वो इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अभिनय की ओर जाने का मन बना लिया। जिसके बद्द वो मुंबई चले आए और यहां उन्होंने अपनी पहली फिल्म सरफ़रोश की। इस फिल्म के बाद ही राम गोपाल वर्मा की 1999 की फिल्म शूल और 2000 की फिल्म जंगल, साथ ही राजकुमार हिरानी की मुन्नाभाई एमबीबीएस (2003) में दिखाई दिए। ऐसे ही कुछ सालों तक उन्होंने कई छोटे मोटे रोल किए। जिसमें वो अधिकतर नेगटिव रोल में ही नजर आए।

इमोशनल अत्याचार गाने से दर्शकों ने पहचाना

साल 2009 में आई फिल्म 'देव द' में लोगों ने उन्हें पहचाना। वो इस फिल्म में एक सिंगर की भूमिका में दिखे थे, जिसने 'इमोशनल अत्याचार' गाना गाया। लेकिन इतनी मेहनत के बाद भी उन्हें वैसा काम नहीं मिल रहा था जैसा वो चाहते थे, जिससे उनकी भी पहचान बने। आखिरकार साल 2012 में अनुराग कश्यप की गैंग्स ऑफ वासेपुर रिलीज़ हुई। इस फिल्म में नवाजुद्दीन ने दिल खोलकर अपनी एक्टिंग का जलवा दिखाया और यहां से नवाजुद्दीन की पहचान बनना शुरू हुई। इस फिल्म को लोगों का इतना प्यार मिला था इस फिल्म का सीक्वल भी बना।

इस फिल्म के बाद नवाजुद्दीन के पास कई फिल्में आने लगी। तलाश , आत्मा , बॉम्बे टॉकीज, शॉर्ट्स, मानसून शूटआउट, द लंचबॉक्स , बदलापुर, बजरंगी भाईजान , मांझी, मंटो जैसे तमाम फिल्मों में एक्टर ने काबिले तारीफ काम किया।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी की शूट के दौरान की तस्वीर (फोटो : सोशल मीडिया )

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंची ये फिल्में

आपको बता दें, कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी को द लंचबॉक्स (2013), मंटो (2018) और रमन राघव 2.0 में उनके रोल के लिए जाना जाता है। वह दुनिया के एकमात्र ऐसे अभिनेता हैं, जिनकी 8 फिल्में कान्स फिल्म समारोह में आधिकारिक तौर पर चुनी और प्रदर्शित की गई हैं।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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