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मुश्किल गोल्फ़ की आसान कहानी, फ्रीकी अली के साथ कर सकते हैं टाइमपास
फिल्म - फ्रीकी अली
अवधि- 2 घंटे
रेटिंग- 3/5
निर्देशक- सोहेल खान
कलाकार- नवाजुद्दीन सिद्दीक़ी, ऐमी जैक्सन, अरबाज़ खान, सीमा बिश्वास, आसिफ़ बसरा, निकितिन धीर आदि।
मुंबई: फिल्म फ्रीकी अली की स्पेशल स्क्रीनिंग के बाद कुछ ऐसा है इसका रिव्यू। इस फिल्म की खासियत यह रही है कि ये आपको शुरु से अंत तक हंसाएगी और तालियां बजाने वाले डायलॉग्स आपको और भी आनंद देंगे।
महज 2 घंटे की है फ्रीकी अली और इस लिहाज से, ये कहीं भी वक्त जाया नहीं करती। नवाजुद्दीन सिद्दीकी पूरी फिल्म को अपनी एक्टिंग के आगोश में लिए रहते हैं और इसमें उनका साथ बाकी के सभी कलाकार बखूबी देते हैं।
फिल्म के इमोशनल सीन में भी ज्यादा मेलोड्रामा नहीं दिखता है। अलबत्ता निर्देशक सोहेल खान की इस बात के लिए तारीफ करनी होगी क्योंकि वो फिल्म का मिजाज शुरु से आखिर तक एक जैसा ही रखने में कामयाब हुए हैं।
मुश्किल गोल्फ़ की आसान कहानी
फिल्म की कहानी नवाजुद्दीन के चढ्ढी बेचने वाले सीन से शुरू होती है जो आप फिल्म के ट्रेलर में देख चुके हैं। मेहनती अली (नवाजुद्दीन) जो भी काम कर रहा है वहां से सफलता दूर है। वो परेशान होकर बाबा की मजा़र पर फरियाद लगाता है और कहता है कि उसे कोई तो रास्ता दिया जाए।
ठीक इसी वक्त मकसूद यानि अरबाज़ खान दरगाह पर उसे पीछे से आवाज़ देता है और इसके बाद दोनों हफ्ता वसूली के काम में लग जाते हैं। इस वसूली के सिलसिले में गोल्फ खेलने वाले उद्योगपति से बहस में अली के गोल्फ खेल सकने वाले हुनर का पता चलता है। उसके इस हुनर को तराशने में अली के मोहल्ले का एक कोच किशन लाल यानि कि आसिफ बसरा उसकी मदद करता है ।
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ये हुनर बढ़ते-बढ़ते गोल्फ के बड़े टूर्नामेंट्स में अली को पहुंचा देता है। जहां एक घमंडी चैम्पियन राठौड़ से उसका टकराव होता है। इस टकराव की बदौलत मेघा यानि कि ऐमी जैक्सन से नवाज की नजदीकियां बढ़ती हैं और फिल्म की कहानी अमीर चैम्पियन राठौड़ बनाम गरीब हुनरमंद अली की हो जाती है
जिसमे कमाल के वन लाइनर्स और तालिया बजाने को मजबूर करने वाले डायलॉग्स फिल्म को खास बना देते हैं। निर्देशक सोहेल खान ने फिल्म को आसान रखा है और खासतौर पर गोल्फ जैसे कठिन खेल की पेचिदगियों को भी परदे पर आसानी के साथ बता गये हैं। फिल्म का संवाद वाकई बेहतरीन हैं ।
अव्वल नवाज़ का किरदारी कमाल
कहानी और उसके ट्रीटमेंट के बाद नवाज के अभिनय ने फिल्म में चार चांद लगा दिए हैं। फिल्म की जान हैं नवाजुद्दीन सिद्दीक़ी जिन्होंने एक बार फिर शिद्दत और मजे के साथ अली को पेश किया है। कई जगह उनका अंदाज आपको अमिताभ बच्चन सरीखी इंटेसिटी वाले डायलॉग्स के बराबर नज़र आयेगा।
ऐमी जैक्सन ग्लैमर की गुड़िया हैं और वो बस ठीक हैं। अरबाज़ खान में वैराइटी कभी नहीं रही, लेकिन इस फिल्म में उनका अभिनय काम कर जाता है। कोच किशन लाल के रोल में आसिफ सटीक हैं, वहीं घमंडी और रौबदार गोल्फ चैंपियन के किरदार में जस अरोड़ा जंचे हैं। बाकी के किरदारों में सीमा विश्वास टाइपकास्ट हैं तो निकितिन धीर की मसखरी भी ठीक है। फिल्म के बाकी सपोर्टिंग कास्ट भी फिल्म को सपोर्ट करती है और ये एक टीमवर्क जैसी लगती भी है।
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फिल्म में संगीत की गुंजाइश नहीं थी फिर भी कहानी के साथ दो तीन गाने हैं जो कोई नुकसान नहीं पहुंचाते मगर वो याद रखने लायक भी नहीं। कैमरा और बाकी तकनीकी पहलु भी ठीक हैं। फिल्म की खामी है इसका इंटरवल के बाद थोड़ा ऑफ द ट्रैक होना जो फर्स्ट हाफ के मजे को भुला देता है लेकिन क्लाइमैक्स तक आते-आते फिल्म संभल जाती है। कुल मिलाकर फ्रीकी अली, बार बार देखो से ज्यादा प्रभावकारी है।